इन्होंने अब पानी बचाना सीख लिया है

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रूबी खातून, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

रांची (झारखंड)। पानी बचाना कितना जरूरी है, ये तो सभी जानते हैं, लेकिन कोशिश शायद हम में से कोई ही करता हो। ऐसे में झारखंड की इन महिलाओं से सीखना चाहिए, जो पानी की हर एक बूंद की कीमत समझने लगी हैं, तभी तो इन्होंने एक अनोखी मुहिम शुरू की है।

झारखंड के रांची जिजे के अंगड़ा प्रखंड के महेशपुर गाँव में महिलाओं की टोली हर दिन निकल पड़ती है और लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करती हैं। अभी तक घरों में बर्तन धुलने, नहाने और कपड़े धुलने में जितना पानी इस्तेमाल होता था, सब नालियों से बह जाता था। अब ये महिलाएं उसका भी सही इस्तेमाल करने लगी हैं।

बबीता देवी बताती हैं, "पहले हमारी खेती बारिश के भरोसे रहती थी, बारिश होती थी तो खेती करते थे नहीं होती थी तो नहीं करते थे। लेकिन अभी जो हो रहा है इससे लाभ मिलेगा, तो हम लोग बर्तन धोएंगे, उसमें पानी जमा होगा और यही पानी हम खेती में लगाएंगे।"


इन गाँवों में सिंचाई की सुविधा न होने से खेती बारिश के भरोसे हुआ करती थी, बारिश हुई तो खेती हुई अगर बारिश नहीं हुई तो फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में कुछ तो पानी की बचत होगी। ये महिलाएं अपने घरों के पास एक गड्ढ़ा बना रही हैं, ताकि उनके घर से जितना भी पानी निकले उसी में इकट्ठा हो जाए। घर में कपड़े, बर्तन धुलने और नहाने में जितना पानी इस्तेमाल होता है, एक नाली के जरिए उसी गड्ढे में इकट्ठा होता है। उस पानी का इस्तेमाल वो फसलों की सिंचाई के लिए तो करेंगी ही, साथ ही इससे भूजल भी रिचार्ज होगा।

सालो देवी कहती हैं, "जब भी हमारे समूह की मीटिंग होती है, तो हमें जल जमा करने के फायदों के बारे में बताया जाता है। अभी तक पानी के बिना खेती अच्छे से नहीं होती थी, लेकिन अभी कृषि मित्र लक्ष्मी दीदी ने हमें बताया कि पानी कैसे बचा सकते हैं।

"हम लोग सभी अपने गाँव के हर एक घर के पास गड्ढे बना रहे हैं, जिससे पानी इकट्ठा होगा। इसमें सभी लोग एक साथ आ रहे हैं, जिससे सबकी मदद से गड्ढे आसानी से बन जा रहे हैं, "कृषि मित्र लक्ष्मी देवी ने बताया।

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