सखी समूह बनाकर यह लड़की गाँव में ला रही बदलाव

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लखनऊ(उत्तर प्रदेश)। छोटे से गाँव की मीरा यादव (21 वर्ष) जो कभी अपने गाँव से बाहर नहीं निकली थी, आज अपने गाँव में बदलाव लाने के साथ ही दिल्ली, भोपाल जैसे शहरों तक जा चुकी हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल चुकी है।

 लखनऊ जिले से 30 किलोमीटर दूर रामबख्श खेड़ा गाँव में मीरा अपने परिवार के साथ रहती हैं। छोटी सी उम्र में मीरा ने अपने गाँव को बदलने का बीड़ा उठा लिया है। मीरा बताती हैं, “मैंने इंटर के बाद पढ़ाई बंद कर दी क्योंकि मेरे गाँव में कोई स्कूल नहीं था और घर से बाहर जाने की परमिशन भी नहीं थी। तब ब्रेकथ्रू संस्था की दीदी आई और उन्होंने मेरी हिम्मत बढ़ाई।”


अपनी बात को जारी रखते हुए मीरा बताती हैं, “मैं अपने गाँव में महिलाओं के साथ मीटिंग करती हूं। उनको स्वास्थ्य के बारे में समूह बनाकर जागरूक करना उनके बैंक में खाते खुलवाना सब मैंने उनको सीखाया है मैं गाँव से निकली हूं मैं चाहती हूं मेरे गाँव की सभी लड़कियां आगे निकले।”

मीरा को गाँव से बाहर निकालने में उसकी मदद ब्रेकथ्रू संस्था ने की। ब्रेकथ्रू एक मानवाधिकार संस्था है जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करती है। इसके साथ ही किशोर-किशोरियों के सर्वागींण विकास पर काम कर रही है। इस संस्था ने ‘बड़ी सी आशा’ कार्यक्रम के माध्यम से लगभग चार लाख किशोर-किशोरियों तक पहुंच कर उनके जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया हैं, जिसमें एक कहानी मीरा की है।

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“मैं समूह सखी के साथ अपने गाँव में एएनएम और आशा बहू दीदी के साथ काम करती हूं। गाँव आयरन की गोलियां, टिटनेस के टीके, फाइलेरिया की दवा देना सभी का उनके साथ करती हूं।” मीरा ने बताया। जब मीरा पहली बार गाँव से बाहर निकली तो कई बार उसको सुनना भी पड़ा लेकिन मीरा ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ती गई।


पहली बार गाँव से बाहर निकलने का अनुभव शेयर करती हुई मीरा हंसते हुए बताती हैं, ”मैं कभी ट्रेन में नहीं बैठी उस पर बैठी। दिल्ली गई तो हवाई जहाज में बैठी बहुत अच्छा लगा मुझे मैंने गाँव में भी बताया। मुझे गाँव में काम करना अच्छा लगता है। मैं ऐसे ही आगे काम करना चाहती हूं।

गाँव में महिलाओं के खुलवाए खाते

मीरा की मेहनत और लगन से आज उसके गाँव में समूह सखी से जुड़ी सभी महिलाओं के बैंक खाते खुले है। ” शुरू में गाँव से महिलाएं बाहर ही नहीं जाती थी फिर मैंने उन लोगों को समझाया खुद से पैसे खर्च करके उनको बैंक लेकर गई । आज सब साइन करके महिलाएं बैंक से रुपए निकालती है।” मीरा ने बताया।

प्रधानमंत्री मोदी से भी मिल चुकी हैं मीरा

“जब मैं पहली बार दिल्ली गई थी तो मोदी जी को अपने-अपने गाँव की समस्या देनी थी तब मैंने स्कूल की समस्या लिखकर दी थी। उसी समय में उनसे मिली भी थी। गाँव में लोग अब मेरी बात भी मानते हैं।

पिता को है गर्व

मीरा के पिता पेशे से किसान हैं। अपने बेटी पर गर्व करते हुए उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “मुझे बहुत अच्छा लगा जब गाँव से निकलकर वो दिल्ली गई और मोदी जी से मिलकर आई। सभी को यही संदेश है मेरा कि वह बेटे-बेटियों को पढ़ाए और उन्हें आगे बढ़ाए।”

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