कांकेर (छत्तीसगढ़)। पर्यावरण को बचाने के आपने नए-नए तरीके देंखे होंगे, कोई पेड़ लगाता है, तो कोई रैली निकलता है पर छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में कुछ अलग ही देखने को मिला।
ज्यादातर शादियों में बिना मतलब की चीजों में खूब पैसा बर्बाद होता है, लेकिन इस शादी में ऐसा कुछ नहीं हुआ। यहां न तो प्लास्टिक का इस्तेमाल हुआ, बल्कि पत्ते दोनल में खाना हुआ और रिश्तेदारों ने दूल्हा-दुल्हन को उपहार में पौधे दिए।
पर्यावरण को बचाने आपने नए नए तरीके देखे होंगे, कोई पेड़ लगाता है तो कोई रैली निकलता है पर छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में कुछ अलग ही देखने को मिला। कांकेर जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर स्थित दुर्गुकोंदल ब्लॉक के आदिवासी अंचल के गांव वयनर, में बोर्ड और स्लोगन को देख कर लग रहा होगा कि वन विभाग की टीम यहां कोई आयोजन कर रही है, पर ऐसा नही है, यह शादी का मंडप है, यहां वयनर गांव के युवक दिग्विजय की शादी कांति के साथ हो रही है.. शादी तो सबकी होती है पर शादी खास इस लिए है क्योंकि यह कांकेर जिले की पहली ऐसी शादी थी जिसमें नव दम्पति समेत चौथिया बाराती और पूरे गांव वाले पर्यावरण को बचाने के लिए शपथ ली। फल दार पेड़ लगाना, पानी को बर्बाद न करके उनके संजोग के रखना…और पूरे गांव वालों ने शपथ भी ली।
रिश्तेदारें ने उपहार में भेंट किये फलदार पौधे
इतना ही नही दिग्विजय के मित्रों ने उन्होंने फलदार पौधे जैसे आम, कटहल, जाम (अमरूद) और नींबू के पौधे भेंट किये। दिग्विजय ने कहा कि आने वाले वर्ष में एक बार जरूर हमारे गांव आइए ताकि पौधे को फल देते हुए देख सके।
पूरी तरह प्लास्टिक प्रतिबंधित थी शादी
इस भागम भाग भरी जिंदगी में लोग बफर सिस्टम की पद्धति से भोजन परोसते है लेकिन वयनर के इस युवक ने उन तमाम चीजों को शादी में प्रतिबंधित करवा दिया था जिसके जमीन और मवेशियों को नुकसान पहुंचे। यहां के ग्रामीण पत्तों से पत्तल और दोना बनाते नजर आए और भोजन करते हुए दिखाई दिए।