गर्भपात के लिए आने वाली लड़कियों की कराते हैं शादी

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गर्भपात के लिए आने वाली लड़कियों की कराते हैं शादीgaonconnection

लखनऊ। अवंतीबाई महिला चिकित्सालय में खुला किशोरी परामर्श केंद्र किशोरियों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ उनकी जिंदगी भी संवार रहा है। शादी से पहले गर्भवती हुई कई युवतियों के परिवारिक सदस्यों और उनके प्रेमियों को समझाकर शादियां करवाई जा रही हैं।

केंद्र की परामर्शदाता अंजू चित्रांशी बताती हैं, “हर महीने कम से काम पांच युवतियां ऐसी आती हैं अविवाहित लेकिन गर्भ से होती हैं, ये लड़कियां अपने प्रेमी से शादी करना चाहती हैं, लेकिन परिवारवालों के डर से गर्भपात करवाना चाहती हैं। इन्हें परिवार के साथ लोकलाज का भी डर रहता है। कई लड़कियां जान देने पर अमादा थीं ऐसे में हम लोगों ने उनके परिवारों को बुलाकर बात की, जिसके बाद कई लोग शादी को राजी हो गए।”

वो आगे बताती हैं, “मासिक चक्र बंद होने पर घबराई लड़कियां केंद्र आती हैं, फिर जांच में उन्हें उनके गर्भवती होने के बारे में पता चलता है, क्योंकि अधिकांश मामले प्रेम प्रसंग के होते हैं इसलिए वो घर या किसी दूसरे को बता नहीं पातीं, मजबूरी में वो जल्द से गर्भपात कराना चाहती हैं।”

अवंतीबाई अस्पताल में वैसे तो ये केंद्र युवतियों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के परामर्श और बीमारियों के इलाज के लिए संचालित किया जा रहा है लेकिन पिछले कई वर्षों से यहां गर्भपात के लिए आने वाले युवतियों की संख्या बढ़ गई है। अधिकांश युवतियां अविवाहित होती हैं। ये लड़कियां लोकलाज के डर से जान तक देना चाहती थीं, लेकिन उनमें से कई अब शादीशुदा जिंदगी बिता रही हैं।

पिछले दिनों लखनऊ से आई 18 साल की एक लड़की ने अपना अल्ट्रासाउंड कराया, जिसमें पता चला कि वो गर्भवती है, लड़का उससे शादी करना चाहता था। परामर्श केंद्र ने उसकी समस्या को देखते हुए दोनों के परिजनों को बुलाकर काउंसिलिंग की, दो महीने पहले इसी अस्पताल में उनकी प्यारी सी बेटी हुई।

पिछले दिनों एक बास्केटबाल खिलाड़ी जब केंद्र पहुंची तो वो चार महीने की गर्भवती थी। गर्भावस्था के बारे में पता चलते ही युवती ने आत्महत्या करने की बात करने लगी। डॉक्टरों ने किसी तरह समझाबुझा उसके प्रेमी को बुलाया फिर परिजनों की मदद से शादी कराई।

अंजू बताती हैं कि थोड़ी देर हो जाती तो बच्चे की जान जाती है, हो सकता है युवती की जान पर भी मुश्किल आ जाती। गर्भ के ज्यादा दिनों के होने पर स्वास्थ्य के लिहाज से भी गर्भपात नुकसानदायक है। परामर्श केंद्र ने हाल ही में दो शादियां करवाई है। अंजू चित्रांशी आगे बताती हैं, “एक बड़ी समस्या उन लड़कियों के साथ है जो जांच करवाने के बाद दोबारा केंद्र नहीं आती वो बदनामी के डर से उल्टी सीधी दवाएं या फिर गैर कानूनी ढंग से गर्भपात करवाती हैं, जो उनकी सेहत के लिए खतरनाक है।”

केजीएमयू के डॉक्टरों ने मांगी निजी प्रैक्टिस की अनुमति

लखनऊ। अब जल्द ही राजस्थान मॉडल पर किंगजॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने की अनुमति मिल सकती है। नाम न बताने की शर्त पर कॉलेज के एक बड़े अधिकारी ने बताया, “शासन को कुछ दिन पहले दिए गये प्रस्ताव में केजीएमयू प्रशासन ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने के लिए राजस्थान मॉडल का प्रयोग करने के लिए अनुमति मांगी है।” 

अगर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को इसकी अनुमति मिलती है तो दूसरे विधाओं को डॉक्टरों की भी प्राइवेट प्रैक्टिस मिलने की राह आसान हो जाएगी। हालांकि पीजीआई डॉक्टरों के समकक्ष वेतन मिलने के बाद भी केजीएमयू के डॉक्टरों का एक बड़ा वर्ग चोरी-छिपे प्राइवेट प्रैक्टिस करता है। इनमें ज्यादातर डॉक्टर प्रशासनिक अधिकारियों के पद पर तैनात हैं।

इससे नाराज चिकित्सक शिक्षक एसोसिएशन ने भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने के लिए मांग रख दी है। केजीएमयू प्रशासन भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों के खिलाफ कुछ कर नहीं पा रहा है। ऐसे में चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासन को राजस्थान मॉडल पर डाक्टरों के लिए प्राइवेट प्रैक्टिस करने का प्रस्ताव भेजा है। शासन को भेजे प्रस्ताव में राजस्थान मॉडल के बारे में बताया गया है कि वहां पर लगभग सभी डॉक्टर किसी भी नर्सिंग होम प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं। इसमें वह परामर्शदाता के तौर पर मरीज का इलाज करते हैं। डॉक्टर मरीज को भर्ती नहीं कर सकते हैं और न ही निजी अस्पताल में सर्जरी कर सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर की योग्यता के अनुसार ही परामर्श शुल्क निर्धारित किया जाता है।

रिपोर्टर - ज्योत्सना सिंह

 

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