मोडासा (गुजरात)। आजकल पर्यावरण को बचाने के लिए पूरे विश्व में लोग मुहिम चला रहे हैं, पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान प्लास्टिक से ही होता है, प्लास्टिक के चम्मच जिसे लोग कहीं भी फेक देते हैं, जिसके चलते गुजरात की अरवल्ली जिले में एक 31 साल का युवक ने एक ऐसी चीज तैयार की है जिसका उपयोग हम कहीं पर भी कर सकते हैं।
अरवल्ली जिले के मोडासा के हर्ष शाह ने आटे से चम्मच तैयार किया है, जिसे आप खा भी सकते हैं। वो बताते हैं, “ये जो हमारी एडिबल चम्मच है, ये गेहूं के आटे से बनी हुई है, जिसमें 60 प्रतिशत गेहूं का आटा और बाकी मल्टीग्रेन्स हैं, जिसे अगर आप यूज कर रहे हैं तो मान लीजिए की आप आटे की रोटी खा रहे हैं।”
हर्ष शाह ने लघु उद्योग के जरिए जीआईडीसी में एक छोटी सी कंपनी शुरू की जिसमें उन्होंने मल्टीग्रेन यानी अलग-अलग आटा गेहूं मक्का, बाजरा, चावल का आटा तैयार किया और उसमें से चम्मच, फॉक, और केक काटने के लिए नाइफ तैयार किया है, जो बिल्कुल ही पर्यावरण को नुकसान नहीं करेंगे। यह प्रोडक्ट जब लोग इस्तेमाल करेंगे तो उसे अगर पसंद आए तो खा भी सकेंगे। हर्ष शाह ने कड़े संघर्ष के बाद दिन रात मेहनत की और यह सफलता मिली और देश के विभिन्न हिस्सों में इनके प्रोडक्ट एक्सपोर्ट होने लगे हैं जो लोग काफी पसंद करते हैं।
वो आगे कहते हैं, “जब भी हम ढाबा या फिर ठेले पर, या कहें छोटे-छोटे रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तब प्लास्टिक के चम्मच दिए जाते हैं। चाय सूप पीना हो फोक हो कुछ भी हो यह प्लास्टिक के चम्मच यूज एंड थ्रो होते हैं जिसके चलते वह कुड़े में जाते हैं और पर्यावरण को नुकसान होता है, इतना ही नहीं अगर बर्थडे सेलिब्रेशन होता है तो प्लास्टिक के ही नाइफ होते हैं जिससे हम केक कटिंग करते हैं। जिस प्लास्टिक के नाइफ से हम केक कटिंग करतें है जिसका एक ही बार उपयोग होता है और फिर वह कूड़े में चला जाता है, फिर क्या वही प्लास्टिक पर्यावरण को इतनी हद तक नुकसान पहुंचाता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।”
वो आगे बताते हैं, “हमने ये एडिबल कटलरीज में बाउल से लेकर सूप स्पून, नाइफ और फोर्क तक बनाया है, ऐसे जितने भी आइटम जिन्हें लोग एक बार यूज करने के बाद फेक देते हैं, ऐसी चीजे बनाने का सोचा है। जिसमें टेबल स्पून अभी हमने लांच कर दिया है। नाइफ और फोर्क की प्लानिंग चल रही है, ऐसे फ्लेवर बनाने के बारे में सोचा है जिसे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को पसंद आए। जैसी जीरा फ्लेवर, चॉकलेट फ्लेवर, पान बहार फ्लेवर, ऐसे बहुत सारे फ्लेवर हमने बनाए हैं।”
हर्ष शाह को जब इस आइडिया का विचार आया तब उनको लगा कि यह काफी मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं और उसी दिशा में उन्होंने अपनी मंजिल को पाने के लिए आगे बढ़ा और सरकार की सहायता से उनको पीएमईजीपी के तहत 25 लाख का लोन लिया और उसमें से मशीनरी खरीदी और अपना काम शुरू किया और कभी पीछे नहीं देखा और आज वह पर्यावरण के लिए थोड़ा बहुत काम किया है। मोनिका ग्रुप ऑफ़ लिमिटेड कंपनी के जरिए उनके प्रोडक्ट मार्केट में बिकने लगी है जो प्रोडक्ट वह बनाते हैं वह सभी प्रोडक्ट को वह पेपर बैग में ही पैक करते हैं जिससे पर्यावरण तो बचेगा ही साथ ही साथ लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।