बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। परंपरागत खेती के दायरे से बाहर निकलकर, कम लागत और कम समय में तैयार होने वाली बेबी कॉर्न की खेती किसानों को भा रही है और इस बार कई किसानों ने बेबी कार्न की खेती की शुरूआत की है।
बाराबंकी जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित ब्लॉक सूरतगंज के अकंबा गाँव के 45 वर्षीय किसान राजा राम वर्मा बताते हैं, “हमने इस बार करीब 3 एकड़ खेत में बेबी कॉर्न की खेती की है और हमारे साथ ही क्षेत्र के कई किसानों ने इसकी खेती करना शुरू कर दिया।”
साल में 4 से 5 बार ले सकते हैं इसकी फसल
आगे बताते हैं कि इस खेती की सबसे अच्छी बात मुझे यह लगती है कि ये मात्र 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है और इस तरह से देखा जाए तो हम किसान साल में चार बार आराम से इसकी खेती कर सकते हैं और अगर समय पर खेती के किसान सभी कार्य पूरे कर लिए जाएं तो बेबी कॉर्न की खेती साल में 5 बार भी की जा सकती है।
पूरे साल हरे चारे की नहीं होती है दिक्कत
आगे बताते हैं कि बेबी कॉर्न की खेती उन किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है, जिन किसानों को अपनी खेती का एक बड़ा हिस्सा अपनी जानवरों के चारे के बोने के काम में लाना पड़ता था बेबी कॉर्न की खेती करने के बाद पूरे साल किसान को हरा चारा मिलता रहता है और इस तरह आम के आम गुठलियों के दाम जैसी बेबी कॉर्न की खेती साबित होती हैं। मात्र 60 से 65 दिनों में तैयार होने के कारण इसका चारा मुलायम बना रहता है और जानवर बड़े चाव से खाते हैं बेबी कार्न फसल के साथ ही इसका चारा भी हाथों-हाथ बिक जाता है।
कृषि सलाहकार डॉ. आशुतोष शुक्ला बताते हैं, “एक एकड़ बेबी कॉर्न की खेती लगभग 10 से 12 कुंतल तक का उत्पादन हो सकता है, बेबी कॉर्न का इस्तेमाल कई तरह के चाइनीस फूड, अचार, खीर, मुरब्बा और बड़े-बड़े होटलों में इसकी तरह तरह की डिश बनाई जाती है। मार्केट में उसका रेट 50 रुपए किलो से लेकर 100 रुपए किलो तक भी रहती है। एक एकड़ की खेती करने में लगभग 10,000 रुपए की लागत आती है एक बार में और मात्र 65 दिनों में किसानों की फसल तैयार हो जाती है।
उन्हें 50 से 60000 का शुद्ध मुनाफा मिलने की उम्मीद होती है और इस तरह देखा जाए एक साल में दो से ढाई लाख रुपए का प्रति एकड़ उत्पादन किया जा सकता है।
आशुतोष शुक्ला आगे बताते हैं कि बेबी कॉर्न की खेती पंक्तियों में करनी है, लाइन से लाइन की दूरी 45 से 60 सेमी. की दूरी पर और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 सेमी. की दूरी पर करनी चाहिए। एक एकड़ खेत में करीब 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है इसके बीज को शोधन करने के लिए कार्बेंडाजिम या बाबिस्टन में बीज को भीगो दें। एक घंटा भीगने के बाद बीज को निकालकर कुछ देर सूखने के बाद खेतों में बो देना चाहिए।
इसकी खेती साल के 12 महीने की जा सकती है, गर्मियों में 10 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए और जड़ों में 15 दिन पर पानी की आवश्यकता होती है जबकि बरसात में नमी को देखते हुए जब आवश्यकता हो तब ही सिंचाई करनी चाहिए।