अशोक दायमा, कम्युनिटी जर्नलिस्ट
नागदा (मध्य प्रदेश)। “तेरह बीघा जमीन में 22 हजार रुपए की तो दवाई छिड़क दी, जिसके पास गया उसी ने कहा कि ये छिड़को वो छिड़को, दवाई वाला भी कहता है कि पैसे नगद लाओ, पैसे कहां से लाता, खाने के लिए रखा गेहूं बेचकर दवाई लेकर आया। अब क्या करूं सारा गेहूं बेच दिया, “अपने बर्बाद सोयाबीन की फसल में खड़े किसान जीवन सिंह आंजना कहते हैं।
जीवन सिंह मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नागदा के रहने वाले हैं, उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई है। वो आगे कहते हैं, “अब क्या करूं सारा गेहूं बेच दिया अब खाने के लिए भी गेहूं नहीं है, समूह से लोन लिया है तो औरत से लोग कहते हैं, मेरी औरत भी मुझे गाली देती है, अब मैं क्या करूं, कैसे जिऊं मैं। पानी इतना गिर रहा है क्या करें, लागत इतनी ज्यादा हो गई, 22 हजार की तो मैंने दवाई ही छिड़क दी है, कितनी सारी दवाई छिड़क दी, पैसे खत्म हो गए तो गेहूं बेचकर दवाई ले आया। दवाई छिड़कने पर थोड़े बहुत फूल आए तो ये पानी बरसने लगा, अब क्या करें।”
जीवन सिंह की तरह पूरे मध्य प्रदेश के किसानों का यही हाल है। पिछले दो महीने से लगातार हो रही बारिश ने उड़द और सोयाबीन की फसल बर्बाद कर दी है। कहीं-कहीं 100 फीसदी तो कहीं 80 से 90 फीसदी चौपट हो चुकी है।
किसानों के लिए पीला सोना कहे जाने वाला सोयाबीन पर इस बार प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया है कि किसान इसकी खेती ही छोड़ने की ही बात कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार प्रदेश में अभी तक बारिश के कारण लगभग 60 लाख एकड़ की फसल बर्बाद हो चुकी है। इससे 22 लाख किसानों के लगभग 9 हजार 600 करोड़ रुपए डूब चुके हैं। फाइनल आंकड़े आने अभी बाकी हैं लेकिन इन आंकड़ों से भी बदहाली की अंदाजा लगाया जा सकता है।
वो आगे बताते हैं, “अब क्या करुंगा, दो-ढाई लाख रुपए का कर्ज है, उतना ही बैंक से कर्ज है, और समूह से भी ले रखा है, अब फसल बर्बाद हो गई, अब कहां से चुकाऊंगा, अब मरूं की जिऊं कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
उज्जैन मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक जिला है। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी नागदा के ढेलनपुर गांव के नारायण पाटीदार ने कहते हैं, ” इस बार शुरू में तो बारिश ही नहीं हुई। डर के मारे में हमने खरीदकर खेतों में पानी पहुंचाया जिससे बहुत पैसा खर्च हुआ। और अब बारिश इतनी हो गई कि लगभग 80 फीसदी बर्बाद हो गई है। अभी तो और बारिश होने वाली है। रही-सही फसल बर्बाद हो जायेगी। खेतों में पानी जमा है जिस कारण सोयाबीन की जड़ें गलने लगी हैं। पत्तियां भी सड़ रही है।”