MSP: सरकारी खरीद को लेकर एक वीकेंड फार्मर, शौक के लिए खेती करने वाले आम किसान का अनुभव सुनिए

सरकार के तमाम दावों के बीच एमएसपी पर फसलों की ख़रीद कैसे होती है? आम किसान के लिए इन सुविधाओं का लाभ लेना आसान है क्या? #MSP का फायदा किन किसानों को मिलता है? और MSP का होना कितना व्यवहारिक है? आइये एक आम नागरिक से यह सब समझने की कोशिश करते हैं।

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शैलेश मिश्रा एक अंतरराष्ट्रीय साफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर हैं और अपनी जमीन पर खेती भी करते हैं। आप उन्हें शौकिया किसान कह सकते हैं। वे खुद को वीकेंड फॉर्मर (सप्ताहिक आखिरी दिनों में खेती करने वाला) मानते हैं। किसान आंदोलन के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी (सरकारी खरीद) को लेकर काफी हंगामा है।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के शैलेश अपने खेतों में पैदा किए धान को सरकारी खरीद केंद्र में बेचना चाहते थे, लेकिन वे सफल नहीं हो सके, धान से पहले वो गेहूं भी नहीं बेच पाए थे। सरकार के द्वारा की जाने वाली किसानों से खरीद और एमएसपी को लेकर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए हैं। आप पूरा वीडियो देखिए और समझिए।

दिल्ली में किसान लगभग एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं। कृषि कानून को वापस लेने के अलावा किसानों की एक मांग यह भी है कि एमएसपी को अनिवार्य कानून बनाया जाये। केंद्र सरकार यह तो कह रही है कि एमएसपी की व्यवस्था पहले जैसे ही जारी रहेगी लेकिन वह इसे काननू बनाने को तैयार नहीं है।

MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम सर्मथन मूल्य सरकार की तरफ से किसानों की अनाज वाली कुछ फसलों के दाम की एक प्रकार की गारंटी होती है। राशन सिस्टम के तहत जरूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए इस एमएसपी पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है।

यह भी पढ़ें- यूपी: किसानों का आरोप- प्रदेश में बिचौलिए उठा रहे MSP पर सरकारी खरीद का फायदा

अगर कभी फसलों की कीमत बाजार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल खरीदती है ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके। एमएसपी किसी भी फसल की पूरे देश में एक ही होती है। अभी केंद्र सरकार 23 फसलों की खरीद एमएसपी पर करती है। कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कृषि लागत और मूल्य आयोग (कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस CACP) की अनुशंसाओं के आधार पर एमएसपी तय की जाती है।

वर्ष 2015 में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पुनर्गठन का सुझाव देने के लिए बनी शांता कुमार समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि एमएसपी का लाभ सिर्फ 6 प्रतिशत किसानों को ही मिल पाता है जिसका सीधा मतलब है कि देश के 94 फीसदी किसान एमएसपी के फायदे से दूर रहते हैं। वर्तमान में सरकार के अनुसार देश में किसानों की संख्या (किसान परिवार) 14.5 करोड़ है, इस लिहाज से 6 फीसदी किसान मतलब कुल संख्या 87 लाख हुई।

हालांकि किसान आंदोलन के बीच सरकार यह लगातार दावा कर रही है कि देश में किसानों से एमएसपी पर रिकॉर्डतोड़ खरीद हो रही है, जबकि उत्तर प्रदेश में धान खरीद को लेकर कई तरह की शिकायतें देखने को मिल रही हैं।

शैलेश कहते हैं कि एमएसपी के लाभ के लिए जो सरकार प्रक्रिया है उसे काफी सरल किए जाने की जरूरत है। मैं दो घंटे में धान खरीद के लिए ऑनलाइन नहीं भर पाया। मेरी सारी इंजीनियरिंग धरी रह गई। मुझे लगता है एक आम किसान ये फार्म ही नहीं भर पायेगा। इसे सरल किए जाने की जरूरत है।" शैलेश मिश्रा के अनुभव समझने के लिए वीडियो देखिए...


   

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