हल्दी बुवाई का यही है सही समय

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हल्दी बुवाई का यही है सही समयगाँव कनेक्शन

लखनऊ। मई महीने के आखिरी सप्ताह हल्दी की बुवाई के लिए सही समय होता है। इसकी खेती आसानी से की जा सकती है और इसकी खेती को अपनाकर आमदनी का अच्छा जरिया बनाया जा सकता है। हल्दी की खेती में सबसे अच्छी बात होती है, इसे छाया में भी उगाया जा सकता है।

खेत का चुनाव

हल्दी की खेती बलुई दोमट या मटियार दोमट मृदा में सफलतापूर्वक की जाती है। जल निकास की उचित व्यवस्था होना चाहिए। 

खेत की तैयारी

हल्दी की खेती के लिए भूमि की अच्छी तैयारी करने की जरूरत होती है, क्योंकि यह जमीन के अंदर होती है, जिससे जमीन को अच्छी तरह से भुरभुरी बनाया जाना आवश्यक है। जमीन को समतल करने के बाद इसमें बड़े ढेलों को छोटा कर लेना चाहिए।

खाद तथा उर्वरक

इसमें गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए क्योंकि गोबर की खाद डालने से जमीन अच्छी तरह से भुरभुरी बन जायेगी। इससे जो भी रासायनिक उर्वरक दिया जायेगा, उसका समुचित उपयोग हो सकेगा। इसके बाद 100-120 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम फास्फोरस और 80-100 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर करना चाहिए। 

फसल चक्र

हल्दी की सफल खेती के लिए उचित फसल चक्र काे अपनाना  आवश्यक है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हल्दी की खेती लगातार उसी जमीन पर न की जाए। क्योंकि यह फसल जमीन से ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों को खींचती है, जिससे दूसरे साल उसी जमीन में इसकी खेती नहीं करें तो ज्यादा अच्छा होगा।

विकसित किस्में

हल्दी की पूना, सोनिया, गौतम, रशिम, सुरोमा, रोमा, कृष्णा, गुन्टूर, मेघा, सुकर्ण, सुगंधन और सीओ-एक किस्में होती हैं, जिनका चुनाव किसान कर सकते हैं।

बुवाई

जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वो अप्रैल के दूसरे पखवाड़े से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक हल्दी को लगा सकते हैं। जिनके पास सिंचाई सुविधा का अभाव है वे मानसून की बारिश शुरू होते ही हल्दी लगा सकते हैं। जमीन अच्छी तरह से तैयार करने के बाद 5-7 मीटर, लंबी तथा 2-3 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाकर 30 से 45 सेमी कतार से कतार और 20-25 सेमी पौध से पौध की दूरी रखते हुए चार-पांच सेमी गहराई पर कंदों को लगाना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

हल्दी की अच्छी फसल के लिए दो-तीन निराई करना आवश्यक हो जाता है। निराई-बुवाई के 80-90 दिनों बाद तथा दूसरी निराई इसके 1 महीने बाद करना चाहिए, किन्तु यदि खरपतवार पहले ही आ जाते हैं तथा ऐसा लगता है कि फसल प्रभावित हो रही है तो इसके पहले भी एक निराई की जा सकती है।

 

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