नहीं देखा होगा ऐसा पशु प्रेमी, जो अपनी पूरी पेंशन बेसहारा गायों पर खर्च कर देता है

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रामजी मिश्रा, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)। शाहजहांपुर के रहने वाले भूकन शरण ने रिटायर होने के बाद जमीन खरीदकर बेसहारा गोवंश के रहने का ठिकाना बना दिया है। उन्हें महीने में जितनी भी पेंशन मिलती है सारे पैसे इन्हीं गायों पर खर्च कर देते हैं।

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के भूकन शरण की गोशाला में इस समय 28 गोवंश हैं। गायों के बारे में बताते-बताते वो कई बार भावुक भी हो जाते हैं। वो बताते हैं, " जो कुछ रिटायरमेंट होने के बाद मिला वह सब गाय की सेवा में लगा दिया। जगह खरीदी और गाय रहने का स्थान बना दिया। सड़कों के किनारे लोग छोटे-छोटे गाय के बछड़े बछिया छोड़ जाते हैं, हमसे नहीं देखा जाता है तो हम उन्हें ले आते हैं।"

इनके पास 28 गोवंश में से गायों के साथ गाय और साड़ भी हैं। ये वैसे ही पशु हैं जैसे भारत के ज्यादातर राज्यों में छुट्टा पशु (गोवंश) के रुप में लोगों के लिए समस्या बने हुए हैं। लेकिन उन्हीं पशुओं को इन्होंने सहारा दिया है।


भूकन सिंह के दो बेटे भी उनके इस नेक काम में उनकी मदद करते हैं। एक बेटा ट्यूशन से जो भी कमाता है वह भी सब गायों की सेवा में लगा देता है। इनके बेटे ओम देव सक्सेना जो पिता के पगचिन्ह पर चलते हुए गाय की सेवा में लगे हैं वह बताते हैं, "मैं ट्यूशन पढ़ाता हूं और पूरा का पूरा पैसा गाय की सेवा में लग जाता है। हम इतनी बड़ी संख्या में गाय पालना नहीं चाहता, लेकिन क्या करूं जानवर रोड पर लड़ जाते हैं, चोट खा जाते हैं फिर इन्हें परेशान देखते हैं तो फिर लाना पड़ता है।"

एक बड़े से साड़ को दिखाते हुए कहते हैं, "जब यह छोटा था तब मैं इसे लाया था आज यह बहुत बड़ा हो गया है। यह सब हमें बहुत प्रेम करते हैं और हम सब इन्हें।"

भूकन शरण ने तमाम तरीके की दवाइयों को दिखाते हुए बताया, " सिर्फ चारे पानी की ही बात नहीं होती है। दवाइयां बहुत महंगी हैं, जितने भी गौवंश थे उनमें से अधिकांश घायल थे जिनके इलाज पर बहुत खर्च होता रहा। इसके अलावा भी वह कभी कभार बीमार हो जाते हैं।

भूकन के दूसरे बेटे मनोज कुमार सक्सेना ने बताया कि जब मैं छोटा था तो सिर्फ दो गाय हुआ करती थीं, लेकिन मेरे पिता जी कभी किसी गाय को परेशान देखते थे तो उसे उठा लाते थे। नतीजा यह हुआ कि आज 28 गाय हो चुकी हैं। लोग गाँव घर से गायों को लाकर सड़कों पर छोड़ देते हैं. ये जितनी भी गायें हैं वह कोई भी दूध नहीं देती हैं। हमें दूध लेना होता है तो बाहर से ही सोचना पड़ता है।"

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने छुट्टा जानवरों की समस्या से निपटने के लिए 'बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना' की शुरूआत भी की है। इस योजना के तहत छुट्टा गायों को पालने वाले लोगों को प्रति पशु के हिसाब से 30 रुपए यानि महीने के 900 रुपए मिलेंगे। ये पैसे हर तीन महीने में दिए जाएंगे। इस पर 109.50 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से छुट्टा गाय मुद्दा बनी हुई हैं। इसके लिए योगी सरकार ने गांवों में गोशालाएं खुलवाई, लाखों गायों को इनमें रखा गया, लेकिन समस्या खत्म नहीं हुई। अब यूपी सरकार लोगों से ही कह रही है वो गाय पालें और उसका खर्च सरकार उठाएगी। सरकार के इस फैसले से किसानों को काफी राहत मिली है। बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत पहले चरण में एक लाख छुट्टा गायों को इच्छुक लोगों को दिया जाएगा।

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