पांच नवंबर को मुंबई में खुदरा भाव में प्याज 90 रुपए किलो, दिल्ली और लखनऊ में 70 रुपए किलो तो बनारस के आसपास प्याज 60 से 80 रुपए किलो में बिका। लेकिन प्याज की एक बड़ी मंडी में छह नवंबर को एक किसान का प्याज 1,500 रुपए कुंतल में और एक दूसरे किसान का 1,100 रुपए कुंतल यानी थोक में 15 और 11 रुपए किलो के हिसाब से बिका।
मध्य प्रदेश की मंदसौर मंडी में चार दिन इंतजार करने के बाद युवा किसान जितेंद्र सिंह अपना नौ कुंतल प्याज 2,800 रुपए कुंतल में बेचने को मजबूर हो गये। जितेंद्र कहते हैं, “मेरा तो फिर भी 2,800 रुपए में प्याज बिका है। मेरे ही सामने कई किसानों का प्याज 1,500 रुपए कुंतल में भी बिका है। इसी मंडी में कई किसान ऐसे हैं जो 6-7 दिन से मंडी में पड़े हैं लेकिन कोई खरीददार नहीं। व्यापारी औने-पौने रेट लगा रहे हैं।”
मंदसौर जिले की ही पिपलिया मंडी में किसान अमृतलाल पाटीदार ने अपना 20 कुंतल प्याज 1,100 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से बेचा। अमृतलाल पाटीदार गांव कनेक्शन से कहते हैं, “हमारा प्याज कोई पूछने वाला नहीं, लेकिन यही प्याज शहरों में 100 रुपए किलो तक बिक रहा है। इस महंगाई का किसान को कोई फायदा नहीं मिल रहा। सब बिचौलिए खा जा रहे हैं।”
प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा प्याज महाराष्ट्र में होता है। महाराष्ट्र में नासिक जिले की लासलगांव और पिंपलगांव (बसवंत) मंडियों से भारत ही नहीं पूरे एशिया में प्याज की कीमतें तय होती हैं। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार प्याज के उत्पादन में महाराष्ट्र देश में नंबर वन राज्य है। देश की कुल उत्पादन का 33% प्याज महाराष्ट्र में होता है। इसके अलावा कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना प्याज के बड़े उत्पादक राज्य हैं।
मध्य प्रदेश में राजस्थान से सटी मंदसौर की मंडी बड़ी मंडियों में गिनी जाती है। मंदसौर की मंडी में पिछले एक हफ्ते से प्याज के रेट आधे से भी कम हो गए हैं।
मध्य प्रदेश के जिला मंदसौर के किसान राम विलास कहते हैं, “मैंने सुना था 2-3 दिन पहले ही प्याज 5000-6000 रुपए कुंतल था। मैं पहले अपना प्याज लेकर जयपुर जाने वाला था फिर पता चला की शामगढ़ मंडी में अच्छी कीमल मिल रही है लेकिन यहां आने के बाद 2,500 रुपए में बेचना पड़ा, काफी नुकसान हो गया।”
प्याज के दूसरे बड़े राज्यों की मंडियों में भी प्याज की कीमत किसानों को काफी कम मिल रही है। मंडी मूल्यों की निगरानी करने वाली वेबसाइट www.agmarknet.gov.in के अनुसार छह नवंबर 2020 को आंध्र प्रदेश में 158 कुंतल प्याज की खरीद अधिकतम 5,200 कुंतल के हिसाब से हुई जबकि मॉडल प्राइस 2,814 रुपए प्रति कुंतल ही था।
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इसी तरह कर्नाटक में छह नवंबर को मंडियों में 2,355 कुंतल प्याज की खरीद 3,635 रुपए कुंतल के मॉडल प्राइस पर हुई। हरियाणा में यह कीमत 3,119, गुजरात में 2,873 तो मध्य प्रदेश में 1,601 रुपए प्रति कुंतल रही। थोक मंडियों में प्याज के रेट लगभग आधे हो गए हैं लेकिन खुदरा बाजार में प्याज उसी रेट में बिक रहा है। देश के ज्यादातर इलाकों में प्याज 60 से 90 रुपए किला बिक रहा है।
देश की राजधानी नई दिल्ली के अशोकनगर में रहने वाले सौरभ दुबे जो वहां एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं, गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “अभी कल ही 70 रुपए किलो में प्याज खरीदा। इधर एक हफ्ते में कीमत लगभग 10 रुपए कम हुई है, लेकिन 70 रुपए भी कीमत बहुत ज्यादा है।”
राजधानी नई दिल्ली से लगभग 650 किलोमीटर दूर वाराणसी और उससे सटे जौनपुर, मिर्जापुर, भदोही जैसे छोटे जिलों में भी प्याज की कीमत 60 से 80 रुपए प्रति किलो के बीच है।
वाराणसी के नदेसर में रहने वाले आनंद विश्वकर्मा गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “हमारे यहां खुदरा में प्याज 70 से 80 रुपए किलो में बिक रहा है। प्याज के बिना कोई सब्जी अच्छी ही नहीं लगती, ऐसे में खाना मजबूरी है। हां, कटौती जरूर किया है, जैसे सलाद में प्याज खाना बंद कर दिया है।”
आम उपभोक्ता और किसान, दोनों ही वर्ग प्याज की कीमत को लेकर परेशान हैं। बस फर्क यह है कि उपभोक्ता ज्यादा तो किसान कम कीमत को लेकर परेशान हैं। किसानों का कहना है कि सबसे बेहतरीन प्याज के भाव 40 रुपए बमुश्किल मिल रहे हैं, तो वहीं सामान्य क्वालिटी के प्याज 25 से 35 रुपए से ज्यादा नहीं बिक पा रहे।
