जोहड़ी, बागपत(उत्तर प्रदेश)। शूटर दादी प्रकाशो और चंद्रों तोमर के लिए मशहूर जोहड़ी गाँव पत्थर की चक्कियों के लिए भी जाना जाता है। इस गाँव में 500 से ज्यादा आटा चक्की बनाने की दुकानें हैं, यहां की आटा चक्की की कई ख़ासियत हैं।
उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद मुख्यलय से लगभग 28 किलोमीटर दूर जोहड़ी गाँव की आटा चक्की कई राज्यों जाती हैं। पत्थरों के पाटों से बनी चक्की लगभग 30 से 40 साल तक आराम से चल जाती हैं। आटा चक्की की दुकान चलाने वाले दीपक शर्मा बताते हैं, “हम आटा चक्की के लिए पत्थर राजस्थान से मंगवाते हैं। सभी दुकानदार इकट्ठा होकर एक साथ मंगवा लेते हैं ताकि कम दामों में सभी के पत्थर दुकान पर आ जाए। इसलिए बागपत के जोहड़ी गाँव की आटा चक्की मशहूर है।
70 वर्षों से होता चला आ रहा है आटा चक्की बनाने का काम
दीपक शर्मा बताते हैं, “हमारी याद से पहले यह काम होता चला आ रहा हैं। पहले दादा, परदादा करते थे आज हम कर रहे हैं, लेकिन हम नए तौर तरीके से कर रहे हैं, लेकिन आज के जमाने मे लागत ज्यादा आ रही हैं मुनाफ़ा बहुत कम हो रहा है, केवल अब तो दाल -रोटी ही इस काम मे चल रही है।”
यहां की आटा चक्की की यह है ख़ासियत
यहां की आटा चक्की इस लिए मशहूर हैं क्योंकि यहां की हाथ से बनी आटा चक्की एक बार खरीदने पर लगभग 50 साल से अधिक चलती हैं, केवल उसकी समय से मरम्मत होती रहनी चाहिए। उसके बाद से इसकी लाइफ़ बढ़ जाती है। और सबसे अहम बात यह है कि चक्की की इस तरह सेटिंग की जाती हैं अगर चक्की पर पानी का गिलास भर कर रख दिया जाए तो वो छलकता भी नही हैं। मतलब यह है कि चक्की पिन ड्राप साइलेंट पर चलती हैं।