जैविक खेती बनी बेहतर आमदनी का ज़रिया, 16 एकड़ ज़मीन से 15 लाख की कमाई

#Organic farming

आगर-मालवा (मध्य प्रदेश)। किसान ज्यादा लाभ कमाने की लालच में रासायनिक पद्धति से खेती करते हैं। लेकिन प्रदेश के एक किसान ने सिद्ध कर दिखाया है कि जैविक पद्धति से खेती करके भी लाभ कमाया जा सकता है। यह किसान अपनी 16 एकड़ जमीन पर जैविक खेती करके हर साल 12 से 15 लाख रुपए का लाभ कमा रहा है।

आगर मालवा जिले के बिनायगा ग्राम के किसान राधेश्याम बारह-पंद्रह साल पहले अन्य किसानों की तरह रासायनिक पद्धति से खेती करते थे। इससे उनके कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता था। इससे परेशान होकर वह अपनी खेती बेचने की सोचने लगे थे। लगभग 12 साल पहले एक कार्यशाला के दौरान राधेश्याम को रासायनिक उर्वरक के दुष्प्रभावों के बारे में पता चला। इस पर उन्होंने रासायनिक उर्वरक का उपयोग बंद कर जैविक पद्धति को अपनाना शुरू किया। राधेश्याम अपनी 16 एकड़ जमीन पर जैविक खेती करने लगे।

शुरूआती दौर में राधेश्याम को जानकारी के अभाव में नुकसान भी उठाना पड़ा लेकिन उन्होंने जैविक खेती जारी रखी। उन्होंने गोबर से खाद तैयार कर खेती आरंभ की। जैविक खेती से उसके खेती में होने वाले खर्च में भी कमी आई वहीं पैदावार भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी। राधेश्याम ने अपने घर पर ही जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट व कीट नियंत्रण के साथ-साथ फसल को पौष्टिक बनाने वाले टानिक तैयार कर लिए।

राधेश्याम कहते हैं, ”हर किसान जैविक पद्धति से खाद व दवाई बना सकता है। इसका कोई दुष्प्रभाव न तो फसल पर होता है और न ही फसल से प्राप्त अनाज का सेवन करने से मनुष्य के शरीर पर कोई दुष्प्रभाव होता है। रासायनिक खाद बीज व दवाई से खेत बंजर हो जाते है और रासायनिक प्रक्रिया से तैयार किए गए अनाज से तरह-तरह की बिमारियां भी होती है। स्वस्थ्य रहने के लिए जैविक प्रक्रिया को अपनाना ही होगा।

अब राधेश्याम खुद के खेत में तो जैविक खाद और दवाई का उपयोग कर ही रहे हैं, साथ ही इन प्रोडक्ट्स को पैक कर अन्य गांवों में न्यूनतम मूल्य पर उनकी बिक्री कर अपनी आजीविका भी चला रहे हैं। जिसमें उसका परिवार भी अब उसका साथ देता है।

मात्र मैट्रिक तक शिक्षित राधेश्याम ने हल्दी, मिर्च, सफेद मूसली, सतावर सहित कई तरह की औषधीय सहित सब्जी व अन्य फसलों की जैविक विधि से पैदावार शुरू की। इसके लिए उसने इंटरनेट पर गूगल की मदद से पैदावार बढ़ाने की विधियां खोज कर उनके बारे में कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के बारे में जानकारी ली। साथ ही देश की अलग अलग मंडियों में जैविक फसलों के भावों की जानकारी लेकर अच्छे दामों में बेच रहा है। बाजार में अपनी फसल के जैविक होने के प्रमाण के लिए वह हर वर्ष लेबोरेटरी में टेस्ट कराकर सर्टिफिकेट भी लेते है। जैविक खेती से अच्छी पैदावार के कारण उन्हें सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

किसान राधेश्याम ने जैविक फसलों के लिए अपना एक बीज बैंक भी बनाया है। पहले इस किसान के पास मात्र 16 बीघा ही जमीन थी परंतु जैविक खेती से हुए लाभ से अपनी और जमीन खरीदकर दोगुनी कर ली। बिना किसी सरकारी मदद के जैविक खेती ने इस किसान के जीवन की राह ही बदल दी। 

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