खेत के एक-एक इंच का सही इस्तेमाल इस महिला किसान से सीखिए

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रांची (झारखंड)। जमीन के एक-एक इंच का खेती करने में कैसे सही उपयोग करें अगर ये कला सीखनी है तो झारखंड की इन महिलाओं से सीखिए। जो जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों में बिना रासायनिक खाद डाले अच्छी खेती कर रही हैं।

रांची जिला मुख्यालय से लगभग 63 किलोमीटर दूर सिल्ली ब्लॉक के सतपाल गाँव की रहने वाली पिंकी देवी ने आजीविका कृषक मित्र का पहले प्रशिक्षण लिया और अब घर पर खाद और कीटनाशक दवाइयां बनाकर अच्छा उत्पादन ले रही हैं। वो बताती हैं, “हम लोग बाजार से खाद और दवाइयां नहीं खरीदते हैं इसे घर पर ही बनाकर फसल में डालते हैं। इससे हमारे खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और हमें जैविक खाने को मिलता है।”

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा सखी मंडल से जुड़ी महिलाओं को कम लागत में खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है। इनमे से जो महिलाएं दूसरी महिला किसानों को सिखाने का हुनर रखती हैं उन्हें प्रशिक्षित कर आजीविका कृषक मित्र बनाया जाता है। ये आजीविका कृषक मित्र अपने गाँव की सखी मंडल की महिलाओं को ये बताती हैं कि कैसे खेत को और उपजाऊ बनाया जाये और कैसे मुनाफा ज़्यादा हो।


पिंकी आगे बतातीं हैं ”हम महिलाओं को बताते हैं कि 20 किलो गोबर, बेसन ढ़ाई सौ ग्राम ,गुड़ ढ़ाई सौ ग्राम लेकर सबको आपस में मिलाकर जैविक खाद बना लेते हैं। पानी की कमी से छुटकारा पाने के लिए हमने टपक सिंचाई लगाई है। इसमें कम पानी में सिंचाई हो जाती है।” जब ये महिलाएं सखी मंडल से नहीं जुड़ी थीं केवल बरसात में धान की खेती करती थीं अगर सब्जियां लगाती भी थीं तो बहुत दूर तालाब से पानी लाकर सिंचाई करती थीं जो इनके लिए चुनौती पूर्ण था।

लेकिन अब सखी मंडल से जुड़ने के बाद ये महिला किसान न केवल खेती के आधुनिक तौर-तरीके सीख रहीं बल्कि कम जमीन से अच्छा पैदावार भी ले रही हैं। टपक सिंचाई लगने के बड़ा अब ये साल में दो तीन सब्जियों की फसल ले लेती हैं। सब्जियों से इन्हें हर दिन आमदनी होती है जिससे इनकी आजीविका मजबूत हो रही है।   

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