गरीबी को हराकर बच्चे बूढ़े सीख रहे कम्प्यूटर

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गरीबी को हराकर बच्चे बूढ़े सीख रहे कम्प्यूटरgaonconnection

लखनऊ। ''सुबह आठ बजे से लेकर शाम छह बजे तक जब कम्प्यूटर के की-बोर्ड की आवाज़ हमारे कानों में पड़ती है, तो मन को बहुत सकून मिलता हैं, और सोचता हूं कि आखिरकार काफी मशक्कत के बाद यहां के बच्चों की भी उंगलियां कम्प्यूटर पर थिरकने ही लगीं'', ये कहना है बुंदेलखंड सेवा संस्था के प्रमुख वासुदेव का।

ललितपुर से 60 किलोमीटर दूर मडावरा ब्लॉक में बुंदेलखंड सेवा संस्थान ने डिजिटल इम्पावरमेंट फाउंडेशन के संस्थापक ओसामा मंजर के सहयोग से ब्लॉक के 900 बच्चे कम्प्यूटर सीख चुके हैं। इस संस्थान का उद्देश्य है कि इस ब्लॉक का हर बच्चा जो कि आधुनिक तकनीक से अभी कोसों दूर है, वो इस संस्थान के माध्यम से आधुनिक तकनीक से जुड़ पाए। आधुनिक और आर्थिक रूप से पिछड़े इस गाँव के किसान कम्प्यूटर सीखने के लिए ज्यादा फीस देने में सक्षम नही हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कम्प्यूटर सीखने के लिए सिर्फ 50 रुपए प्रतिमहीने लिए जाते हैं, जो बच्चे फीस देने में असमर्थ है उनको नि:शुल्क ही कम्प्यूटर सिखाया जाता है।

कम्प्यूटर सीख रहे हर बच्चे का एक अलग अनुभव है, और वो इस बात से बहुत खुश हैं कि आखिरकार अब वो भी कम्प्यूटर सीख सकते हैं। यहां पर कम्प्यूटर सीख रहे कक्षा छह में पढ़ने वाले सोनू (12 वर्ष) ने बताया, “वो पिछले एक महीने से कम्प्यूटर सीखने आ रहा है, पेंटिंग करनी आती है, टाइपिंग सीख रहा हूं, गेम खेलने में बहुत मजा आती है। मां ने बोला है कि 10 जुलाई को मेरे जन्मदिन पर वो मुझे लैपटॉप देंगी, इतना बताते-बताते वो भावुक हो जाता है। कारण पूछने पर पता चलता है कि एक साल पहले बिजली गिरने से पिता का देहांत हो गया था, छह महीने पहले 18 साल की उसकी बड़ी बहन लम्बी बीमारी से जूझ रही थी, पैसे के अभाव में बेहतर इलाज न मिल पाने की वजह से उसकी मौत हो गयी थी। 

अभी उसके परिवार में दो बहनें और दो भाई हैं, मां पूरे परिवार के खर्चे के लिए सरकारी स्कूल में मिड-डे-मील का खाना बनाने जाती है। सोनू बताता है कि इस कम्प्यूटर सेंटर में मेरी फीस माफ़ है इसलिए मैं कम्प्यूटर सीखने आ पा रहा हूं।  

हरदेव (40 वर्ष) भी अपनी लड़कियों के साथ इस सेंटर पर कम्प्यूटर सीखने आते हैं इनकी तीन लड़कियां बैजंती (19 वर्ष), सुमित्रा (17 वर्ष), प्रसन्न कुमारी (15 वर्ष) पिछले तीन महीने से लगातार कम्प्यूटर सीखने आ रही हैं।  हरदेव का कहना है, “आने वाले समय में हम सब डिजिटल इंडिया से जुड़ने वाले हैं, हमे हर योजना की जानकारी इंटरनेट पर मिल रही है, ऐसे में कम्प्यूटर सीखना हम ग्रामीणों के लिए बेहद जरूरी है, इसलिए मैंने अपनी बढ़ती उम्र की शर्म न करते हुए कम्प्यूटर सीखने आने लगा।

रिपोर्टर - नीतू सिंह

 

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