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वित्त मंत्री ने कहा- 15 हजार से कम सैलरी वाले का EPF सरकार देगी, 72 लाख कर्मचारियों को होगा फायदा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश की अर्थ व्यवस्था में सुधार के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया था। इसके अगले दिन बुधवार को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये राहत पैकेज की बारीकियों को बताया और जानकारी दी कि किस क्षेत्र को कितनी राहत दी जायेगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि हर वर्ग से बात करके आर्थिक राहत पैकेज को बनाया गया है। पीएम भी चर्चा में शामिल रहे, मंत्रालयों से कई बार बातचीत करके पैकेज तैयार किया गया है। आर्थिक पैकेज का मकसद ग्रोथ और आत्मनिर्भर भारत बनाना है। उन्होंने बताया कि पांच पिलर पर आधारित होगा आत्मनिर्भर अभियान। स्पेशल पैकेज में से लघु एवं मध्यम उद्योगों यानी एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि पीएम किसान योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाओं के जरिए सीधे लोगों के बैंक खातों में रकम भेजी गई है। इन योजनाओं का फायदा किसानों को पहुंचा। जीएसटी से लघु उद्योगों को मध्यम उद्योगों का फायदा मिला।

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लघु उद्योगों के लिए हमने 6 बड़े कदम उठाए हैं। एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए तक का लोन दिया जाएगा। 45 लाख छोटे उद्योगों को इससे फायदा पहुंचेगा। उनसे कोई गारंटी फीस नहीं ली जाएगी।

वित्त मंत्री के साथ केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के तहत प्रधानमंत्री ने पहला कदम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण के तहत उठाया जो 1.70 लाख करोड़ रुपए का था। आरबीआई के जरिए लिक्विडिटी दी गई। भारत दुनिया भर के देशों में की तुलना में कोविड से बेहतर तरीके से लड़ रहा है। हम इस पर गहराई से विचार कर रहे हैं कि डिमांड और स्प्लाई की चेन में समन्वय बना रहे।

निर्मला एमएसएमई सीतारमण ने कहा कि संकट में फंसे एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ रुपए संकट में फंसे एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। दो लाख एमएसएमई को होगा फायदा। जो सक्षम हैं, लेकिन कोरोना की वजह से परेशान हैं, उन्हें कारोबार विस्तार के लिए 10,000 करोड़ रुपए के फंड्स ऑफ फंड के माध्यम से सहयोग दिया जाएगा।

-जो लोन दिया जाएगा उसे चार सालों में चुकाना है

– एमएसएमई परिभाषा को बदला जाएगा. निवेश सीमा का दायरा बढ़ाया जाएगा, कारोबार आधारित मानदंड पेश किया जाएगा

– 10 करोड़ तक का निवेश और 50 करोड़ के टर्नओवर वाले इंटरप्राइज को स्मॉल यूनिट माना जाएगा, 30 करोड़ तक का निवेश और 100 करोड़ के टर्नओवर वालों को मीडियम इंटरप्राइज माना जाएगा

– 200 करोड़ रुपए तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर नहीं मंगाए जाएंगे

– सिर्फ देसी कंपनियों को ही मिलेंगे ये टेंडर

– अगस्त 2020 तक 3 महीने के लिए ईपीएफ सहायता दी जाएगी। 3.67 लाख प्रतिष्ठानों और 72.22 लाख कर्मचारियों को मदद मिलेगी

– 90 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान बिजली वितरण कंपनियों के लिए किया गया है।

– 15 हजार से कम सैलरी वाले का EPF सरकार देगी, 72 लाख कर्मचारियों को होगा फायदा

– तीन महीने के ईपीएफ के लिए सरकार देगी 2500 करोड़ रुपए

-गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों की लिक्विडिटी की समस्या दूर करने के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम शुरू होगी।

-एनबीएफसी के साथ हाउसिंग फाइनेंस और माइक्रो फाइनेंस को भी इसी 30 हजार करोड़ में जोड़ा गया है। इनकी पूरी गारंटी भारत सरकार देगी।

-45,000 करोड़ रुपए की आंशिक क्रेडिट गारंटी एनबीएफसी को दी जाएगी। इसमें एए पेपर्स और इसके नीचे के रेटिंग वाले पेपर्स को भी कर्ज मिलेगा। अनरेटेड पेपर्स के लिए भी इसमें प्रावधान किया गया है। इससे नई लेंडिंग को बढ़ावा मिलेगा।

-मुश्किल में घिरी राज्यों की पावर जनरेटिंग कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए 90,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। डिस्कॉम यानी पावर जनरेटिंग कंपनियों को इससे फायदा मिलेगा।

-बिजली वितरण कंपनियों की आय में भारी कमी आई है। बिजली उत्पादन और वितरण करनेवाली कंपनियों के लिए यह प्रावधान किया गया है।

-90 हजार करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों पीएफसी, आरईसी के माध्यम से दिया जाएगा। कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की राहत बिना किसी शर्त के दी जाएगी।

-सभी सरकारी एजेंसियां जैसे रेलवे, रोडवेज कॉन्ट्रैक्ट में 6 महीने का एक्सटेंशन देंगी। इन 6 महीनों के दौरान कॉन्ट्रैक्टर को बिना किसी शर्त के राहत दी जाएगी।

-कॉन्ट्रैक्टर जो आंशिक सिक्योरिटीज देते थे, उसे वापस किया जाएगा।

-मान लीजिए 70 प्रतिशत किसी ने काम किया है तो उसकी बाकी की 30 प्रतिशत गारंटी उसे वापस की जा सकती है। जितना काम होगा, उस आधार पर यह गारंटी रिलीज की जा सकती है।Updating…

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