मंगल कुंजाम
कम्युनिटी जर्नलिस्ट
दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़)। यहां आदिवासी परिवारों में अनोखी शादी होती है, लड़के वाले लड़की के घर जाते हैं और शादी में किसी को निमंत्रण नहीं दिया जाता है, गाँव वाले खुद इकट्ठा हो जाते हैं।
छत्तीसगढ़ के बस्तर सभंग दंतेवाड़ा जिला के गुमियापल गांव में हो रही इस शादी रस्म में डीजे नहीं बजते बल्कि गाँव वाले मिलकर गाते बजाते हैं। मुरिया आदिवासी परिवार में हो रही इस शादी में ढोल बजते हैं, नाच गाने में हज़ारों की संख्या मे लोग झूम उठते हैं, खुद से बनाए गाने गाते हैं।
इस गांव के भीम मीडियम बताते हैं, “ये कुंजाम परिवार का शादी की तैयारियां चल रही है, इसमें जब हम दूल्हा की तरफ से दुल्हन के घर जाते हैं तो, आदिवासी परम्परा के अनुसार से पहले दुल्हन घर की तरफ से एक मांग रखते हैं, उसके अनुसार सामान ले जाते हैं, जैसे महुए से बने चुराम ले जाते हैं। इसके लिए महुए को आग के अंडी (मिट्टी का पात्र) में डालकर भूजते हैं, उसके बाद भूंजा हुआ महुए को फिर से पानी में डालकर अंडी या नक्की में आग में पांच घण्टे करीब उबलने के बाद उसको ठंडा होने तक सुरक्षित जगह रखते हैं।”
वो आगे कहते हैं, “फिर दुसरे दिन महुए को के रस को अच्छी तरह सुनते हैं। फिर गर्म करते हैं केवल रस को रस उबलते समय हल्का कड़वापन लाने के लिए सियाड़ी का बीज भूंज कर और छिंद पेड़ का कंदा डालते हैं फिर एक अंडी में उसको डालते हैं दो दिन उसके बाद एक दारू के रूप में पीते हैं।”
पूरा गाँव एक जगह इकट्ठा होकर उत्सव मनाता है। इसमें सभी महिला और पुरुष एक जगह इकट्ठा होकर नाचा-गाना करते हैं।