छत्तीसगढ़ के गुरु जी के पढ़ाने का तरीका है बहुत खास, देखिए वीडियो

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल फिर खुल गए हैं। चलिए इस दौरान आपको एक ऐसे शिक्षक से मिलवाते हैं जो बहुत खास तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   5 Sep 2019 5:12 AM GMT

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धमतरी (छत्तीसगढ़)। आदिवासी बाहुल्य इस शाला के प्रधान पाठक (प्रधानाध्यापक) के रिटायरमेंट में अब कुछ ही महीने बचे हैं, लेकिन अपने बचे हुए कुछ महीनों में बच्चों को कितना कुछ सिखा-पढ़ा देना चाहते हैं।

छत्तीसगढ़ के धमतरी के नक्सल प्रभावित जंगली इलाके में बच्चों को इस ढंग से पढ़ाते हैं कि उन्हें खेल-खेल में विज्ञान और गणित की बेहतर जानकारी हो जाती है। ये बच्चे मिट्टी कं बनने से लेकर राकेट साइंस तक को आसानी से समझ भी लेते हैं। प्राइमरी के इस अध्यापक की बदौलत स्कूल में बच्चे हमेशा खिलखिलाते नजर आते हैं।

प्राथमिक शाला बूढ़ा राव के प्रधानपाठक दुर्योधन सिंह बताते हैं, "ये ट्राइबल एरिया है, यहां पर आदिवासी बच्चे अधिक हैं और यहां प्राइवेट स्कूल भी नहीं हैं, बच्चों को इसी स्कूल में भेजते हैं। इसके बाद बच्चे तीन किलोमीटर दूर मिडिल स्कूल पढ़ने के लिए जाते हैं।


अपने नवाचार के बारे में वो कहते हैं, "यहां जो भी पाठ से सबंधित है, उसमें मैं कुछ न कुछ नवाचार करता रहता हूं, ताकि बच्चे जो हैं वो उस पाठ को अच्छी तरह से पढ़ पाएं समझ पाएं उनमें अच्छी तरह से समझ बने। इसलिए हर पाठ में मेरा नवाचार रहता है।"

वो बच्चों को प्रकृति के बीच प्रकृति से ही पढ़ाते हैं, जिससे बच्चे बेहतर ढंग से समझ पाएं। इस बारे उन्होंने कहा, "मान लिया जाए मिट्टी-पत्थर के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाए। तो उन्हें सीधा पुस्तक में ना जाकर बच्चों के आस-पास की मिट्टी के नमूने इकट्ठा करा लें। बच्चों को समूह में बांटकर भेजें। किसी को तालाब के आस-पास किसी को खेत की मिट्टी किसी को सड़क के पास। या किसी को मान लिया जाए हमारे स्कूल के आस-पास की जो मिट्टी है उसमें से इकट्ठा करा लिया जाए। उसके बाद उस पर चर्चा की जाए कि तुम कौन सी मिट्टी लाए हो मिट्टी के नमूने के बारे में। कोई कहता है कि मैं लाल मिट्टी लाया हूं मैं काली मिट्टी लाया हूं। इससे बच्चे बेहतर ढंग से समझते हैं।"


इस प्राथमिक शाला में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है। विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक अभिभावकों की सहभागिता भी बढ़ाते रहते हैं। वो कहते हैं, "मैं एसएससी की बैठक में हमेशा बोलता हूं, आपको जानने का हक है। इस बार बैठक में निर्णय लिया कि जब भी मासिक बैठक होगी अब अपने बच्चों का मूल्यांकन लेंगे। हम तो लेते ही हैं मूल्यांकन जैसे भी हम करते ही हैं। मूल्यांकन इस बार आप भी कीजिए बैठक का बैठक भी हो जाएगी। हम बच्चों को क्या पढ़ाते हैं और उसके बाद कम से कम पढ़ाते हैं क्या जानते हैं आप भी देख लें आप खुद मूल्यांकन करिए।

अतिरिक्त सहयोग - पुरुषोत्तम ठाकुर

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