चेतन बेले, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
वर्धा (महाराष्ट्र)। राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के तीसरे द्विवार्षिक सम्मेलन में पहुंचे देशभर के किसान संगठनों ने कहा कि किसानों को कर्ज नहीं बल्कि कृषि सहयोग मिलना चाहिए। इसके अलावा किसानों के हित के लिए 26 सूत्र बनाये गये हैं जो जल्द ही सरकार को सौंपा जायेगा। मंगलवार को महाराष्ट्र के वर्धा में देश के 20 किसान संगठनों के लोग पहुंचे जहां इन सूत्रों पर आम सहमति बनी और आगामी किसान आंदोलनों की रणनीति पर चर्चा हुई।
वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में तीन दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन किसान संगठन के लोगों ने किसानों की समस्याओं पर बातें की। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष अमर नाथ भाई ने कहा कि महात्मा गांधी ने चंपारण से आंदोलन की शुरुआत की थी। उनका मानना था कि देश की आत्मा गांवों में बसती है। और जब आंदोलन की शुरुआत एक गांव से हुई तब इसका असर ज्यादा पड़ा। उनकी लड़ाई से आज देश आजाद तो हो गया लेकिन उनकी इच्छा अधूरी रह गई।
उन्होंने आगे कहा कि आजादी के बाद से किसान और गांवों को नकारा गया इसीलिए किसानों की हालत बद से बदतर हो गई है। सम्मेलन में दूसरे प्रदेशों से आये किसान संगठनों के लागों ने अपनी बात रखी। किसानों को उचित रेट कैसे मिले, खरीद में पारदर्शिता करती जाये आदि मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। संगठनों ने इस पर सहमति जताई कि अगर किसानों की फसल तय एमएसपी से कम में खरीदी जा रही है तो भाव के अंतर का भुगतान सरकार करे।
कृषि भूमि को गैर कृषि कार्यों को न दी जाये, अधिग्रहण पर रोक लगे और कॉरपोरेट एजेंसियों को कृषि नीति में हस्तक्षेप से कैसे रोका जाये आदि विषयों में किसानों ने अपने मत रखे। किसान संगठनों ने किहा कि किसानों को खेती के लिए कर्ज नहीं कृषि सहयोग मिले साथ ही कर्ज वसूली कानून रद्द हो। इन सब मुद्दों को समेटे किसानों ने 26 सूत्र तैयार किये हैं जिसे केंद्र सरकार को सौंपा जायेगा।