यूपी बाढ़ ग्राउंड रिपोर्ट: मिर्जापुर के 406 गांवों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा

मिर्जापुर में गंगा नदी को खतरे के निशान से ऊपर बहते हुए पांच दिन हो गए हैं। गंगा और कर्णावती नदियों के बढ़ते जल स्तर ने जिले के 400 से अधिक गांवों को बाहरी दुनिया से काट दिया है, जिसकी वजह से बाढ़ प्रभावित ग्रामीण खाने की कमी से जूझ रहे हैं और सुरक्षित जगह की तलाश में पलायन कर रहे हैं।

Brijendra DubeyBrijendra Dubey   12 Aug 2021 6:12 AM GMT

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मल्लेपुर (मिर्जापुर), उत्तर प्रदेश। दूर दूर तक जहां भी नजर पड़ती है, वहां कई फीट ऊपर तक गंगा का पानी बह रहा है, जिसमें से बाढ़ में डूबे कुछ पेड़ों का बस ऊपरी हिस्सा दिख रहा है। एक लकड़ी की नाव में गीले कपड़ों में बैठे लोग बाढ़ के तेज पानी के बहाव में ऊंची जमीन तलाश रहे हैं। पक्के घर नदी में डूबे हुए हैं और कच्चे मिट्टी के घर बह गए हैं। एक महिला कुछ ही दूर पर चिल्लाती है: "सब गंगा जी में लीन हो गया"

गंगा के किनारे बसा मिर्जापुर के कोन ब्लॉक का मल्लेपुर गांव सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण गंगा नदी में बाढ़ आ गई है (11 अगस्त, शाम 4 बजे तक)। जिला प्रशासन के अनुसार, पानी का स्तर 78.25 मीटर के स्तर पर प्रति घंटे एक सेमी के हिसाब से बढ़ रही है।

यह नदी के खतरे के स्तर 77.724 मीटर से भी ऊपर है। अब तक इसका उच्चतम बाढ़ स्तर 9 सितंबर, 1978 को 80.34 मीटर दर्ज किया गया था। नदी को बढ़ते हुए धारा को देखकर, स्थानीय ग्रामीणों को डर है कि माँ गंगा अपने पिछले उच्चतम बाढ़ के स्तर को भी तोड़ सकती हैं। बारिश अभी थमी नहीं है।

25 वर्षीय सुनील कुमार यादव अपने घर से जरूरी सामान को सिर पर जूट के बोरी में लेकर अपने गांव मल्लेपुर में लगभग कमर तक गहरे बाढ़ के पानी से गुजर रहे हैं, जोकि जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पीछे उनके साथी ग्रामीण - पुरुष और महिलाएं, बच्चों को अपने कंधों पर लिए हुए - एक सीधी कतार में एक दूसरे का हाथ पकड़े चल रहे हैं, ताकि कहीं ऐसा न हो कि कोई बाढ़ के पानी में बह जाए।

चार दिन पहले, 7 अगस्त को गंगा उनके गांव में प्रवेश कर गई थी और तब से मल्लेपुर में घर, स्कूल की इमारत, श्मशान, खेत, अनाज का भंडार सब कुछ पानी में डूबा हुआ है और नदी पीछे हटने के मिजाज में नहीं है।

प्रदेश कुल 75 जिलों में से 21 जिले बाढ़ का सामना कर रहे हैं, जिसमें कम से कम 800,000 लोग प्रभावित हैं।

"मेरे घर में 15 लोग हैं। बाढ़ के पानी से हमारा आटा और चावल पूरी तरह खराब हो गया है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि ऐसी स्थिति में क्या किया जाए, हम इस स्थिति के लिए तैयार नहीं थे और न ही प्रशासन द्वारा कोई चेतावनी दी गई थी, "25 वर्षीय युवक ने उदासी से गांव कनेक्शन को बताया। सुनील कुमार यादव ने आगे कहा कि उनके गांव की पूरी फसल नष्ट हो गई है। "खेती में हमें अस्सी हजार रुपये का नुकसान हुआ है। मवेशियों के लिए भी चारा नहीं है, "उन्होंने अफसोस जताया।

