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शौक को बनाया कमाई का जरिया: आज देश के कई शहरों तक जाते हैं इनकी नर्सरी में तैयार फूलों और सब्जियों के पौधे

सचिन कोठारी ने दस साल पहले दिल्ली में नौकरी छोड़कर देहरादून के मालदेवता में पौधों की नर्सरी का व्यवसाय शुरू किया और आज साल भर में उनके यहां तैयार हुए फूलों और सब्जियों के 10 लाख पौधे देश के अलग-अलग शहरों तक जाते हैं। इस व्यवसाय की सबसे अच्छी बात है यह साल भर चलता रहता है।
plant nursery

पेड़-पौधों का शौक बहुत सारे लोगों को होता है, लेकिन अगर इसी शौक को व्यवसाय बना लिया जाए तब, सचिन कोठारी ने ऐसी ही एक शुरूआत की है और सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं।

उत्तराखंड के देहारादून जिले के रायपुर ब्लॉक के मालदेवता के पास सरखेत गांव में दस साल पहले सचिन कोठारी (39 वर्ष) ने पौधों की नर्सरी की शुरूआत की थी। आज आठ-दस लोगों को भी रोजगार दे रखा है। सचिन मौसम के हिसाब से फूलों और सब्जियों के पौधे तैयार करते हैं।

सचिन की माने तो कोविड काल में सब्जियों के पौधों की ज्यादा बढ़ गई है। सभी फोटो: दिवेंद्र सिंह

नर्सरी की शुरूआत के बारे में सचिन बताते हैं, “मैंने भी कई दूसरों की तरह बीकॉम किया, फिर एमबीए उसके बाद चार साल तक दिल्ली में कॉरपोरेट में नौकरी भी की लेकिन वहां पर कॉरपोरेट प्रेशर ज्यादा था, तब मुझे लगा कि कुछ अपना करना चाहिए, जिसमें सुकून भी रहे और कमाई भी हो, फिर क्या वापस आ गया।”

सचिन पॉलीहाउस में पौधे तैयार करते हैं, पॉलीहाउस में पौधे तैयार करने के अपने अलग फायदें हैं। सचिन कहते हैं, “पॉलीहाउस में लगाने का यह फायदा है कि पौधों को सर्दियां खत्म होने से पहले तैयार हो जाते हैं, हम दूसरी नर्सरियों से पहले पौधे तैयार कर लेते हैं। जबकि अगर बारिश होती है तो बारिश से भी पौधे सुरक्षित रहते हैं, जैसे अभी बारिश हुई थी, उसमें गोभी जैसे पौधों की नर्सरी खराब हो गई थी, लेकिन हमारे यहां सारे पौधे सुरक्षित हैं।”

साल भर तैयार करते हैं लगभग दस लाख पौधे

सचिन कोठारी मौसम के हिसाब से फूलों और सब्जियों को तैयार करते हैं, जिससे साल भर उनकी नर्सरी चलती रहती है। जैसे कि अभी पेटूनिया, डहेलिया और गेंदा जैसे फूलों के पौधे और गोभी, शिमला मिर्च, ब्रोकली जैसे सब्जियों के पौधे सर्दियों के लिए तैयार हो गए हैं।

देश के बड़े शहरों तक जाते हैं पौधे

देहरादून के साथ ही सचिन कई बड़े शहरों तक पौधे सप्लाई करते हैं। सचिन बताते हैं, “हम देहरादून के पहाड़ी क्षेत्र में हैं तो नीचे शहर में जितनी भी बड़ी नर्सरियां हैं वहां यहीं से पौधे जाते हैं। इसके साथ ही सहारनपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर जैसे शहरों तक भी हमारे यहां से पौधे जाते हैं।”

दस साल पहले सचिन ने शुरू किया था यह व्यवसाय।

कोकोपीट और नर्सरी ट्रे में तैयार करते हैं पौधे

सचिन नर्सरी ट्रे में कोकोपीट और वर्मी कम्पोस्ट डाल कर उसमें पौधे उगाते हैं। “इस तरीके पौधे उगाने में खर्च तो ज्यादा है लेकिन पैकिंग और ट्रांसपोर्टेशन में आसानी हो जाती है, क्योंकि यह हल्का होता है, इसलिए हम ट्रे में उगाते हैं, “सचिन ने बताया।

कोविड काल में बढ़ गई सब्जियों के पौधों की मांग

कोविड काल में जहां दूसरे व्यवसाय से जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़ा था, नर्सरी का व्यवसाय उस समय भी चलता रहा, बल्कि पौधों की मांग ज्यादा बढ़ गई। सचिन कहते हैं, “कोविड के कारण फूलों के पौधों का तो नुकसान हुआ है, लेकिन सब्जियों के पौधों की मांग और ज्यादा बढ़ गई है, घर में लोग टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, लौकी तोरई जैसी सब्जियां उगाना चाहते हैं।”

पौधों को तैयार करने के बाद पैकिंग में खास ध्यान देते हैं, ताकि दूर तक पौधों को भेजा जा सके।

साल में 15-20 लाख रुपए की बिक्री और 6-7 लाख रुपए की कमाई

पॉलीहाउस का पूरा सेटअप करने में सचिन की लगभग 25-30 लाख रुपए की लागत आयी थी। साल भर में सचिन 15-20 लाख रुपए के पौधे बेच लते हैं, सचिन के अनुसार खर्च निकालकर 6-7 लाख रुपए का मुनाफा हो जाता है।

साल भर मिलता है दस लोगों को रोजगार

सचिन के नर्सरी के व्यवसाय से उन्हें तो फायदा तो हो ही रहा है, गांव के दस और लोगों को भी साल भर काम मिलता रहता है।

आसपास के गांव के कई लोगों को यहां रोजगार मिला हुआ है।

दिल्ली से मंगाते हैं बीज

सचिन फूलों और सब्जियों को तैयार करने के लिए दिल्ली से बीज मंगाते हैं। सचिन बताते हैं, “पौधों को तैयार करने के लिए हम सारे बीज दिल्ली से ही मंगाते हैं, जबकि हमारे सप्लायर उन्हें दूसरे देशों से मंगाते हैं, बीज महंगे तो मिलते हैं, लेकिन जितने अच्छे बीज होंगे उतने अच्छे ही पौधे भी तैयार होंगे।”

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