यूपी: मिर्जापुर में किसानों ने 2019 में बेचा था धान, अब तक बकाया हैं 42 लाख रुपए, बीकेयू का प्रदर्शन

यूपी के मिर्जापुर जिले में साल 2019 में 42 लाख रुपए से ज्यादा का धान बेचने वाले 23 किसान दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं। इन किसानों के बकाए का भुगतान, धान खरीद में हीलाहवाली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए भारतीय किसान यूनियन ने प्रदर्शन किया।

Brijendra DubeyBrijendra Dubey   6 Jan 2022 1:45 PM GMT

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मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)। बुजुर्ग किसान बाबूलाल सिंह ने दिसंबर 2019 में 124 कुंटल धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी केंद्र पर बेचा था, जिसके 2 लाख 27 हजार रुपए दो साल बाद भी नहीं मिले हैं। अपनी मेहनत की कमाई के लिए दर-दर भटक रहे बाबू लाल सिंह 6 जनवरी को मिर्जापुर कलेक्ट्रेट में किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुए।

कड़ाके की सर्दी के बीच प्रदर्शनकारियों के बीच बैठे चुनार तहसील में फिरोजपुर कंदवागांव के रहने वाले 62 साल के बाबू लाल सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, "क्या बताए साहब हम दो वर्षों से परेशान हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। 23 दिसंबर 2019 को हमने अपना 124 कुंटल धान कोलना साधन समिति पर बेचा था, जिसके 2,27,540 रुपए आज तक नहीं मिले हैं। हम कई बार समिति के अधिकारियों से लेकर डीएम साहब और लखनऊ तक शिकायती पत्र लिख चुके हैं लेकिन पैसा नहीं मिला है।"

मिर्जापुर कलेक्ट्रेट में 6 जनवरी को प्रदर्शन करते भारतीय किसान यूनियन के नेता।

मिर्जापुर कलेक्ट्रेट में धान के बकाए के प्रदर्शन करने वालों में बाबूलाल अकेले किसान नहीं थे, 23 दूसरे किसान भी एमएसपी पर बेचे गए अपने धान के बकाए के लिए परेशान हैं। इन 23 किसानों का सरकारी एजेंसियों पर कुल 2324.600 कुंतल धान का 4265641 बाकी है। इन किसानों के बकायों का मुद्दे को लेकर कई बार फाइलें इधर से उधर हुईं लेकिन किसानों के खातों में पैसा नहीं पहुंचा।

जिले के सहकारिता विभाग ने 2019 के बकाए किसानों के मुद्दे पर एक जांच कमेटी का भी गठन किया था, समिति ने 21 दिसंबर 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया कि जिले की दो समितियों साधन सहकारी समिति कोलना, विकासखंड नरायनपुर और क्षेत्रीय सहकारी समिति लिमिटेड भुईली विकासखंड जलालपुर में 23 किसानों ने अपनी उपज बेची, जिससे रिकॉर्ड मिले हैं। इस समिति ने कहा था दोनों समितियों पर उक्त किसानों के पैसों का भुगतान अब तक लंबित है।

किसानों के प्रदर्शन के बाद पीसीएफ अधिकारियों ने लखनऊ को लिखा खत, दूसरी बीकेयू का ज्ञापन।

6 जनवरी को किसानों के कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के बाद मामला फिर गर्मा गया। जिसके बाद 6 जनवरी को ही पीसीएफ, मिर्जापुर के जिला प्रबंधक ने कार्यकारी प्रबंधक लखनऊ को खत लिखकर उक्त किसानों को बकाए के संबंध में खातों में पैसा भेजने (आरटीजीएस) अनुरोध किया है।

मिर्जापुर के अधिकारियों से मिले आंकड़ों के मुताबिक जिले में 5 जनवरी 2021 तक 21428 किसानों से 108030.07 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है। जिसके सापेक्ष में किसानों को एमएसपी का 75.48 फीसदी भुगतान हो चुका है। आंकड़ों के अब तक की खरीद जिले के लक्ष्य की तुलना में 47.07 फीसदी है।

जिलाधिकारी कार्यालय पर ज्ञापन देते किसान।

वहीं अगर प्रदेश स्तर की बात करें योगी आदित्यनाथ सरकार ने धान खरीद वर्ष 2021-22 में 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा था। खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट के मुताबिक 6 जनवरी तक प्रदेश में 684618 किसानों से 44.81 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुका है। इस साल प्रदेश के 1346555 किसानों ने धान की बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीकरण किया है। प्रदेश में 4634 खरीद केंद्र बनाए गए हैं।

