व्हीलचेयर पर बैठकर दूसरों को जीना सीखा रहे इमरान

इमरान कुरैशी जो खुद मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी घातक बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन पूरी हिम्मत के साथ इस बीमारी से जूझते हुए मरीजों के लिए स्पाईनल लाइफ एनर्जी कोच बन कर जीने की उम्मीद जगा रहे हैं।

Mohammad FahadMohammad Fahad   8 Aug 2019 9:13 AM GMT

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सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश)। नौ साल पहले जब इमरान को जब मल्टीपल स्कलेरोसिस बीमारी का पता चला तो उन्हें लगा कि अब क्या ? लेकिन ऐसे में भी इमरान ने हार नहीं मानी और आज उन्हें 'व्हीलचेयर मैन ऑफ इंडिया' का खिताब भी मिल चुका है।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के एक छोटे से गाँव महमूदपुर भदिया के इमरान कुरैशी जो खुद मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी घातक बीमारी से जूझ रहे हैं। लेकिन पूरी हिम्मत के साथ इस बीमारी से जूझते हुए मरीजों के लिए स्पाईनल लाइफ एनर्जी कोच बन कर जीने की उम्मीद जगा रहे हैं।

एक किसान परिवार में जन्मे इमरान कुरैशी आज से 9 साल पहले इस घातक बीमारी की चपेट में आये थे उस वक़्त उनकी बेटी मिस्बाह सिर्फ 6 महीने की थी। इमरान कुरैशी बताते हैं, "सब कुछ ठीक चल रहा था, एक दिन अचानक महसूस हुआ की आंखे हल्की हल्की धुंधला रही हैं, एक दो दिन बीतने के बाद लगभग 75 प्रतिशत आँखों की रौशनी जा चुकी थी। सुल्तानपुर के एक अस्पताल में दिखने पर डॉक्टर ने लखनऊ के लिए रिफर कर दिया गया था।"


लखनऊ में अपना इलाज कराके इमरान कुरैशी वापस अपने गाँव लौट गए, सब कुछ पहले के जैसा हो गया इमरान की आँखों की रौशनी वापस आ चुकी थी। लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था लगभग एक साल के बाद मल्टीपल स्क्लेरोसिस बीमारी ने अपना रंग दिखाना शुरू किया इस बार आँखों पर नहीं पैरों पर असर पड़ना शुरू हुआ।

पहले पैरों में दर्द होना शुरू हुआ फिर धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी से लेकर नीचे पैरों तक की ताकत कम होने लगी। पहले की तरह इस बार भी सुल्तानपुर में इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों ने स्थिति को भांपते हुए मुंबई इलाज के लिए रिफर किया गया। इमरान इस बात को बताते हुए काफी भावुक हो गये थे, उनका दर्द साफ़ देखते बन रहा था जब उन्होंने ये बात कही की "वो मुंबई का सफ़र मेरी जिंदगी का आखिरी सफ़र था जो मैंने अपने पैरों पर किया था'

मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी घातक बीमारी में देखा गया है कि अक्सर मरीज़ जीने की ख्वाहिश छोड़ देते है। आज इमरान कुरैशी ऐसे ही मरीजों में जीने की लालसा जागते है और उनको इस बात का एहसास दिलाते है की आप भले ही व्हीलचेयर पर अपनी जिंदगी बिता रहे हों, मगर आप किसी से कम नहीं है।

इमरान कुरैशी पूरे देश में घूम-घूम कर ऐसे मरीजों के लिए कैंप का आयोजन करते है जहां मल्टीपल स्क्लेरोसिस बीमारी से जूझते हुए लोगो को ये सिखाया जाता है की आप अपनी व्हीलचेयर को ही अपने पैर कैसे बना सकते है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस बीमारी से जूझते हुए लोग कैसे शौचालय का इस्तेमाल करेंगे, कैसे गाड़ी चलानी है, कैसे अकेले ट्रेवेल करना है, व्हीलचेयर से कैसे जीने चढ़ना उतरना है, इन सब की ट्रेनिंग आज इमरान कुरैशी अपने कैंप के माध्यम से देते हैं।


आज जब दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में मल्टीपल स्क्लेरोसिस बीमारी के मरीज़ डॉक्टर के पास पहुचते हैं तो डॉक्टर मरीज़ से कहता है हॉस्पिटल से निकलने बाद सबसे पहले इमरान कुरैशी से मिलना ताकि आप लोग को जीने का मकसद पता चल सके। इमरान कुरैशी बात करने पर बड़े अच्छे अंदाज़ में खुश हो कर बताते हैं, "मुझे फिल्म हॉलिडे में अक्षय कुमार के साथ काम करने का मौका भी मिला चुका है।" स्पाइनल लाइफ एनर्जी कोच के साथ-साथ इमरान एक अच्छे चित्रकार भी हैं और व्हीलचेयर पर जिंदगी गुजरने के बावजूद इमरान में एक अनोखी ताकत देखने को मिलती है जो हम सब के लिए एक मिसाल है।

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