युवा वैज्ञानिक के इस शोध से प्लास्टिक कचरे से बनेगा पेट्रोल-डीजल

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गुणानंद ध्यानी, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)। युवा वैज्ञानिक ने एक ऐसा शोध किया है, जिससे कचरे की समस्या का हल तो निकलेगा ही, साथ ही पेट्रोल-डीजल की कमी को भी पूरा कर लिया जाएगा।

गोरखुपर के चरगांवा के रहने वाले युवा वैज्ञानिक शिवम पांडेय पर्यावरण के लिए मुसीबत बन चुके प्लास्टिक कचरे से पेट्रोलियम पदार्थ (कच्चा तेल) बनाने वाले हैं। शिवम ने इस फार्मूले का पेटेंट भी करा लिया है। अब वे अपनी फैक्ट्री लगाने जा रहे हैं। 56 लाख के उनके प्रोजेक्ट को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने ऋण देने की मंजूरी भी दे दी है। शिवम का दावा है कि उनकी फैक्ट्री से रोजाना 3300 लीटर कच्चा तेल तैयार होगा।

शिवम बताते हैं, "एक लीटर तेल की लागत सिर्फ 20 रुपए आएगी जबकि बाजार में कच्चे तेल की कीमत करीब 45 से 50 रुपए प्रति लीटर है। मैंने चार साल पहले 10वीं कक्षा में ही मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से जुड़कर रिसर्च शुरू कर दिया था।"

प्लास्टिक से तेल बनाने के आइडिया के बारे में शिवम कहते हैं, "जब मैंने जलते हुए प्लास्टिक से तेल जैसा द्रव्य गिरता देखा तभी विचार आया कि हाइड्रोकार्बन को भी तोड़ा जा सकता है। इसी के बाद प्लास्टिक और पॉलीथिन को डीकंपोज करने का ख्याल आया।"

इसके बाद शिवम ने घर पर ही मॉडल के रूप में प्रयोग किया। इसमें सफलता मिली तो असम यूनिवर्सिटी में जाकर रिसर्च किया। शिवम के इस कच्चे तेल को इंदौर की कंपनी हीरा एनर्जी सिस्टम खरीदने के लिए तैयार है। कंपनी एक लीटर तेल की कीमत 37 रुपए देगी।

प्लास्टिक से कच्चा तेल बनाने के लिए शिवम इसमे कुछ और चीजें मिलाते हैं जिसके बाद एक किलो प्लास्टिक से वह 1200 एमएल डीजल और पेट्रोल बनाते हैं। उनकी यह खोज सात सालों की मेहनत का नतीजा है। शिवम का कहना है कि अभी मथुरा और कानपुर में उनके प्लांट हैं। और जल्द ही गोरखपुर में प्लांट लगाया जाएगा। इसके साथ ही युवा वैज्ञानिक का कहना है कि सरकार का सहयोग और फंडिग में कोई कठिनाई नहीं आई तो देश के 15 राज्यों में कचरे से तेल बनाने का प्लांट स्थपित कर लिया जायेगा।

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