कांकेर: एक साल में भी पूरे नहीं बन पाए प्रधानमंत्री आवास, कोई किराए के मकान तो कोई तिरपाल के नीचे रहने को मजबूर

Tameshwar SinhaTameshwar Sinha   6 July 2020 5:04 AM GMT

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कांकेर (छत्तीसगढ़)। जून 2019 में जब आवास बनाने की पहली किस्त मिली तो लोगों को लगा कि अब उन्हें बारिश में परेशान नहीं होना होगा, ज्यादातर लोगों ने अपने कच्चे घरों को गिराकर वहां पर ही पक्के मकान बनाना शुरू कर दिया। लेकिन एक साल बीत गए, अभी भी पूरा मकान नहीं बन पाया।

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जून 2019 में पहली किस्त मिलने के बाद मकानों का निर्माण शुरू हो गया था, लेकिन साल भर बीतने के बाद भी दूसरी किस्त नहीं मिलने से आवास निर्माण रुका हुआ है। पहली किस्त मिलने के बाद लोगों ने 5 से 6 फीट तक खुदाई कर भराव कर और पिलर खड़े कर आधार तैयार कर लिया है। दूसरी किस्त नहीं मिलने के कारण आधार से आगे काम नहीं बढ़ रहा है।

छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर जिला अन्तर्गरत किरगापाटी गाँव की जंगली बाई कहती हैं,"जून 2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना हितग्राही सूची में नाम आया था, मेरा घर पहले कच्चा जर्जर था, लेकिन रहने को ठीक था। नया प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए हमने अपना पुराना मकान तोड़ दिया अब साल भर होने जा रहा है, एक बार 25 हजार मिला उसके बाद पैसा नहीं मिलने के कारण घर अधूरा है। अब बरसात भी आ गई है, एक कमरे को आधी पन्नी से ढक के रहना पड़ रहा है पता नहीं कब घर बनेगा।"


साल भर बाद भी दूसरी किस्त नहीं मिलने से आगे का निर्माण नहीं कर पा रहे है। दूसरी किस्त के भरोसे पर लोगों ने मकान तोड़ दिए और अपने ही घर से बेघर हो गए हैं। कोई किराए के मकान में तो कोई खुले में मुश्किल से रह रहा है। तो कोई कर्ज लेकर अपना पैसा लगा कर मकान पूरा निर्माण कर रहा है। छत्तीसगढ़ के लगभग हर जिले में यही स्थिति है।

कांकेर विकासखण्ड अन्तर्गरत साल्हेभाठ गांव के सोनू राम कहते हैं, "घर को यह कह के तोड़ने को बोले कि दिवाली में नए घर मे दिया जलाना, मेरे पास एक जोड़ी बैल है उनके रहने की जगह को भी तोड़ दिया। आज साल भर होने जा रहा है, नींव ही पड़ी हुई है। अभी रहने में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है दो लोग रहते हैं घर मे कोई और नहीं है, छोटे से एक कमरे में रहना होता है डर सताते रहता है।"

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उत्तर बस्तर कांकेर जिले के आंकड़ों की बात करें तो जिले में योजना के 4015 हितग्राहियों को चार किस्तों में 1 लाख 30 हजार रुपए मिलने हैं। सितंबर 2019 में पहली किस्त के रूप 25 हजार रुपए एकाउंट में दिए गए थे। 9 महीने के बाद भी हितग्राहियों को दूसरी किस्त का इंतजार है।

मांदरी पंचायत के रंजीता कुरेटी ने भी अपना मकान थोड़ नया मकान प्रधानमंत्री आवास के तहत बनाना शुरू किया था। लेकिन रंजीता ने साल भर पैसे का इंतजार नहीं किया, रंजीता बताती हैं, "अपने रिश्तेदारों से कुछ कर्ज लिया, बाकी सीमेंट गिट्टी भी उधारी में लेकर अपना मकान बना लिया।" अब रंजीता को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले बाकी किस्तों का इंतजार है। रंजीता बताती हैं कि दुकानदार अब पैसा मांगने लगे हैं और वो पैसा के इंतजार में हैं कि कब मिले जिसे वो अपने रिश्तेदारों का कर्ज चुका पाएं।


इसी पंचायत के सरपंच दशरथ कुरेटी कहते हैं, "पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आठ मकान बनने थे सभी अधूरे हैं, अधिकारी आवंटन न होने की बात कह रहे हैं। ये मेरे पंचायत का ही नहीं बल्कि पूरे आस-पास के गाँवो का प्रधानमंत्री आवास के तहत मकान अधूरा है।"

दशरथ कुरेटी आगे कहते हैं, "अधिकारी तो कह दिए कि आवंटन नहीं हो रहा है, लेकिन गांव वाले रोज हमें ताना मारते हैं कि उन्होंने उनका घर तोड़ा दिया और अब घर नहीं बना रहे हैं, क्योंकि गांव का प्रतिनिधत्व तो हम ही करते हैं, इसीलिए ग्रामीण रोज पूछते हैं जिनका जवाब मेरे पास भी नहीं है।"

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की बात करें तो 4500 आवासों में 4264 के लिए पहली किस्त जारी कर दी गई थी। इसमें आधार तैयार करना था। लोगों ने काम शुरू कर दिया है। दूसरी किस्त की मांग के लिए लोग हर दिन जनपद पंचायत पहुंच रहे हैं लेकिन लोगों को संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।

जिला पंचायत कांकेर के प्रधानमंत्री आवास परियोजना अधिकारी अनिल गोटा कहते हैं, "राज्य के नोडल अकाउंट में अभी पैसा है ही नहीं जिले से प्रस्ताव बना के भेजा गया है जैसे ही आवंटन जारी होगा हम हितग्राहियों मिलेगा।

प्रधानमंत्री आवास के लिए 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार देती है तो 40 फीसदी हिस्सा प्रदेश सरकार को मिलाना पड़ता है। अभी यह असमंजस की स्थिति है कि केंद्र ने राज्य को पैसा नहीं दिया है या राज्य सरकार ने जारी नहीं किया है।

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