ग्रीन कॉरीडोर बनाकर 23 मिनट में लीवर पहुंचाया एयरपोर्ट
गाँव कनेक्शन 29 July 2016 5:30 AM GMT

लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गयी है। KGMU के चिकित्सकों ने गुरुवार को ब्रेन डेड व्यक्ति का सफल ऑपरेशन कर पांच लोगों की जिंदगी बचाने में सफल रहे।
सड़क हादसे में मृत सुंदर सिंह के लीवर को एयरपोर्ट तक ले जाने के लिए गुरुवार सुबह KGMU से यातायात पुलिस द्वारा हजरतगंज, राजभवन, कटाई पुल, अर्जुनगंज, शहीद पथ, आमौसी एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया था। इस दौरान शहरवासियों ने भी अपनी भूमिका निभायी और एम्बुलेंस को एयरपोर्ट तक पहुंचने में मदद की।
गोरखपुर में रहने वाले सुंदर सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। स्व. सुंदर सिंह की मौत ब्रेनडेड से हुई थी, जिसके बाद उनके परिजनों ने अंगदान की इच्छा जताई और KGMU के डॉक्टरों के संपर्क किया था। इसके बाद डॉ. अभिजीत चंद्र के नेतृत्व में स्व. सुंदर सिंह का लीवर दिल्ली भेजा गया और दोनों किडनियों को ट्रांसप्लान्ट के लिए SGPGI भेजा गया।
ग्रीन कॉरीडोर बनाने के लिए यातायात पुलिस ने पूरे इंतजाम किए थे। एसपी ट्रैफिक हबीबुल हसन ने बताया, “इस बार हमने लीवर को KGMU से एयरपोर्ट तक भिजवाने में 23 मिनट का समय लिया। उन्होंने बताया KGMU से एम्बुलेंस 11:02 बजे चली थी जो एयरपोर्ट पर 11 बजकर 24 मिनट पर पहुंच गई थी। इसके लिए हर चेक प्वाइंट और चौराहों पर दो-दो पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। साथ ही इसमें सभी CO और SP लेवल के अधिकारी भी लगे हुए थे।”
उन्होंने बताया कि एंबुलेंस के आगे एक इंटरसेप्टर लगी थी जो ट्रैफिक को दुरुस्त करते हुए आगे बढ़ रही थी। इससे पहले 21 अप्रैल 2016 को जब एक लीवर ग्रीन कॉरिडोर के जरिये KGMU से एयपोर्ट भेजा गया था तो उसको एयरपोर्ट पहुंचने में 28 मिनट का समय लगा था।
मानव अंग को निश्चित समय में भेजने के लिए बनता है ग्रीन कॉरीडोर
मानव अंग को एक निश्चित समय के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाता है। इसमें पुलिस एम्बुलेंस को गुजरने वाले पूरे रूट को खाली करवाती है। एम्बुलेंस के आगे पुलिस की इंटरसेप्टर गाड़ी चलती है, ताकि उसकी स्पीड में कोई ब्रेक न लगे, इसलिए इस प्रक्रिया को ‘ग्रीन कॉरीडोर’ कहा जाता है।
यदि फ्लाइट के जरिए उस अंग को ले जाया जाता है तो इसमें एयरपोर्ट अथॉरिटी की मदद भी ली जाती है। शहरवासियों से भी इसमें सहयोग की अपील की जाती है। फिलहाल यह सुविधा दिल्ली, कोची, चेन्नई, मुंबई, बंगलुरु और लखनऊ में मौजूद है।
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