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लॉकडाउन की वजह से किसानों का नहीं हो पाया पंजीकरण, सस्ते में बेचना पड़ रहा मक्का

#maize on msp

राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)। “कृषि विभाग और प्रशासन ने पहले धान की खेती की जगह पर मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन अब जब बेचने की बारी आयी तो सस्ते में बेचना पड़ रहा है”, खलिहान में दूसरे कई किसानों के साथ प्रदर्शन कर किसान रमेश गुप्ता कहते हैं।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के मक्का किसानों ने ओर समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदी की मांग को लेकर खलिहान और घर के आंगन में ही प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसान मक्का के ढेर के सामने ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए प्रदर्शन करने लगे हैं।

मास्क लगाकर और हाथों में पोस्टर लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि कोरोना संकट के दौर में हर हाल में मक्का की खरीदी की जाए और आर्थिक परेशानी से उबारा जाए। जिले में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाले किसान अंबागढ़ चौकी से लेकर औंधी बॉर्डर तक हैं। लगभग दो हजार एकड़ रकबे में इसकी खेती होती है। इस बार पंजीयन को लेकर किसान उलझन में रह गए।

धान खरीद के दौरान ही पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। इस दौरान ही मक्का उत्पादकों को भी रकबा की जानकारी देनी थी पर जिले भर से केवल 75 किसानों पंजीकरण करा पाएं सैकड़ों किसान पीछे रह गए। इसलिए छूटे हुए किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि सरकार पंजीयन की अनिवार्यता की बजाए उत्पादकों से समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदे।

चौकी क्षेत्र के ढाढूटोला, गुंडरदेही, तोयागोंदी, हांडी टोला क्षेत्र के किसानों ने खलिहान में प्रदर्शन कर अपनी समस्या को सामने रखा और खरीदी की मांग की। किसान कुंभलाल ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से भी मुलाकात कर चुके हैं और जल्द मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी मुलाकात करेंगे। संबंधित किसानों न बताया कि कोरोना संकट की वजह से पहले ही हमारी हालत खराब है और अब समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदी नहीं हो रही है।

समर्थन मूल्य पर सभी किसानों की मक्का खरीदी की मांग को लेकर किसानों ने अपने-अपने ब्लाक मुखयालय में ज्ञापन सौंपा। बाजार में मक्के की कीमत 1000-1200 रुपए प्रति कुंतल ही मिल पा रही है जो कि समर्थन मूल्य 1750 रुपए प्रति कुंतल से काफी कम है। ऐसे में मक्का उत्पादक किसान काफी परेशान हैं। 

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