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Lockdown: मधुमक्खियों को गर्मी और भूख से बचा सकते हैं मधुमक्खी पालक

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लखनऊ। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से देश के अलग-अलग हिस्सों में मधुमक्खी पालक फंस गए हैं, जिसकी वजह से गर्मी और भूख से मधुमक्खियां मरने लगीं हैं। ऐसे वक्त में मधुमक्खी पालक कुछ उपाय अपनाकर अपनी मधुमक्खियों को बचा सकते हैं।

मधुमक्खी पालक और विशेषज्ञ निमित कुमार सिंह बताते हैं, “लॉकडाउन में फंसे होने की वजह से हम लोगों को भी दिक्कतें आ रहीं हैं, कि हम कहीं और भी अपने बॉक्स को ले नहीं जा सकते हैं। ऐसे में अगर हम अपनी मधुमक्खियों को दूसरी जगह पर नहीं ले जा सकते तो जहां पर हैं, वहीं पर ही मधुमक्खियों को बचाना होगा। सबसे पहले हम आसपास चार-पांच किमी जहां तक जा सकते हैं, वहां पर मधुमक्खियों को बॉक्स को रख दें। अगर हमें आस-पास को बगीचा नहीं मिलता है तो मधुमक्खियों के बॉक्स को ऊपर कुछ पुआल रख दें। जिससें सीधे धूप न पड़े।”

सर्दियों में मधुमक्खी पालक अपनी मधुमक्खियों को लेकर मैदानी क्षेत्रों में चले जाते हैं, जहां पर सरसों, धनिया जैसी फसलों के परागण से मधुमक्खियां शहद बनाती हैं। इसके बाद इन फसलों की कटाई के बाद लीची और सेब के बागों में ले जाते हैं। लेकिन इस समय मधुमक्खियां खाली मैदानों में रह गईं हैं, जहां पर उनके खाने के लिए कुछ भी नहीं है। मधुमक्खियों को भूख से बचाने के लिए निमित सलाह देते हैं, “मधुमक्खियों को हर दूसरे-तीसरे दिन चीनी का घोल दें और लगातार देखते रहें कि फीड की कमी तो नहीं हो रही है। इस समय मधुमक्खियों को बिल्कुल भी पराग नहीं मिलता है, मधुमक्खियों पालकों को चाहिए की पहले से रखे हुए पराग (शहद) को मधुमक्खियों को देते रहें, जिससे दस-पंद्रह दिन आराम से कट जाएंगे।”

“अगर इन बातों को ध्यान नहीं देंगे तो मधुमक्खियां कमजोर हो जाएंगी, जिससे कॉलोनी भी कमजोर हो जाएगी और हमें आगे फिर से नई शुरूआत करनी पड़ेगी। इसलिए अभी से ध्यान देना चाहिए, “निमित ने बताया।

बीकीपर वेलफेयर सोसाइटी के अनुसार, उत्तरप्रदेश के मधुमक्खी पालकों की बात करें तो लगभग मे 15 से 20 हजार से अधिक मधुमक्खी पालक हैं, जोकि मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, रामपुर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, फैजाबाद, फिरोजाबाद अन्य जिलों से आते हैं। इसके अलावा अगर हम अन्य राज्यों की बात करें तो राजस्थान से लगभग 20 हज़ार मधुमक्खी पालक हरियाणा राज्य से लगभग 25 हजार मधुमक्खी पालन करते हैं, आज सभी के सामने बड़ा संकट हैं। 

नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही शहद उत्पादन पर काफी जोर दिया। मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने हनी मिशन की शुरुआत की है, हनी मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात मे बनासकांठा से की थी। भारत के शहद की दुनियाभर के देशों में काफी मांग भी है लेकिन इस बार किसान परेशान हैं। एपीडा के अनुसार साल 2018-19 में दुनिया भर में 61,333.88 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया गया। यूएसए, यूएई, मोरक्को, सऊदी अरब, कतर जैसे प्रमुख निर्यातक देश हैं।

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