रेशम उत्पादन की पूरी जानकारी, कब और कैसे कर सकते हैं शुरूआत

Mohit SainiMohit Saini   3 Jan 2020 11:53 AM GMT

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सरधना, मेरठ(उत्तर प्रदेश)। खेती में अगर कोई किसान कुछ नया करना चाहता है, तो रेशम कीट पालन की शुरूआत कर सकता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह होती है कि रेशम कीट के अंडों से लेकर रेशम बेचने तक, सब में रेशम विभाग पूरी मदद करता है।

मेरठ मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर सरधना ब्लॉक के गाँव के पूर्ण सिंह ने दो एकड़ जमीन में शहतूत के पेड़ लगाए हैं। इससे वो रेशम बनाने का काम कर रहे हैं। वो बताते हैं, "हमारे गाँव के पास ही रेशम विभाग है, जहां से हमें पूरी जानकारी मिली कि मल्टीक्रॉपिंग में रेशम कीटपालन कर सकते हैं और अच्छा मुनाफ़ा मिलेगा, हमनें बिना सोचे शहतूत के पेड़ लगाए और आज हम पीले व सफेद रंग के रेशम तैयार कर रहे हैं। हम साल में चार बार रेशम बनाते हैं।"

वहीं रेशम विभाग के सहायक रेशम अधिकारी जीआर शर्मा कहते हैं, रेशम कीटपालन ग्रामीण कुटीर उद्योग एक महत्वपूर्ण अंग है जो ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर प्रदान कराता है अगर हम मेरठ जनपद की बात करें तो लगभग 200 से 250 किसान रेशम कीटपालन कर रहे हैं। इस उद्योग में परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर काम कर सकते हैं और यह कभी न खत्म होने वाला उद्योग भी कहलाता है।"


विभाग ही किसानों से खरीद लेता है रेशम

पूर्ण सिंह बताते हैं, "जब हम रेशम तैयार कर लेते हैं तो वह अच्छे दामों पर रेशम विभाग ही खरीद लेता है। अगर हम बात करें रेशम की तो रेशम दो प्रकार के होते हैं सफेद रेशम पीला रेशम सफेद रेशम की कीमत 500 प्रति किलो के हिसाब से विभाग हमें देता है। पीले रेशम की कीमत 300 प्रति किलो के हिसाब से दिखता है दोनों रेशम को रेशम विभाग ही खरीद लेता है।"

25 से तीन दिनों में तैयार हो जाते हैं रेशम कीट

पूर्ण सिंह बताते हैं कि विभाग 10 दिन तैयार करके रेशम कीड़ा किसानों को देता है और उसके बाद 20 से 25 दिन तक किसानों को देखभाल करनी होती है, जिसमें शहतूत की पत्तियां खिलाई जाती है और 20 से 25 दिन में ही हमारा रेशम तैयार हो जाता है।

विभाग से मिल जाते हैं कीट से लेकर शहतूत के पेड़

पूर्ण सिंह आगे बताते हैं कि रेशम विभाग किसानों को गांव में जाकर रेशम कीटपालन की ट्रेनिंग देते है। इतना ही नहीं बल्कि रेशम तैयार होने के कीड़े से लेकर शहतूत के पौधे भी कम दामों पर किसानों को देते हैं जिससे किसानों को काफी लाभ होता है। इसकी साल में छटाई भी होती है, जिससे टोकरी बनाने वाले लोग खरीद लेते हैं।

कमरे के तापमान को रखा जाता है नियंत्रित

पूर्ण सिंह आगे बताते हैं कि जब हम रेशम कीटपालन करते हैं तो कमरे का खासा ख्याल रखना पड़ता है उसका टेंपरेचर 26 डिग्री से लेकर 27 डिग्री तक होना चाहिए। आर्द्रता 80 से लेकर 85 प्रतिशत होनी चाहिए जिससे रेशम कीड़े को कोई बीमारी ना लगे और अच्छा रेशम भी तैयार मिले।

ये भी पढ़ें : ऐसे बनते हैं रेशम के धागे, जिनसे बनती हैं रेशमी साड़ियां


    

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