किसान यूनियन ने उठाया धान खरीद में धांधली का मुद्दा

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव प्रहलाद सिंह ने गांव कनेक्शन से कहा कि एक तरफ जहां 23 किसानों का पिछले वर्षों का बकाया नहीं मिल रहा है, वहीं इस बार मेहनत से उगाए गए धान की तौल नहीं हो पा रही है।

उन्होंने कहा, "जनपद मिर्जापुर में धान खरीद ऑफलाइन शुरू हुई है, सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 24 दिसंबर को धान खरीद की ऑनलाइन व्यवस्था की गई, दो तीन दिन बाद इस आदेश को निरस्त कर दिया और फिर से ऑफलाइन खरीद प्रक्रिया शुरू हो गई, जिससे किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है। बार-बार नियम बदले जा रहे हैं।" उन्होंने सरकार से मांग की कि किसान इतना तकनीकी जानकार नहीं होता है, इसलिए बार बार नियम न बदले जाएं इसके अलावा एक किसान से एक बार में 60 कुंटल की जगह 100 कुंतल की तौल की जाए।

भारतीय किसान यूनियन ने जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कहा कि धान क्रय नीति 2021-22 में ऑनलाइन टोकन से धान खरीद होनी थी लेकिन फिर से ऑफलाइन किया गया। 1 महीना 23 दिन व्यवस्था रही अब फिर 24 दिसंबर से ऑनलाइन की गई, 2-3 दिन बाद फिर से ऑफलाइन किया गया है। किसानों को बार-बार टोकन लेना पड़ रहा है। जिससे किसान का धान तौला नहीं जा रहा है. 15-15 दिन किसान केंद्रों पर लाइन में लगने को मजबूर है।


भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव सिद्धनाथ सिंह ने कहा, "धान खरीद में भारी भ्रष्टाचार है। किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है। एक महीने में सरकार की 4 बार व्यवस्थाएं बदली जा रही हैं कभी ऑनलाइन व्यवस्था तो कभी ऑफलाइन व्यवस्था, किसान परेशान हो गया है। परेशान किसान 1200-1300 में अपना धान बेचने को मजबूर है। साधन सहकारी समिति पर यूरिया खाद नहीं है, किसान बाजार में यूरिया खरीदने जा रहा है तो 296 रुपए बोरी की यूरिया 300 से 400 रुपए तक यूरिया खाद बेची जा रही है।"

किसान यूनियन इसके अलावा बोरो की कमी और जिले में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उलब्ध कराने की मांग की है। किसानों ने कहा कि पिछले कई वर्षों से राजकीय कृषि रक्षा इकाई केंद्रों कीटनाशक खरपतवार नाशक नहीं आ रही हैं, जिससे उन्हें महंगे दामों पर बाजार से लेना पड़ रहा है। किसानों ने पीसीएफ के क्रय केंद्रों पर बोरों के अभाव का भी मुद्दा उठाया।

जिला खाद्य विपणन अधिकारी धनंजय सिंह से जब गांव कनेक्शन ने बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि यह परिवर्तन टोकन व्यवस्था में शासन के स्तर से हो रहा है, जिले स्तर से कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है, बाकी जैसा शासन का निर्देश था वैसा हो रहा है।

व्यापारी कर रहे गड़बड़झाला

मिर्जापुर जिले के लालगंज थाना क्षेत्र में अमहा माफी, कनौड़ी राजा, घुरमा, नेवढ़िया, तिखोर, हरदिहा, जगदीशपुर, शिवराजपुर, लालगंज, रानीबारी समेत दर्जनों इलाकों में पिछले कुछ समय से तरौली सोनाई गांव निवासी एक व्यापारी बाबूलाल केसरी अपने साथी शिवमूर्ति के साथ किसानों से धान खरीद रहा था। किसान का आरोप है कि पैसे मांगने पर व्यापारी कह रहा था कि खरीद केंद्र पर चलकर अंगूठा लगा देना और भुगतान हो जाएगा लेकिन बाद में वो फरार हो गया। किसानों के काफी खोजबीन की लेकिन व्यापारी नहीं मिला तो 5 जनवरी को किसानों ने थाना लालगंज पर शिकायती पत्र देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग करने की है। इस संबंध में व्यापारी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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