पान की खेती पर मौसम की मार, लागत निकालना भी हो रहा मुश्किल

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दीपक सिंह/रागिनी दुबे, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। इस बार बारिश ने दूसरी फसलों के साथ ही पान की खेती पर भी असर डाला है, पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि सरकारी मदद के अभाव और गुटखा व्यापारियों के बढ़ते कारोबार तो कभी बारिश की मार के कारण हमारी परंपरागत खेती दम तोड़ती नजर आ रही है।

बाराबंकी जिले के त्रिवेदीगंज ब्लॉक के मानपुर गांव में कई किसान पान की खेती करते हैं। लेकिन बारिश से उनकी हालत खराब हो गई है। किसान रामकृपाल चौरासिया कहते हैं, “यही हमारा पुश्तैनी पान का धंधा है इस बार नुकसान बहुत आगे है, बरेजा बनाने का सारा सामान दूर-दूर से लाते हैं और बरसात होने के कारण ये सब सड़ गया। पान के सारे पेड़ दागी हो गए, पान में भी धब्बे लग गए हैं।”

वो आगे बताते हैं, “जैसे धान कि खेती में सहायता मिलती है, उसी तरह सरकार को हमार भी खयाल करना चाहिए। क्योंकि पान की खेती में बहुत मेहनत लगती है, गर्मी दो-तीन बार पानी लगाना पड़ता है। बरसात में थोड़ा बहुत आराम मिलता है, लेकिन ज्यादा पानी हो जाने पर नुकसान हो जाता है। जब से गुटखा-मसाला चला है, उससे भी पान का नुकसान हुआ है, अब तो पान बचा वो भी दागी हो गया तो कोई लेने को तैयार नहीं है।”

उत्तर प्रदेश में पान की खेती के लिए महोबा, वाराणसी, बंथरा, निगोहां और बाराबंकी का इलाका काफी मशहूर है। पान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि, सरकार का सहयोग नहीं मिला तो कुछ समय बाद पान भी गुजरे जमाने की चीज हो जाएगा।

पान की खेती के बारे में बाराबंकी के किसान छेदा लाल बताते हैं, “पान बेहद नाजुक होता है। इसकी खेती घासफूस व लकड़ी के बनाए गए छज्जे के अंदर होती है। इसकी सिंचाई में काफी मेहनत करनी पड़ती है। किसान छेद किए हुए घड़े में पानी भरकर छज्जे के भीतर सिंचाई करते हैं। दिन में कम से कम दो बार यह प्रक्रिया चलती है। इसके बाद पान के एक-एक पत्ते को तोड़ना और फिर घर लाकर यह देखा जाता है कि उसमें दाग तो नहीं है। यह काम काफी कठिन होता है। लेकिन इस बार लगातार बारिश से पान की फसल को खासा नुकसान हुआ है, पान के पत्ते जगह-जगह से सड़ गए हैं. और उनमें दाग पड़ गए जिससे मार्केट में हमारे पाने को कोई नहीं पूछता है।”

मानपुर गांव के किसान नन्हें चौरसिया बताते हैं, “इस साल बारिश की मार ने पान की खेती को काफी प्रभावित किया है, हम लोग परंपरागत पान की खेती कई साल से करते चले आ रहे हैं और यही एकमात्र हमारे आमदनी का जरिया भी है, इस साल बारिश ने पान की फसल को काफी प्रभावित किया है पान के पत्तों पर काले धब्बे होने के कारण मार्केट में अच्छे रेट नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे पान की खेती में इस बार काफी नुकसान हो रहा है।”

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