पुष्पेंद्र वैदय, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
देवास(मध्य प्रदेश)। सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को उत्पादन की अच्छी उम्मीद थी, लेकिन फसल में फलियां ही नहीं लगी, मजबूरी में किसान सोयाबीन की खड़ी फसल काटकर पशुओं को खिला रहे हैं।
मध्य प्रदेश के देवास जिले में विजयनगर मेंडिया, धनोरी, बडिया, मांडू, इस्लामनगर, हीरापुर जैसे कई गाँवों में सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है। किसानों के खेतों में सैकड़ों बीघा फसल में फलियां नहीं लगने से किसानों की चिंता बढ़ गई है।
किसान घनश्याम पाटीदार कहते हैं, “साहूकार से कर्ज लेकर फसल बोई थी लेकिन प्रकृति की मार के चलते फसल बर्बाद हो गई है। अभी तक कृषि विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जायजा भी नहीं लिया है। इलाके के विधायक मनोज चौधरी ने दौरा किया था और सर्वे करवाने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कोई भी नहीं पहुंचा।”
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मध्यप्रदेश में सोयाबीन खरीफ की एक प्रमुख फसल है, जिसकी खेती लगभग 53.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। देश में सोयाबीन उत्पादन के क्षेत्र में मध्य प्रदेश का पहला स्थान है, जिसकी हिस्सेदारी 55 से 60 प्रतिशत के बीच है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, नरसिंह, सागर, देवास, दमोह, छतरपुर, खंडवा, देवास जैसे जिलों में सोयाबीन की अच्छी खेती होती है।
किसान कांशीराम पाटीदार कहते हैं, “फसल में फल नहीं आने के कारण अब किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो गया है। हमने साहूकार से कर्ज लेकर खेती की थी, लगा था कि पैसे मिल जाएंगे तो कर्ज चुका देंगे। लेकिन अब कैसे चुका पाएंगे।”
किसानों ने शासन प्रशासन से सर्वे करवाकर मुआवजा देने की मांग की है। अब किसान अपने खेतों से सोयाबीन की फसल को काटकर मवेशियों को खिला रहे हैं। शिकायत के बाद क्षेत्रीय विधायक मनोज चौधरी ने भी क्षेत्र का दौरा किया था और सर्वे करवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक क्षेत्र में कोई भी कृषि अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है। अब क्षेत्र के किसान सर्वे करने की मांग एवं मुआवजे की मांग प्रशासन से कर रहे हैं।