उत्तर प्रदेश में बाढ़ की तबाही

प्रदेश कुल 75 जिलों में से 21 जिले बाढ़ का सामना कर रहे हैं, जिसमें कम से कम 800,000 लोग प्रभावित हैं। बहुत भारी मानसूनी वर्षा के कारण राज्य भर में कई नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण मकान ढह गए हैं और खेत डूब गए हैं।

मिर्जापुर जिले में स्थिति गंभीर है क्योंकि यह दो नदियों गंगा और कर्णावती के कारण बाढ़ का सामना कर रहा है। मिर्जापुर में बाढ़ से कुल 406 गांव प्रभावित हैं। इनमें से 222 गांव सदर तहसील में और 184 गांव चुनार तहसील में हैं। मल्लेपुर गांव सदर तहसील में आता है। अधिकारी ने कहा, "जिला प्रशासन ने बचाव और लोगों को बाढ़ के पानी से निकालने के लिए 120 नाव चलायी जा रहीं हैं।"

अनुमान है कि बाढ़ के कारण मिर्जापुर में लगभग 4,000 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। जिला प्रशासन ने बाढ़ के कारण विस्थापित हुए मवेशियों के लिए चुनार तहसील में लोगों के लिए 26 पुनर्वास केंद्र और 17 पशु आश्रय स्थल बनाए हैं।

इस बीच, राज्य भर में, उत्तर प्रदेश में अधिकारियों ने जरूरतमंदों को आश्रय उपलब्ध करने के लिए लगभग 880 राहत शिविर स्थापित किए हैं और अब तक आपदा के कारण कम से कम नौ लोगों की जान जा चुकी है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, 29 जुलाई से 4 अगस्त तक उत्तर प्रदेश में 36 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई।

जबकि ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है। "हमारे पास केवल एक ही मदद है जो थोड़े ऊंचाई पर रहने वाले पड़ोसियों से है। वे हमें अभी उनके साथ रहने दे रहे हैं और खाने के लिए भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। प्रशासन कहीं दिखाई नहीं दे रहा है, "मल्लेपुर के सुनील कुमार यादव ने शिकायत की, जिनसे गांव कनेक्शन परसों (10 अगस्त) मिला था।

बस जान बच गई बाकी सब खो दिया

मल्लेपुर के ग्राम प्रधान 35 वर्षीय योगेश प्रसाद यादव ने गांव कनेक्शन को बताया कि उनके गांव में करीब एक हजार लोगों को बाढ़ से नुकसान हुआ है।

"यहां के ज्यादातर किसान सब्जियों की खेती करते हैं। बाढ़ से उनके खेत उजड़ गए हैं और फसलें पानी में सड़ रही हैं, "ग्राम प्रधान ने कहा। उन्होंने आगे कहा,"गांव के अधिकांश लोग अपना घर छोड़ चुके हैं और इस समय में ऊंचाई पर कहीं पनाह ले रखी है। संकट की इस घड़ी में लोग ही एक दूसरे की मदद कर हैं। प्रशासन ने नावों की व्यवस्था की है, लेकिन कोई दूसरी मदद नहीं मिली है, "यादव ने कहा।

"गाँव के अधिकांश लोग अपना घर छोड़ चुके हैं और वर्तमान में उच्च क्षेत्रों में अस्थायी व्यवस्था में रह रहे हैं। लोग एक दूसरे को संकट से उबारने में मदद कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा नावों की व्यवस्था की गई है, लेकिन कोई अन्य सहायता नहीं है, "यादव ने कहा।


"लोगों के पास कुछ खाने को नहीं है। अगर वे मेरे घर आते हैं, तो मैं उन्हें खाने के लिए देता हूं लेकिन वह पूरे गाँव के लिए पर्याप्त नहीं है। अधिकारियों ने यहां आकर ग्रामीणों से सावधानी बरतने और ऊंचे इलाकों की ओर बढ़ने को कहा। यहां बिजली नहीं है और मिट्टी का तेल भी अब खत्म हो चुका है। हम अंधेरे में डूबे हुए हैं, "ग्राम प्रधान ने कहा।

