गोरखपुर खाद कारखाना बदलेगा यूपी-बिहार के लाखों किसानों की किस्मत

Arvind ShukklaArvind Shukkla   22 July 2016 5:30 AM GMT

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गोरखपुर खाद कारखाना बदलेगा यूपी-बिहार के लाखों किसानों की किस्मतgaonconnection

लखनऊ/ गोरखपुर। उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों किसानों के लिए राहत की ख़बर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर में जिस खाद कारखाने को दोबारा चालू करने के लिए आधारशिला रखी है, उससे लाखों किसानों को सहूलियत तो होगी ही साथ ही पूर्वांचल के हजारों युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा। 

गोरखपुर में कारखाने की दोबारा आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 साल बाद कारखाना शुरू होने का श्रेय यहां की जनता को जाता है। उन्होने कहा कि अगर बीजेपी की सरकार नहीं बनती तो ये कारखाना कभी शुरू नहीं होता।

933 एकड़ में फैला यह कारखाना पहले नेप्था से चलता था।  यहां स्वास्तिक ब्रांड यूरिया बनाई जाती थी। कारखाने में तीन प्लांट थे, जिसमे 2 हमेशा चलते थे जबकि एक रिजर्व रहता। 1974-75 में इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ा कर 950 मीट्रिक टन प्रतिदिन कर दी गई थी। गोरखपुर का खाद कारखाना इस बार गैस आधारित होगा। खाद कारखाने को गैस की आपूर्ति जगदीशपुर-हल्दिया के बीच बिछाई जाने वाली गैस पाइपलाइन से की जाएगी।

इंदिरागांधी ने किया था 1968 में उद्धाघटन

पूर्वांचल के इस इकलौते खाद कारखाने का उद्घाटन 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने किया था। उस दौरान कारखाने में यूरिया की उत्पादन क्षमता 545 मीट्रिक टन प्रतिदिन थी। लेकिन, पिछले 25 वर्षों से ये बंद पड़ा था। कारखाना बंद होने से यूपी में यूरिया किल्लत तो हुई थी, 3000 से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो गए। जबकि अप्रत्यक्ष रूप में हजारों लोगों का रोजगार छिन गया था।

कारखाने से जुड़े रहे पूर्व कर्मचारी एके श्रीवास्तव (65 वर्ष ) के मुताबिक, “20 अप्रैल 1968 को इस भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड गोरखपुर यूनिट का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने किया था उस समय इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता 545 मीट्रिक टन यूरिया प्रतिदिन थी।”

10 जून 1990 को अमोनियम प्लांट में एक पाइप फट जाने के कारण एक मजदूर की मृत्यु की मौत के बाद इस फैक्ट्री की उत्पादन को बंद कर दिया गया। लेकिन 31 दिसम्बर 2002 को केन्द्र सरकार ने इसके सभी करीब 2300 कर्मचारियों को वालेंटरी सेप्रेसन स्कीम (वीएसएस) के तहत निकाल दिया था और तब से इस कारखाने को बंद घोषित कर दिया गया।

                                               

 

फैक्ट्री बंद करते हुए तर्क दिया गया कि बहुत घाटा हो रहा है फैक्ट्री नेप्था से चलती थी और उसकी उपलब्धता कम होने से लागत बढ़ गई थी। इस फैक्ट्री को चालू करने की बात नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में की थी, जबकि इसके बाद भी सरकार लगातार इसे जल्द चालू करने की बात करती रही है। मोदी ने कई बार कहा कि गोरखपुर कारखाने को चालू कराना केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है। इसे चालू होने में करीब 5,000 करोड़ रुपये की आनुमानित लागत आएगी, इससे 13 लाख टन यूरिया का उत्पादन होगा।

‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनेगी खाद

पिछले वर्ष केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री ने कहा था प्रधानमंत्री की पहल और देश में यूरिया की किल्लत को देखते हुए देश के पांच बंद पड़े खाद कारखानों को चालू किया जाएगा। पांच साल में देश उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा, जबकि 10 वर्षों में ही खाद निर्यातक देशों में शुमार हो जाएगा। मध्यप्रदेश और कर्नाटक दोनों राज्य अपने यहां नए कारखाने खोल रहे हैं।

लेकिन 2019 से पहले शुरू नहीं हो पाएगा उत्पादन

खाद कारखाने का शिलान्यास भले हो गया हो लेकिन यहां से यूरिया बनाने का काम 2019 से पहले शुरू नहीं हो पाएगा। खाद उत्पादन की राह में अभी अड़ंगा गैस हो जो जगदीशपुर हल्दिया गैस पाइपलाइन से मिलेगी, वो 2019 में ही पूरी हो पाएगी।

पूरे देश में पांच कारखाने होंगे चालू

सरकार ने गोरखपुर के साथ ही देश के अन्य चार बंद पड़े कारखानों को चालू की बात की थी। इनमें बरौनी, सिंदरी व तलचर भी शामिल हैं।

 

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