देश भर में मेला और मीना बाजार व्यवसायियों को हो रहा करोड़ों का घाटा

जहां कभी लोगों का हुजूम उमड़ता था, मनोरंजन के केंद्र मेलों में आज अजीब सी वीरानी छाई हुई है।
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रायपुर (छत्तीसगढ़)। कोरोना संकट काल में लगभग हर व्यवसाय से जुड़े लोग आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, इन्हीं में से देश अलग-अलग राज्यों में मेला, मीना बाजार लगाने वाले व्यवसायी भी हैं। पिछले कई महीनों से मेला बंद होने से हर दिन सेटअप का किराया, मजदूरों का पैसे के बोझ से व्यवसायी परेशान हो गए हैं।

छत्तीसगढ़ के अलग जिलों में मेला लगाने वाले शकील अहमद मार्च के महीने में रायपुर में सेटअप लगा ही रहे थे कि लॉकडाउन लग गया। वो बताते हैं, “हम हर साल छत्तीसगढ़ के अलग-अलग ज़िलों में मेला लगाते हैं, मेला शुरू होने वाला ही था कि देश में लॉकडाउन लग गया और मार्च से लेकर अब तक मेला पूरी तरह से बंद पड़ा है। लॉकडाउन लगने से बहुत ज़्यादा घाटा हुआ है और सिर्फ एक शहर में ही हमें 50 लाख का घाटा हुआ है और पूरे देश में तो सभी मेले वालों को करोड़ों का नुकसान हुआ है।”

जहां पर दुकानें और प्रदर्शनी लगती थी, वहां पर सन्नाटा पसरा है।

मेला मालिकों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार ने विभिन्न वर्गों को राहत दी, लेकिन हम मेला वालों की सुध लेना वाला कोई नहीं है। यहां तक की मीडिया ने भी हमारी समस्या को प्रमुखता से नहीं लिया है, लाखों मेला व झूले वालों की आजीविका बहुत मुश्किल से चल रही है।

झूला कारोबारी अब्दुल कलाम खान कहते हैं, “हम रायपुर के फन वर्ल्ड मैं झूला लगाने आए थे, मार्च में फिटिंग के बाद अप्रैल में मेला शुरू करने वाले थे, लेकिन देश में लॉकडाउन लग गया। हमारे साथ 60 लड़के काम करते थे उन सभी को पगार देकर घर भेज दिया और आज भी उन्हें पगार दे रहे हैं।”

“छत्तीसगढ़ के 6 ज़िलों में झूले वालों का सब काम बंद पड़ा हैं वहीं अगर हिंदुस्तान की बात करुं तो हज़ारों झूले वालों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। हमारे साथ काम करने वाले लोग भी बहुत परेशान हो रहे हैं। नागपुर में 90 झूले वालों, गुजरात के हस्सू भाई के साथ 70 झूले वाले काम करते हैं, दिल्ली में जब्बार भाई के साथ 80 झूले वाले काम करते हैं, छत्तीसगढ़ में कविंदर सिंह और तम्मन्ना हुसैन के साथ 70 लोग काम करते हैं। आज वर्तमान में सभी के झूले ऐसे ही पड़े हुए हैं, “अब्दुल कलाम खान ने आगे कहा।

भारतीय प्रदर्शनी उद्योग संघ (आईईआईए) के अनुसार कोरोना की वजह से मेला-प्रदर्शनी उद्योग को करीब 3,570 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। आईईआईए के अनुसार हर साल 550 से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित होते हैं और उद्योग का कुल आकार 23,800 करोड़ रुपए है। इस उद्योग के जरिए तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक के व्यापारिक लेनदेन होते हैं और यह करीब 1.20 लाख लोगों को रोजगार भी देता है।

अब्दुल कलाम खान कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों से निवेदन हैं कि हम झूले वालों की तरफ भी ध्यान दें। जो मजदुर लाखों की संख्या में इस क्षेत्र में काम करते हैं, उनके जीवन के बारे में भी सोचें। अगर वर्तमान में झूले और मेला शुरू करने की अनुमति मिलती है तो हम पूरे नियम के साथ मेला चलाएंगे। पहले जिस झूले में 10 लोग को बैठाते थे तो 4 लोगों को ही बैठाएंगे।”

जहां कभी लोगों का हुजूम उमड़ता था, मनोरंजन के केंद्र मेलों में आज अजीब सी वीरानी छाई हुई है। मेला मालिक परेशान हैं, झूले वाले चिंतित हैं। अंत में उदास होकर कहने लगे कि इस कोरोना की वजह से यह पूरा साल ख़राब हो गया। कमाई एक रुपए की नहीं ऊपर से हर रोज़ घाटा हो रहा है। मेला शुरू भी हुआ तो लोग डरे हुए हैं और इसी के कारण कम लोग आएंगे फिर भी उम्मीद करते हैं की सरकार और प्रशासन हमारे हित में जल्द कुछ न कुछ निर्णय लेंगे। 

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