गर्मी बढ़ने से गन्ना किसानों को फायदा

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गर्मी बढ़ने से गन्ना किसानों को फायदागाँव कनेक्शन

मेरठ। फसली मौसम में चीनी मिल, गुड़ के कोल्हू और खाण्डसारी उद्योग बेशक गन्ना किसानों को तीन सौ रुपए प्रति कुंतल से भी नीचे के दाम दिए हों, लेकिन अब जब की फसली मौसम ख़त्म होने की ओर है तब किसान मालामाल हो रहे हैं क्योंकि उनको मिल रहा है उनकी उपज का 600 रुपए कुंतल तक का दाम। यही नहीं अभी गर्मी के बढ़ने के साथ-साथ दाम और भी अधिक मिलने की उम्मीद है। 

बढ़ती गर्मी, प्यास से सूखता कंठ, सूखे व बंद बड़े सरकारी नल ऐसे में जब प्यासे को कहीं गन्ने का ताजा और ठंडा रस दिख जाए तो उसका आनन्द कौन नहीं लेना चाहेगा। बस यही है गन्ना किसानों के लिए फायदे का सौदा। 

मेरठ जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व की ओर मवाना तहसील के गाँव भैंसा निवासी कृषक इमरान बताते हैं “मैंने गत वर्ष अगस्त के महीने में अपनी पुश्तैनी ज़मीन में से बीस बीघे जमीन में गन्ने की वरायटी 238 की बुवाई की थी क्योंकि पहले सब्जी की फसल उठाई थी। अब मेरे गाँव के ही बुन्दू खां और प्रमोद मुझसे इस फसल को 400 रुपए कुंतल ले रहे हैं और गन्ने को लेकर जाने का झंझट भी उन्हीं का है, जिससे अच्छा मुनाफा मिल रहा है, वो इसे शहरों में 600 रुपए कुंतल तक गन्ने का रस बेचने वालों को सप्लाई करते हैं।” 

गन्ने का रस निकाल कर बेचने वाले दिनेश कहते हैं, “मैं हर हफ्ते एक ट्रॉली (सौ कुंतल) गन्ना इन सप्लायरों से खरीदता हूं। पहले ही पूरी गर्मी के लिए 550 से 650 रुपए तक में दाम तय कर लेता हूं और फिर उन्हीं गन्ना लेता रहता हूं। जब गर्मी अधिक पड़ती है तो कभी-कभी किसी और सप्लायर से भी गन्ना मंगवाना पड़ता है फिर दाम भी उसकी मर्जी से देना पड़ता है।” 

गन्ने के सप्लायर मोहिदीनपुर निवासी महेश सिंह का कहना है, “मैं इस काम को एक दशक से कर रहा हूं। पहले तो छोटे स्तर पर काम करता था पर अब तो दिल्ली तक सप्लाई करता हूं। मैंने अपनी थोड़ी सी ज़मीन में गोदाम बना रखा है, तुलाई कांटा भी अपना है। बुवाई के समय ही किसानों से दाम तय कर लेता हूं। एडवांस भी देता हंू और मार्च के महीने से ही गन्ना उठाना शुरू कर देता हूं। फिर गन्ने को अपने गोदाम में इकठ्ठा कर पानी मारता हूंं, जिससा गन्ना सूखता नहीं।” 

वह आगे बताते हैं, “मेरठ और आसपास के जिलों में गन्ने की सप्लाई करता हूं। औसतन 400 रुपए प्रति कुंतल की दर से गन्ना खरीदता हूं और करीब 50 रुपए प्रति कुंतल का खर्चा आता है। फिर यही गन्ना छह से सात सौ रुपए प्रति कुंतल तक बिकता है। किराया खरीदार का होता है।”

 कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आरएस सेंगर बताते है, “गन्ने की 238 नाम से प्रचलित वरायटी किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो रही है। अब एक नई वरायटी 118 भी है जो इससे भी अधिक मुनाफा किसानों को दे सकती है। इसकी खासियत यह है कि काम रकबे की ज़मीन में फसल अधिक होती है। मिठास ज्यादा होती है। गन्ना मोटा और रसीला होता हो, जिससे चीनी की रकवरी तो ज्यादा होती ही है जो लोग रस निकालते हैं, उनको कम गन्ने में ही अधिक रस मिल जाता है। काफी किसान गेहूं की कटाई के बाद हरी सब्जियों की एक फसल उठने के बाद इसकी बुवाई करते हैं और लाभ उठाते हैं।” 

डॉक्टर विश्वजीत बताते हैं, “यदि गन्ने का रस गन्ना साफ़ कर स्वछता से निकाला जाये तो वो अन्य बोतल बंद गैस वाले पेय पदार्थों के मुकाबले सेहत के लिए फायदेमंद है। शुगर के रोगियों को मीठे शीतल पेय पदार्थ के सेवन से जितना नुकसान होता है। उसके मुकाबले गन्ने के ताजे रस के सेवन से एक चौथाई ही नुकसान होता है, साथ ही गैस वाले ड्रिंक्स फौरी तोर पर प्यास तो बुझाते हैं, परन्तु इनके सेवन से बार-बार प्यास लगती है, जबकि गन्ने के रस से शरीर को राहत सहित ज़रूरी मिनरल भी मिलते हैं, जिससे प्यास को कहीं हद तक काबू में किया जा सकता है।”

रिपोर्टर - सुनील तनेजा 

 

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