गुणकारी है पुदीना और धनिया

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गुणकारी है पुदीना और धनियाgaonconnection

गर्मियों का दौर चल रहा है और इस दौरान बाज़ार में पुदीना और धनिया भी भरपूर दिखाई देता है। चिलचिलाती धूप में धनिया और पुदीने का इस्तेमाल सेहत की दृष्टि से ख़ास माना जाता है।

इस सप्ताह इन दोनों वनस्पतियों के कई अन्य ख़ास गुणों का जिक्र करना चाह रहा हूं क्योंकि ना सिर्फ ये दोनों आसानी से उपलब्ध होती हैं बल्कि इनके अनेक ऐसे ख़ास औषधीय गुण हैं जिनका जिक्र करना जरूरी सा है, बात आखिर आपके सेहत की जो है।

पुदीना के गुण 

पुदीना अक्सर नमी वाली भूमि पर उगता  है। इसमें उड़नशील तेल पाया जाता है जो पिपरमिंट जैसी सुगंध देता है। वनांचलों में आदिवासी इसका प्रयोग कई तरह की स्वास्थ्य समास्याओं के निदान के लिए करते हैं, जानिए पुदिना से जुड़े आदिवासी हर्बल ज्ञान और कुछ हर्बल नुस्खे-

  • पुदिने की कुछ पत्तियों को कुचलकर इसमें तीन बूंद नींबू का रस डालें और इस मिश्रण को चेहरे के कील मुंहासों पर लगाए, 5 मिनट बाद चेहरा धो लें, एक सप्ताह में समस्या खत्म हो जाएंगे, चेहरा चमक उठेगा।
  • सर्दी-जुखाम होने की दशा में पुदीने की पत्तियों के रस की एक-एक बूंद नाक में ड़ालने से लाभ होता है। काली मिर्च, पुदीना और नमक का मिश्रण एक साथ चबाने से सर्दी में फायदा होता है।
  • ठंड में बुखार आने पर पुदीने की पत्तियों का रस और अदरक के रस की समान मात्रा मिलाकर रोगी को देने से आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार करीब एक गिलास पानी में 10 पुदीने की पत्तियां, थोड़ी-सी काली मिर्च और थोडा काला नमक डालकर उबालें। पांच मिनट उबालने के बाद इस पानी को पीने से सर्दी खांसी, जुकाम और बुखार से आराम मिलता है।
  • जिनके मुंह से बदबू आने की शिकायत हो, उन्हें पुदीने की सूखी पत्तियों को पीस कर उसका चूर्ण बनाकर इसे दांतों पर मंजन की तरह लगाना चाहिएए ऐसा करने से मुख दुर्गंध दूर होती हैं।
  • दाद या त्वचा पर संक्रमण होने पर पुदीना के पत्तों का रस दिन में 3-4 बार लेपित किया जाए तो आराम मिलता है। 
  • कॉलरा होने पर छह ग्राम पुदीने की पत्तियां और इलायची (3 ग्राम) लेकर 1/2 पानी में उबाला जाता है और एक घंटे के अंतराल पर रोगी को दिया जाता है जिससे जी मचलाना बंद हो   जाता है। 

धनिया के गुण

आमतौर पर धनिया के हरे पत्ते और बीजों को हर भारतीय रसोई में देखा जा सकता है। आदिवासी अनेक हर्बल नुस्खों में इसका उपयोग करते हैं। धनिया के औषधीय गुणों और इससे जुडे आदिवासी हर्बल फार्मूलों के बारे में जानें-

हरे धनिया की पत्तियों और परवल के फलों की समान मात्रा (20 ग्राम प्रत्येक) में लेकर कुचल लें और एक पाव पानी में रातभर के लिए भिगो दें, सुबह इसे छानकर तीन हिस्से कर प्रत्येक हिस्से में थोड़ा सा शहद डालकर दिन में तीन बार रोगी को देने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

  • सौंफ, मिश्री और धनिया के बीजों की समान मात्रा लेकर चूर्ण बना कर 6.6 ग्राम प्रतिदिन भोजन के बाद खाने से हाथ पैर की जलन, एसिडिटी, पेशाब में जलन व सिरदर्द दूर होता है।
  • हाथ-पाँव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया के बीजों और मिश्री को कूट कर खाना खाने के पश्चात 5.6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम मिल जाता है।
  • कच्ची गंवार फल्लियों को पीसकर इसमें टमाटर और धनिया की हरी पत्तियों को डालकर चटनी तैयार की जाए और प्रतिदिन सेवन किया जाए तो आँखों की रोशनी बेहतर होती है और लगातार सेवन से कई बार चश्मा भी उतर जाता है।
  • हरे ताजे धनिया की पत्तियां लगभग 20 ग्राम और उसमें चुटकीभर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें। इस रस की दो बूँदे नाक के छिद्रों में दोनों तरफ  टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का-हल्का मलने से नकसीर तुरंत बंद हो जाती है।
  • थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा करके मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें और इसकी दो बूंदे आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
  • धनिया महिलाओं में मसिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यदि मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग 6 ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पी लिया जाए तो फायदा होगा।

 

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