बाहरी दुनिया से कटे लोगों के लिए आने जाने का साधन है नाव

11 अगस्त को गांव कनेक्शन ने मल्लेपुर से करीब आठ किलोमीटर दूर पड़ोसी गांव हरसिंहपुर की यात्रा की। गांव डूबा हुआ है और वहां पहुंचने का एकमात्र रास्ता नाव है। करीब एक हजार की आबादी वाला पूरा गांव में सीने के ऊपर से पानी बह रहा है। अपने सिर पर थोड़ा सा जरूरी सामान लेकर ग्रामीण बाढ़ के पानी से सुरक्षित स्थान की तलाश में भटक रहे थे।

हरसिंहपुर की एक अधेड़ उम्र की महिला तारा ने गांव कनेक्शन को बताया कि उसके गांव में पानी में खतरनाक स्तर से पानी घुसने के बाद भी उन्हें कहीं नहीं जाना है।

तारा ने बताया, "यहां प्रशासन की तरफ से कोई नहीं आया है। ऐसा लगता है कि हम यहां मरने के लिए बचे हैं। मैं पानी के घटने का इंतजार कर रही हूं, इसके अलावा मैं क्या कर सकती हूं।"

'अपनी पूरी जिंदगी में ऐसी बाढ़ नहीं देखी'

10 अगस्त को गांव कनेक्शन ने औरैया जिले में आई बाढ़ पर रिपोर्ट दी, जिसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ से ऐसा नुकसान उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था।

राज्य प्रशासन ने बाढ़ के लिए उत्तर प्रदेश और पड़ोसी मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में अधिक बारिश को जिम्मेदार ठहराया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, 29 जुलाई से 4 अगस्त तक उत्तर प्रदेश में 36 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई।

औरैया और इटावा जिलों में प्रभावित क्षेत्रों के हवाई सर्वेक्षण के बाद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 9 अगस्त को औरैया में जिला कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक की, जहां उन्होंने बाढ़ से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए 400,000 रुपये के वित्तीय मुआवजे की घोषणा की।

साथ ही 8 अगस्त को लखनऊ में हुई बाढ़ समीक्षा बैठक के दौरान सीएम आदित्यनाथ ने बताया कि राज्य के 15 बाढ़ प्रभावित जिलों में कुल 257 गांवों में बाढ़ की सूचना है। पिछले तीन दिनों में बाढ़ प्रभावित जिलों और गांवों की ये संख्या अब बढ़ गई है।

"एनडीआरएफ , एसडीआरएफ, पीएसी के कर्मियों की कुल 39 टीमें राहत कार्य में लगी हैं। साथ ही 828 बाढ़ पुनर्वास केंद्र स्थापित किए गए हैं और 976 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। लोगों को बचाने के लिए कुल 1,133 नावें चालू हैं और विस्थापित ग्रामीणों के बीच 7,015 राशन किट और 28,028 लंच पैकेट वितरित किए गए हैं, "सीएम ने 8 अगस्त को लखनऊ में हुई बाढ़ समीक्षा बैठक के दौरान कहा।

इस बीच, मिर्जापुर के बाढ़ प्रभावित गांवों में लोगों को भोजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और उनकी बिजली आपूर्ति भी ठप हो गई है। मल्लेपुर गांव के एक युवक प्रमोद ने गांव कनेक्शन (10 अगस्त को दोपहर 3 बजे) को बताया कि सुबह से उन्होंने सिर्फ लायी खायी थी।

चारों तरफ से कमर तक पानी से घिरे, उन्होंने कहा, "डर लग रहा है जाने कहां, रात तक पानी का स्तर और बढ़ सकता है लेकिन तीन दिन से ये फंसे हुए हैं पानी में, प्रशासन की मदद कहीं है ही नहीं।"

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