हर स्कूल में हो सही हैंडपंप

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हर स्कूल में हो सही हैंडपंपगाँव कनेक्शन

गोंडा। सरकार भले ही दावा करे कि हर स्कूल में शौचालय बना दिए गए हैं लेकिन जमीन पर कुछ और है। कई स्कूलों में बने शौचालयों में ताला बंद है तो कई स्कूलों में पानी की व्यवस्था न होने के कारण शौचालय प्रयोग नहीं हो पा रहे हैं। गाँव कनेक्शन का सुझाव है कि हर स्कूल में सही हैंडपंप होना सुनिश्चित किया जाए। 

कक्षा चार की पढऩे वाली सुष्मिता कुमारी (10 वर्ष) को स्कूल में जब भी शौचालय जाना होता है तो वो खेतों में जाती हैं क्योंकि स्कूल के शौचालय में ताला लटका रहता है। गोण्डा जिले से लगभग 45 किमी दूर परसपुर दुर्जनपुर के प्राथमिक विद्यालय में शौचालय होने के बावजूद भी छात्र इसे इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।

विद्यालयों में शौचालय की व्यवस्था को देखने के लिए गाँव कनेक्शन ने गोण्डा जिले के दस स्कूलों में सर्वे किया तो हर जगह यही नजारा देखने को मिला कही शौचालयों में ताला लटका मिला तो कहीं वो इस हालत में नहीं थे कि इस्तेमाल किए जा सकें। स्कूलों में शौचालय तो हैं लेकिन पानी नहीं। हैंडपंप तो लगे हैं लेकिन खराब पड़े हैं। प्राथमिक विद्यालय दुर्जनपुर की सहायक अध्यापिका सुनीता देवी बताती हैं, ''स्कूल मेें शौचालय बना है लेकिन साफ -सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए बंद ही रखते हैं, दूसरा बच्चों की संख्या 135 है और शौचालय केवल दो। न पानी है वहां इसलिए गंदगी से ज्यादा अच्छा है बंद ही रखें।" 

गोण्डा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय धानेपुर के शौचालय में पिछले चार महीनों से दरवाजा टूटा है लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। विद्यालय की अध्यापिका रचना कुमारी 27 बताती हैं, ''विद्यालय में वर्तमान में कोई भी प्रधानाध्यापक नहीं है, इसी वजह से व्यवस्था थोड़ी खराब है। शौचालय की मरम्मत कराई गई थी लेकिन स्थानीय लोगों ने दो महीने में ही फिर उसकी हालत खराब कर दी।" इस बारे में गोण्डा जिले की खण्ड शिक्षा अधिकारी प्रीती शुक्ला बताती हैं, ''स्कूलों में शौचालय की मरम्मत और जहां न बने हो वहां पर 15 अगस्त तक बालिकाओं के लिए अलग शौचालय बनाने का आदेश था, ज्यादातर स्कूलों में निर्माण कार्य भी हुआ है। अब दैनिक जीवन में उसका इस्तेमाल तो जागरूकता से ही आयेगा। सरकार का काम था शौचालय बनवाना।"

पहले स्कूलों में लगाई गई थीं टंकियां

स्कूलों में पानी संचय करने के लिए सरकार ने ढाई सौ लीटर की प्लास्टिक की टंकियों को स्कूल में लगवाया था लेकिन साफ-सफाई के अभाव में वर्तमान में लगभग सभी टंकियां खराब हो चुकी हैं। नाम न छापने की शर्त पर उन्नाव जिले के एक शिक्षक ने

बताया कि एक स्कूल में विभिन्न कार्यों के लिए केवल साढ़े छह हजार रुपए का बजट आता है। इसमें टाट-पट्टी, चाक, डेस्टर, कुर्सियों की मरम्मत, बल्ब, स्कूल का सौंदर्यीकरण समेत कई कार्य कराने होते हैं। ऐसे में टंकियों की सफाई के लिए मजदूर बुलाओ तो हर बार दो सौ रुपए उसे देने पड़ते थे। बजट तो सरकार ने बढ़ाया नहीं, इस कारण से टंकियों की साफ-सफाई नहीं  हो पाई।

एक नजर शौचालय निर्माण पर 

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर को 'स्वच्छ भारत अभियान' की शुरुआत की, जिसके तहत देश के हर एक स्कूल में शौचालय का निर्माण होना था। छात्राओं के लिए हर स्कूल में अलग से शौचालय का निर्माण करवाया जाएगा, जिससे उन्हें बीच में पढ़ाई न छोडऩा पड़े। मानव विकास संसाधन मंत्रालय में स्वच्छ विद्यालय कार्यक्रम के तहत पता चला है कि 98.2 फीसदी शौचालयों का काम पूरा किया जा चुका है। वायदे के मुताबिक 15 अगस्त तक देशभर के स्कूलों में कुल 4.17 लाख शौचालय बनाए जाने थे। अब इनमें सिर्फ  साढ़े सात हजार में ही काम शेष है। लगभग 98 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। 

 

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