लॉकडाउन में समय का सदुपयोग करना कोई इनसे सीखे, खाली पड़ी छत पर लगाया हाइड्रोपोनिक सिस्टम

Pushpendra VaidyaPushpendra Vaidya   17 April 2020 6:04 AM GMT

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रतलाम(मध्य प्रदेश)। कोरोना वायरस के कारण लगाया गया लॉकडाउन एक शख्स के लिए अपना शौक पूरा करने का जरिया बन गया है। इस शख्स ने लॉकडाउन में मिले समय का उपयोग करते हुए अपने घर की छत में सब्जियां लगा दी हैं। बगिया में कई तरह के फसल लहलहा रही हैं और फूलों से बगिया महकने लगी है।

मध्यप्रदेश के रतलाम के मित्र निवास कॉलोनी में रहने वाले सुनील गुप्ता को शुरू से ही खेती बागवानी का शौक है। वह काम से समय निकालकर अपने घर की छत पर कई तरह के पौधों के गमले लगाया करते थे। वह खेती करना चाहते थे, लेकिन जमीन नहीं होने के कारण उनकी इच्छा पूरी नहीं हो सकी।


एक दिन सुनील गुप्ता को इजराइली पद्धति की हाइड्रोपोनिक्स खेती के बारे में पता चला। इसके बाद सुनील गुप्ता ने इंदौर और रतलाम के अपने किसान मित्रो की मदद ली और इस पद्धति से खेती करना सीखा। इसके बाद सुनील गुप्ता ने अपने घर की छत पर ही बगिया बनाने की ठानी। इस साल मार्च महीने की शुरुआत में छत पर बगिया बनाने के लिए पाइप, नेट आदि सामग्री खरीद कर रख लिए थे, लेकिन अपनी व्यस्त दिनचर्या के कारण उन्हें इसके लिए समय नहीं मिल पा रहा था।

देश में कोरोना संकट के कारण जैसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की, सुनील अपना शौक पूरा करने में लग गया। लॉकडाउन के कारण काम बंद हुआ तो सुनील ने घर की छत पर बगिया बनाने का काम शुरू किया। सुनील ने 600 स्क्वायर फीट की छत पर नेट और लोहे के स्टैंड से बनी बगिया बना दी। इस बगिया में सुनील ने इजराइली पद्धति से विभिन्न तरह की सब्जियों की फसल लगाई है।


सुनील ने लगभग 125 फीट के पाइप और खराब फ्रिज के कंडेनसर का उपयोग करके उसमें रोजमर्रा के काम आने वाली सब्जियों और फलों को उगाया। सुनील की इस बगिया में आज पालक, मेथी, धनिया आदि की फसल लहलहा रही है, वहीँ विभिन तरह के फूलों के पौधे, फूल से भरे हुए है।

सुनील ने बताते हैं, "मुझे बचपन से ही पर्यावरण और खेती का शौक था, लेकिन वह ऐसे पेशे से जुड़ा था, जिसमें रहते हुए इस शौक को पूरा करना संभव नही था। लेकिन मन में इच्छा थी कि कैसे भी करके अपने शौक को मूर्त रूप दूँ। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन ने यह मौका दे दिया।"


सुनील का कहना है कि इस बगिया को बनाने में करीब एक लाख रुपये का खर्च अभी तक हो चुका है। इस बगिया में इजराइली पद्धति से फसल लगाई गई है। प्लास्टिक के पाइपो को काटकर फसलों के रोप और बीज लगाने की जगह बनाई गई। इस पद्धति में मिट्टी का उपयोग नही होता है। इसमें नारियल की भूसी और पत्थर का उपयोग किया जाता है। पाइप में पालक, मेथी, धनिया, गिलकी की बेल की फसल लगाई। 15 दिन में यह फसल आ गई। बाकी कई तरह के फूलों एवं फलों के पौधे भी लगाए गए। इस बगिया में फसल को पानी देने के लिए ड्रिप पद्धति का उपयोग किया गया।

   

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