हादसे में घायल व्यक्ति की मौत के बाद भी चढ़ता रहा ग्लूकोज, सोते रहे डॉक्टर

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
हादसे में घायल व्यक्ति की मौत के बाद भी चढ़ता रहा ग्लूकोज, सोते रहे डॉक्टरgaonconnection

शाहजहापुर। अगर आप शाहजहांपुर के रहने वाले हैं और मजबूरी में किसी अपने को रात में ज़िले के सरकारी अस्पताल के ट्रामा सेंटर जाना पड़े तो सौ बार सोचिएगा।

ट्रामा सेंटर में भर्ती कराए गए घायल की अस्पताल में मौत हो गई और ग्लूकोज उसे चढ़ता रहा। उसी के बगल में एक सांप के काटे मरीज को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था, मरीज को ग्लूकोज चढ़ाने के लिए तिमारदार दौड़ते रहे लेकिन अस्पताल का स्टॉफ एसी में अंदर चैन से सोता रहा।

22 जून की रात करीब दो बजे गाँव कनेक्शन संवाददाता को एक तीमारदार ने ख़बर दी कि अस्पताल में कई मरीज भर्ती हैं लेकिन डॉक्टर गायब हैं। ढाई बजे ट्रामा सेंटर पहुंचे संवाददाता मिर्जापुर ब्लॉक के मकरचंद्र ने एक बेड पर तड़पते अपने बेटे को दिखाते हुए कहा, "बेटे हरेंद्र (25 वर्ष) सांप ने काट लिया था। अस्पताल के डॉक्टरों ने इंजेक्शन देकर ग्लूकोज चढ़ा दिया, ग्लूकोज की बोतल खत्म हो गई है, कई बार डॉक्टरों से कहा भी लेकिन कोई सुनता नहीं है। सब सो रहे हैं, अब इतना बोले जाए गोल वाली पहिया घुमाकर बोतल बंद कर दो।"

इसी अस्पताल के दूसरे बेड पर एक और मरीज भर्ती था, जिसके शरीर में कई जगह पट्टियां बंधी। अस्पताल में मौजूद दूसरे लोगों ने बताया, "एक्सीडेंट हुआ है लावारिश हालत में सरकारी एंबुलेंस 108 लाई थी। तभी डॉक्टरों ने पट्टी की थी बड़ी देर से कोई देखने नहीं आया।" पास जाकर देखने पर पता चला कि उसकी सांसों रुक गई थीं लेकिन ग्लूकोज चल रहा था। गाँव कनेक्शन रिपोर्टर और दूसरे लोगों ने ड्यूटी रूम में जाकर देखा तो डॉक्टर मेजों के ऊपर एसी में सो रहे थे। सोने के बावत सवाल पूछने पर अस्पताल का स्टॉफ दूसरे तिमारदारों और रिपोर्टर पर भड़कते हुए बोले, हम क्या इंसान नहीं है और क्या सो भी नहीं सकते।" 

मरीज की सांसों रुकने के बारे में बताने पर डॉक्टर और स्टॉफ हड़बड़ा उठे और चेक किया तो घायल की मौत हो गई थी। आनन-फानन में मरे हुए मरीज की बोतल निकालकर उसकी लाश को वहां से हटवाया गया।

घायल मरीज की मौत से घबराए मकरचंद अपने सर्प दंश से पीड़ित बेटे को लेकर निजी अस्पताल चले गए। जाते-जाते उन्होंने बस इतना कहा, "यहां रहे तो पता नहीं क्या होगा, इन पर भरोसा नहीं है।" पहले से भर्ती कई मरीजों ने कहा कि यहां यही रोज का काम है।

रिपोर्टर - रमेश चन्द्र गुप्ता

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.