स्वयं सहायता समूह बनाकर दिया महिलाओं को रोज़गार

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मेरठ (उत्तर प्रदेश)। कुछ साल पहले तक सोहनवीरी देवी के पास अपना खुद का घर नहीं था, जब वो गाँव के सेक्रेटरी के पास गईं तो उन्होंने कहा कि आज तुम्हारे पास घर नहीं है, कल दूसरों के लिए घर बनवाओगी। आज सोहनवीरी ने 100 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दिया है।

मेरठ जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी दूर रजपुरा ब्लॉक के दतावली गाँव की सोहनवीरी को महिला सेक्रेटरी महिला समूह बनाने के लिए कहा बस फिर क्या था सोहनवीरी ने अपने गांव की महिलाओं को साथ लिया और महिलाओं का समूह बनाया। आज उनके साथ लगभग 100 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं और जो महिलाओं के मुद्दे पर काम कर रही हैं। इतना ही नहीं सोहनवीरी का मकान भी बन गया है और गरीब महिलाओं का रोजगार देकर मकान बनवा रही हैं।

उन्होंने उन गरीब महिलाओं को साथ लिया जिनके हाथ में हुनर था जिस महिला पर सिलाई आती है उसे कपड़े सिलने को थे, जिसे अचार बनाने का काम आता है उसे वही काम सौंपा आज लगभग इस महिला समूह में 100 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं और सभी को रोज़गार मिला हुआ है और काफी खुश हैं।

गाँव की सभी महिलाएं प्यार से बोलती हैं दीदी 

सोहनवीरी बताती हैं, “अब गांव की महिलाएं मुझे दीदी बोलकर बुलाती हैं और मुझे बहुत अच्छा लगता है आज मेरे साथ महिलाएं काम कर रही हैं मैं चाहती हूं कि हमारा नाम रोशन हो और हमारा महिला समूह सबसे आगे रहे गरीबों की आवाज बने क्योंकि आज के जमाने में गरीबी को अपने पास बैठा भी पसंद भी नहीं करते, तो खुद हमने जिम्मा संभाला है।”

तैयार करती हैं 25 से 30 उत्पाद

सोहनवीरी आगे बताती हैं, “हम सभी महिलाएं अलग-अलग काम करती हैं जिनको जो काम आता है तो वह करती हैं हमारे पास लगभग 25 से 30 उत्पाद हैं, जिसमें आम का अचार, सेंधा नमक, काला नमक, जीरा, मिर्च, धनिया, ऊनी कपड़े, डॉक्टर के लिए गाउन, हम सभी महिलाएं एक जगह इकट्ठे होकर काम करती हैं।

उद्यान विभाग की और से कई बार सम्मानित भी हो चुका हमारा समूह

सोहनवीरी बताती हैं कि हमें गाँव में नहीं बल्कि जिले स्तर पर हमें कई पत्र प्राप्त हुए हैं जिसमें हमारे कार्य को सराहा गया है, और हमें काफी अच्छा लगता है हमें इन पत्र को देखकर बढ़ावा भी मिलता है, बस लोगों का ख्याल रखते हैं ताकि अच्छा खाना हम घर घर तक पहुंचा सकें।

100 से अधिक महिलाओं को घर बैठे काम दे रही हैं गाँव की दीदी

समूह में काम करने करने वाली रूपा देवी बताती हैं कि हमारी दीदी घर बैठकर ही गांव में काम दे रही हैं जिससे हम अपना कार्य करते हैं और कहीं बाहर भी जाना नहीं पड़ता वह आगे कहती हैं कि माहौल इतना खराब है कि बाहर निकलना भी दुर्भर है, इसलिए काफी हमें अच्छा लगता है कि हमारी दीदी बाहर से लाकर हमें कार्य करने के लिए कहती हैं और अच्छे पैसे भी हम सब महिलाओं को मिल जाते हैं, जिससे हमारा घर का खर्च अच्छा चलता है।

उत्पाद तैयार करने से लेकर पैकिंग तक करती हैं

सोहनवीरी बताती हैं कि हम गांव किसानों से रॉ मटेरियल खरीद कर लाते हैं और उसकी अच्छे से साफ सफाई कर उन्हें पैकिंग करके अच्छे दामों में बेचते हैं, जिससे हमें दोगुना लाभ मिलता है और जो मेरे साथ महिलाएं काम कर रही हैं उनकी मेहनत भी अच्छे से निकल जाती है और लोगों को अच्छा मिर्च-मसाले या खाने का सामान भी मिल जाता है। 

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