अंकित चौहान, कम्युनिस्ट जर्नलिस्ट
अरावली (गुजरात)। इस समय देश की सबसे बड़ी समस्या पानी की हो रही है। लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में हम आपको एक ऐसे गांव लेकर जा रहे हैं, जहां लोगों की सुबह पानी की किल्लत के साथ ही शुरू होती है। इस गांव का नाम मेघरज तहसील है।
इस पूरे गांव में आदिवासी लोग रहते हैं। इस गांव में सालों से पानी की किल्लत है, लोग दूर-दूर तक सिर पर मटका रखकर सड़क पर टहलते मिल जाएंगे। सरकार ने नर्मदा का पानी यहां तक तो पहुंचाया है, जहां पानी लेने के लिए एक लंबी लाइन से होकर गुजरना पड़ता है। वहां भी एक रस्सी व बाल्टी से पानी निकालकर लोगों को दिया जाता है।
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10 वीं कक्षा में पढ़ने वाली सोनू ने बताया कि यहां पानी के बड़ी समस्या है। पानी लेने के लिए 2 किमी चलना पड़ता है और अधिक से अधिक 2 बाल्टी पानी ही आता है। ऐसे में घर पर पशु भी पाले गए हैं, तो उनके लिए भी व्यवस्था करनी पड़ती है।
यह गांव अरावली जिले के मुख्यालय मोडासा से करीब 35 किमी की दूरी पर है। गांव के लोगों के अनुसार यहां कोई भी अफसर नहीं आता है और ना ही यहां की समस्या उनतक पहुंच पाती है। ऐसे में इस कड़ी धूप में लोगों को 2 किमी तक पानी लेने के लिए पैदल जाना पड़ता है। यहां की सूनसान सड़कों पर कड़ी धूप में महिलाएं अपने बच्चों को गोद में लेकर सिर में एक मटका रखकर जाते हुए दिखाई दे देंगी।
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वहीं पैमजी भाई ने बताया कि हमारे गांव की सबसे बड़ी समस्या पानी है। गांव में ही नर्मदा नदी का टैंग बनाया गया है वहां पानी लेने के लिए सुबह 6 से जाना पड़ता है। दोपहर तक थोड़ा बहुत ही पानी मिल पाता है। ऐसे में घर पर नहाने धोने, पानी पीने और जानवरों के लिए पानी एक विकट समस्या है।
पानी को लेकर वर्षा ने बताया कि हमारे घर पर पानी की बहुत तकलीफ है, घर का सारा कामधाम छोड़कर पानी लेने जाना पड़ता है। ऐसे में एक चक्कर में एक बेड़ा (बाल्टी) पानी आता है।