प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को लेकर किसानों से मेज पर आकर चर्चा करने और समाधान निकालने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं आंदोलनों को बहुत पवित्र मानता हूं, लेकिन कुछ आंदोलनजीवियों ने किसानों के पवित्र के आंदोलन को अपवित्र किया है। देश को आंदोलनजीवी और आंदोलनकारियों में फर्क करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान जवाब दे रहे थे। पीएम मोदी के भाषण के बाद लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हुए तो सभी संसोधन प्रस्तावों को लोकसभा स्पीकर ने खारिज किया।
किसानों के आंदोलन का आदर करती है ये सरकार
आंदोलन कर रहे सभी किसान भाइयों का ये सदन और सराकर आदर करती है और करती रहेगी। सरकार वरिष्ठ मंत्री लगातार चर्चा कर रहे हैं। जब ये आंदोलन पंजाब में था तब भी और आज भी जब दिल्ली आए हैं। बातचीत में ये खोजने की कोशिश की गई है कि किसानों की आशंकाए हैं। और अगर हम मानते हैं अगर किसानों का नुकसान हो रहा हो तो उसे बदला जाना चाहिए। इसीलिए बिंदुवार चर्चा कर रहे हैं।
Speaking in the Lok Sabha. https://t.co/23xHQXbIxH
— Narendra Modi (@narendramodi) February 10, 2021
एमएसपी को लेकर सदन में हंगामा, लगे नारे- काले कानून वापस लो
कानून लागू होने के बाद देश में न कोई मंडी बंद हुई है और न ही एमएसपी बंद हुई है, बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी हुई है। जिस पर सदन में हंगामा शुरु हो गया। सदन में काले कानून वापस लेने के नारे भी लगे। पीएम मोदी इस हंगामे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये हो हल्ला प्रायोजित है ताकि जो झूठ बाहर बोला गया है उसे छिपाया जा सके।
कृषि कानून छोटे किसानों को उबारने के लिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा देश के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रैक्टर बहुत जरुरी है। हमारी सरकार इस तरफ बल दिया है। हमने एक सौ दस लाख करोड़ के बजट के साथ हमारी सरकार आगे बढ़ रही है। पीएम मोदी के भाषण के दौरान विपक्ष के सांसदों का हंगामा जारी रहा। कांग्रेस के सांसदों ने वॉकआउट किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस के कई सांसदों को तल्ख लहजे में ताकीद भी किया।
नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों की सराहना करते हुए कहा, इस कोरोना काल में भी तीन कृषि कानून लाए गए हैं। बरसों से हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियों को महसूस कर रहा था, उसे उबारने के लिए ये कृषि सुधार लाए गए हैं। कृषि सुधार का सिलसिला बहुत जरुरी हो गया था। उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर चल रहे हंगामे पर भी सवाल किया और कहा कि अच्छा होता हम आंदोलन की वजहों पर चर्चा करते है। उन्होंने कहा कि मैं देख रहा हूं सदन में कांग्रेस के साथी कानून के कलर पर चर्चा कर रहे हैं। ये ब्लैक हा या व्हाइट, अच्छा होता वो उसके कंटेट पर, इसके इंस्टरेस्ट पर चर्चा ताकि ताकि देश के किसानों तक भी सही बात पहुंचती।
पीएम की किसानों से अपील- धान गेहूं से नहीं चलेगा काम, बाजार में मांग के अनुसार उगाइए फसलें
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये सही है कि हमारे यहां मिलियन समस्याएं हैं Million Problems हैं तो बिलियन समाधान Billion Solutions भी हैं। देश चलता है चलता रहेगा और इसी सोच के साथ हमें हिम्मत के साथ आगे बढ़ना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के दौरान देश की एकजुट लड़ाई की तारीफ की, बजट की सराहना की तो अपने संबोधन में उन्होंने देश के किसानों की सराहना और उनसे नई राहें चुनने की अपील की। पीएम ने कहा कि 2014 में मैंने किसानों से अनुरोध किया था कि दाल उगाए। किसानों ने दाल की समस्या को दूर कर दिया। मैं किसानों से कहता हूं कि वो सिर्फ धान-गेहूं न उगाएं, इससे काम नहीं चलने वाला। उन्हें बाजार में मांग के हिसाब से फसलें उगाकर दुनिया को बेचना चाहिए। कुछ साल पहले मुझे हरियाणा का एक किसान मिला था, जो अपनी छोटी सी जगह में दिल्ली के फाइव स्टार होटलों की मांग को देखते हुए छोटे टमाटर और ब्रोकली आदि उगा रहा था। स्ट्रॉबेरी को हम सब मानते हैं कि ठंडे प्रदेशों की फसल है। लेकिन वो गुजरात के कच्छ, मध्य प्रदेश और यूपी के बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी हो रही है, जहां पानी की कमी है। इसके लिए हमें किसानों को थोड़ा गाइड करना होगा और फिर किसान चलने लगेगा।
ट्रिपल तलाक की मांग किसी ने नहीं की थी लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए बने कानून
पीएम ने कहा दहेत प्रथा पर कानून बनाने की मांग बनाने की किसी ने मांग नहीं की लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए जरुरी थे तो बनाए गए। ट्रिपल तलाक की मांग किसी ने नहीं की थी लेकिन समाज के लिए जरुरी थी। शिक्षा का अधिकार, बाल विवाह आदि ऐसे ही मुद्दे थे समाज और देश की तरक्की के लिए उन पर कानून बनाए गए। इस दौरान भी सदन में लगातार नारेबारी होती रही और काले कानून वापस लेने के जाने को लेकर नारे बोले जाते रहे।
ठहरा हुआ पानी बीमारी पैदा करता है, चलता हुआ पानी उमंग
ये सामंतशाही नहीं कि जब मांगा जाए तभी मिले। याचक की तरह मांगने वाली सोच नहीं होनी चाहिए। लोगों की भलाई के लिए सरकारों को योजनाएं आना चाहिए। इस देश के गरीबों ने आयुष्यान योजना नहीं मांगी थी, लोगों ने खाते खुलवाने के लिए रैलियां नहीं निकाली थी। लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान की मांग नहीं कि थी लेकिन हमने 10 करोड़ शौचालय बनवाए।
इस पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब किसानों को नहीं चाहिए तो क्यों दे रहे हैं, इस पर पीएम मोदी ने कहा कि जिन्हें नहीं चाहिए उनके लिए पुरानी व्यवस्था है। उन्हें किसी ने रोका नहीं है। उन्होंने कहा कि ठहरा हुआ पानी होता है वो बीमारी पैदा करता है, चलता हुआ पानी उमंग भर देता है।
पीएम मोदी ने इससे पहले राज्यसभा में कृषि सुधारों को काले कानून कहने और किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष से सवाल किया था। नीचे खबर में पढ़िए पीएम मोदी के राज्यसभा में भाषण की 15 बड़ी बातें।