दिल्ली में आजादपुर मंडी के कारोबारी और ओनियन मर्चेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेंद्र शर्मा प्याज की बढ़ी कीमतों के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताते हैं। उन्होंने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, “प्याज की स्थित देश में क्या होगी, ये सबको पहले ही पता पता चल जाता है, फिर भी सरकार ने बहुत देर से निर्यात रोकने का फैसला लिया।”
“सबसे बड़ी गलती तो यह हुई कि पहले सरकार नये कानून में स्टॉक रखने की खुली छूट दे दी। इस कारण भी कीमत बहुत बढ़ गयी, और अब जब स्टॉक का लिमिट तय कर दिया है तो बाजार में प्याज की आवक तेज हो गयी है। दिल्ली की मंडियों में प्याज की थोक कीमत 30 से 35 रुपए किलो पहुंच गयी है। आने वाले दिनों में कीमत और गिरेगी।”
प्याज की कीमतों में गिरावट की सबसे बड़ी वजह पिछले महीने सरकार द्वारा कीमतों की काबू को रखने के लिए उठाए गए कदम हैं। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकारी संस्था नेफेड ((National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India)) ने शुक्रवार को कहा कि उसने विदेश से मंगाए गए 15,000 टन की आपूर्ति के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। आयातित प्याज बंदरगाह से राज्यों की मांग के अनुरूप भेजा जाएगा।
नेफेड के मुताबिक आयातित प्याज की आपूर्ति शुरू होने से घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतें काबू में रहेंगी।
प्याज की बढ़ी कीमतों को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगातार कदम उठाये जा रहे हैं। केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले दिनों एक ट्वीट करके कहा, “उपभोक्ताओं को किफायती मूल्य पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा अनेकों कदम उठाये गये हैं। इनमें प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध से लेकर, आयात के नियमों में ढील, और बफर स्टॉक से प्याज की आपूर्ति जैसे कदम शामिल हैं।”
उपभोक्ताओं को किफायती मूल्य पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए PM @NarendraModi जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा अनेकों कदम उठाये गये हैं।
इनमें प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध से लेकर, आयात के नियमों में ढील, और बफर स्टॉक से प्याज की आपूर्ति जैसे कदम शामिल हैं।
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— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) October 23, 2020
सरकार के हस्ताक्षेप निर्यात पर पाबंदी, आयात करने और स्टॉक लिमिट लगाने से आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को और राहत मिल सकती है लेकिन किसानों का नुकसान हो गया है।
मध्य प्रदेश के किसान रामविलास आगे कहते हैं, “प्याज किसानों के हालात बहुत बुरे हैं। पिछले कई सालों तक हालात यह भी रहे हैं कि किसानों ने अपना प्याज सही दाम न मिलने के कारण मंडियों में फेंक दिया था। पिछले साल बहुत ज्यादा बारिश के कारण फसलों का नुकसान हुआ था, लेकिन इस साल बारिश नहीं होने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा, क्योंकि ज्यादातर किसानों ने प्याज ही लगाया है। किसान प्याज का कोई बोनस नहीं चाहते लेकिन उन्हें प्याज का एक उचित मूल्य चाहिए। रही बात सरकारों की तो शायद किसानों की नजर में सरकारें भी अपना भरोसा खो चुकी हैं।”
महाराष्ट्र में पिछले साल की तरह इस वर्ष भी किसानों का मौसम के चलते भारी नुकसान हुआ है। रबी सीजन के प्याज (जो आज खाया जा रहे है वो मार्च महीने में खुदा था) को ज्यादातर किसानों लॉकडाउन के दौरान बेच दिया था और जो बचा था उसमें बड़ी मात्रा लगातार बारिश के चलते सड़ गई।
भारत में प्याज के कुल उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत प्याज रबी की फसल से आता है। इसका मतलब है कि प्याज मार्च में तैयार होता है और उसे अक्टूबर तक इस्तेमाल में लाया जाता है। प्याज के साथ एक परेशानी है कि वह बारिश या नमी में खराब जल्दी होता है। ऐसे में उसका भंडारण काफी ज़रूरी, खर्चीला और मशक्कत भरा होता है।
