हिंसा की शिकार महिलाओं को राहत पहुंचाने को यूपी को मिले 28 करोड़

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हिंसा की शिकार महिलाओं को राहत पहुंचाने को यूपी को मिले 28 करोड़

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा एसिड अटैक और बलात्कार की घटनाएं यूपी में होने के कारण, केंद्र सरकार ने इन पीड़िताओं को राहत देने के लिए राज्य को 28.10 करोड़ रुपए भेजे हैं। ये देश के किसी भी राज्य को भेजे गए फंड से ज्यादा है। केंद्र ने यह फंड महिलाओं के खिलाफ हुए हिंसात्मक अपराधों से उन्हें उबारने के लिए सहायता पहुंचाने की अपनी योजना के तहत जारी किया है।

इस सहायता राशि के ज़रिए उन पीड़िताओं की मदद की जाएगी जो बलात्कार, यौन व शरीरिक उत्पीड़न, या दुर्घटनाओं का शिकार हुई हों।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के वर्ष 2014 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र  और पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध हुए। 

अपराध का शिकार हुईं महिलाओं को राहत पहुंचाने के लिए बनाए गए 'सेंट्रल विक्टिम कम्पन्सेशन फंड' की शुरुआत 200 करोड़ रुपए के फंड के साथ मोदी सरकार ने 2015 में की थी। इसे 'निर्भया फंड' भी कहा गया था।

फंड की शुरुआत बलात्कार, एसिड अटैक पीड़िताओं, मानव तस्करी और सीमा पर होने वाली गोलीबारी में घायल या मारी गई महिलाओं को और उनके परिवार को राहत पहुंचाने के लिए की गई थी।

बालात्कार व एसिड अटैक पीड़िताओं को तीन लाख रुपए

इस फंड के तहत प्रावधान किया गया है कि एसिड अटैक और बलात्कार की पीड़िताओं को तीन लाख रुपए की राहत राशि दी जाएगी। यदि पीड़िता की उम्र 14 साल से कम है तो ये राशि 50 प्रतिशत बढ़ा दी जाएगी।

इसी तरह शारीरिक उत्पीड़न की शिकार नाबालिग पीड़िताओं को दो लाख रुपए, मृत्यु या पच्चीस प्रतिशत से ज्यादा शरीर जलने की घटना में दो लाख रुपए, यौन शोषण की घटना में 50,000 रुपए, गर्भाशय की हानि पर 50,000 रुपए व गर्भधारण न कर पाने पर 1.50 लाख रुपए की राहत राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।

राज्य इस फंड का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं, केंद्रीय गृह मंत्रालय इस पर नज़र रखेगा। इसके लिए गृह मंत्रालय के तहत एक कमेटी बनाई जाएगी जिसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और सामाजिक न्याय मंत्रालय के आधिकारी भी शामिल होंगे।

 

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