रिपोर्ट- अशोक दायमा, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
उज्जैन (मध्यप्रदेश)। देश में ऐसे कई लोग हैं जिनके घर लड़की जन्म होने पर दुख जताते हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए एक खास उदाहरण बनी हैं प्रीति पाटीदार..। प्रीति 20 साल की उम्र में सरपंच बन गई। सरपंच बनने के बाद इन्होंने गाँव में कई खास बदलाव किए हैं जिन्हें जानने के बाद इनकी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाएंगे।
वो महिलाएं जिनकी बदौलत एक बड़ी आबादी की थाली में चावल होता है
उज्जैन जिले के ग्राम खरसौद खुर्द की एमएससी डिग्री धारक सरपंच प्रीति पाटीदार महज 20 वर्ष की उम्र में सरपंच बन गई। इन्होंने गाँव में महिलाओं को घूंघट से मुक्त रहने की प्रेरणा भी दी। प्रीति का मानना है कि महिलाएं आज तक रूढ़िवादी तरीके से अपना जीवन व्यतीत करती आई है लेकिन महिलाओं को भी जीने का रहने का अधिकार है। ऐसे में मैंने सरपंच बनते ही सबसे पहले इस प्रथा के लिए महिलाओं को जागरूक किया।
प्रीति ने गांव में करीब 200 से अधिक शौचालय का निमार्ण कराया है। इसके साथ ही इन्होंने गाँव में पानी की समस्या को भी दूर किया और पूरे गांव में नल जल योजना को लागू किया।