सरकार का दावा है कि नए कृषि कानून किसानों खासकर छोटे और मझोले यानि उन किसानों की जिंदगी बदलने वाले हैं, जिनके पास कम जमीन है। घाटे का सौदा बनती खेती को नए कानून उबार पाएंगे, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ताकत देंगे।
लेकिन किसानों का एक बड़ा धड़ा किसानों को खेती और किसान के लिए नुकसानदायक बताते हुए पिछले लंबे समय से आंदोलन कर रहा है। देश के प्रख्यात खाद्य एवं निर्यात नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा के साथ गांव कनेक्शन के खास शो गांव कैफे में आज इसी मुद्दे पर चर्चा है। देविंदर शर्मा, खुद एक कृषि पत्रकार रहे हैं और पिछले कई दशकों से खेती और किसानों की बेहतरी के लिए लिखते रहे हैं।
आपको बता दें कि राज्यसभा में सोमवार को पीएम मोदी कहा कि ने कहा था कि नए कानून आज की जरुरत हैं। उन्होंने कहा था कि हमने 2014 में कहा था मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है, मैं आज दोबारा आने के बाद यही दोरहा रहा हूं। इस देश में आगे बढ़ने के लिए गरीबी से मुक्त करना होगा। आगे बढ़ते जाना ही होगा। हमारी सरकार ने अब तक 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को पीएम किसान योजना का लाभ किया है। 41 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुले हैं। 2 करोड़ से ज्यादा घर बने हैं। 8 करोड़ से अधिक मुक्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं।
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कृषि कानूनों पर उन्होंने कहा कि खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ क्या है, ये समझने के लिए मैं आज पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के बयान का जिक्र करता हूं, “1970-71 में कृषि जनगणना का जिक्र करते हैं, “किसानों का सेंसेंस लिया गया तो 33% किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन 2 बीघे से कम है, 2 बीघे नहीं है, 2 बीघे तक है, 18 फीसदी जो किसान कहलाते हैं उनके पास 2-4 बीघे (आधा हेक्टेयर से एक हेक्टेयर तक) जमीन है, ये 51 फीसदी किसान हैं। ये चाहे कितनी भी मेहनत करे, अपनी छोड़ी सी जमीन पर इनकी गुजर ईमानदारी से हो नहीं सकती है। किसानों की दयनीय स्थिति से चौधरी चरण सिंह हमेशा चिंतित रहते थे।
उन्होंने आगे कहा था कि जिनके पास 1 हेक्टेयर से जमीन होती थी, 1971 में 51 फीसदी थे वो आज 68 फीसदी हैं, यानि देश में किसान की ऐसे किसानों की संखअया संख्या बढ़ रही है जिनके पास बहुत छोड़ी जमीन है। आज लघु और सीमांत किसानों को मिलाएं तो 86 फीसदी है, जिसके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है। ऐसे है किसानों की संख्या 12 करोड़ क्या देश की इन किसानों के प्रति कोई जिम्मेदारी हैं। क्या हमने कभी कभी हमारी योजनाओं के केंद्र में इन योजनाओं को रखना पड़ेगा कि नहीं? चौधरी चरण सिंह इन सवाल का जवाब हमारे लिए छोड़ गए हैं। हमें सब मिलकर खोजना होगा।
नए कृषि कानूनों में एमएसपी और एपीएमसी को लेकर चल रही आशंकाओं पर उन्होंने कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडियां अधिक आधुनिक बनें, अधिक प्रतिस्पर्थी बने, इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं एमएसपी थी, एमएसपी है और एमएसपी रहेगी। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है, वो भी जारी रहेगा।