महाराष्ट्र में राज्य प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले कहते हैं, “इस बार कई जगहों पर 80 प्रतिशत से ज्यादा प्याज खराब हो गया। जिस किसान के 100 कुंतल प्याज था अगर उसमें से 60-70 कुंतल प्याज भी खराब हो गया तो आप सोचिए 50 से 100 रुपए किलो में बेचकर भी उसका घाटा नहीं पूरा हो पाएगा।”
मध्य प्रदेश का मंदसौर जिला प्याज की खेती के लिए जाना जाता है। यहां की मंडियों के बाहर प्याज लादे ट्रैक्टरों की लंबी कतारें लग गयी है तो अंदर जो किसान ढेर लगाए हैं उनके भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं, जो व्यापारी आ रहे हैं वो काफी कम दाम लगा रहे हैं।
ये मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले की मंडी है, जहां पिछले 4-5 दिनों से किसान अपने प्याज बिकने का इंतजार कर रहे हैं। मंडी में A क्वालिटी का प्याज 3200-3300 रुपए कुंतल मांगा जा रहा है, जबकि 6 दिन पहले ये 6000 रुपए के ऊपर था।
वीडियो साभार- @Jitendra515151 #OnionPrice @ChouhanShivraj pic.twitter.com/S7j7DUGfjD— GaonConnection (@GaonConnection) November 6, 2020
प्याज लेकर मंदसौर मंडी आये जीतेंद्र सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया, “किसान 5-6 दिन तक मंडी में इंतजार नहीं कर सकता है। पहला तो उसे अगली फसल बोनी है, जो खेत में काम हैं दूसरा उसे नई फसल के लिए पैसे भी चाहिए, व्यापारी इसी का फायदा उठा रहे हैं।”
मंदसौर वही जिला है जहां छह जून 2017 को प्याज की सही कीमत मांग रहे किसानों पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी जिसमें छह किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्याज की कीमत आठ रुपए तय की थी। मध्य प्रदेश सरकार ऐसा करने वाला पहला प्रदेश बना था।
मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों की मंडियों में भी प्याज की कीमत ऐसी ही है। रतलाम जिले के गांव ताराखेड़ी के किसान शिवमंगल प्याज की गिरती कीमतों को लेकर अभी से परेशान हैं। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “हमारे यहां जावरा मंडी में प्याज की कीमत 20 से 25 रुपए किलो के रेट पर आ गयी है, जबकि हम खुद अभी प्याज 65 रुपए किलो में खरीदकर खा रहे हैं। मेरा प्याज पकने में अभी समय है, लेकिन जिस तरह कीमत गिर रही है, लग रहा है कि इस साल भी प्याज एक-दो रुपए किलो में ही बेचना पड़ेगा।”
मंदसौर से सटे जिला देवास के रहने वाले किसान अशोक पाटीदार कहते हैं, “मेरे कुछ जानने वाले लोगों ने 25 रुपए के हिसाब से प्याज मंडी में बेचा है। उन्हें रबी की दूसरी फसल लगानी थी इसलिए वे ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते थे। वैसे भी अब जब किसानों के खेत से प्याज निकलने लगा है कि तो कीमत पानी के भाव हो जायेगा। जब किसानों के फायदे का समय आता है तो कीमत कम हो जाती है।”
लेकिन अगर प्याज किसानों से कम कीमत में खरीदा जा रहा है तो उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत क्यों चुकानी पड़ रही है? इसके जवाब में मंदसौर के किसान जानकी लाल कहते हैं, ” बिचौलिए माल बाहर बेचकर कमाई कर रहे हैं लेकिन किसानों को भाव अभी भी सही नहीं मिल रहा। पिछली बार अति बारिश के कारण नुकसान हुआ था तो इस बार बारिश न होने के कारण नुकसान हो रहा। सरकार को प्याज का भी निर्धारित दाम रखना चाहिए, जैसे सोयाबीन उड़द का है।”
देश के दूसरे हिस्सों में प्याज की खुदरा और थोक कीमत क्या है? उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार छह नवंबर को देश के उत्तर क्षेत्र (चण्डीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख़, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश) में प्याज की खुदरा कीमत 60 रुपए, पश्चिम क्षेत्र (गोवा, महाराष्ट, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान) में 57 रुपए, पूर्वी क्षेत्र (बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल) में 61 रुपए, उत्तर पूर्व क्षेत्र (मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम) में 65 रुपए, दक्षिण क्षेत्र (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, पांडिचेरी, तमिल नाडु, तेलंगाना) में 73 रुपए प्रति किलो रही। प्याज की औसत कीमत देशभर में 64 रुपए किलो रही, जबकि थोक में यही कीमत 5,000 रुपए कुंतल यानी कि 50 रुपए किलो रही।
इनपुट- मंदसौर (मध्य प्रदेश) से अशोक परमार