खबर का असर: अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत मामले में दोषी डॉक्टर व नर्स हुए सस्पेंड

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   13 July 2017 12:37 PM GMT

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खबर का असर: अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत मामले में दोषी डॉक्टर व नर्स हुए सस्पेंडशनिवार देर रात हुई थी प्रसूता की मौत (फोटो: महेंद्र पांडेय)

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। गोमतीनगर में स्थित लोहिया अस्पताल में शनिवार को गर्भवती महिला की मृत्यु पर कार्रवाई करते हुए मौत के मामले में दोषी डॉ. शालू महेश व सुभ्रा सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। इसी के साथ ड्यूटी पर मौजूद नर्स रेनू, अरुणा कुमारी के खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया। सस्पेंड दोनों डॉक्टर व स्टाफ नर्सों के खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही भी की जाएगी।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने रविवार को जांच कराने के आदेश दिए थे और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं।

महिला की मौत की सूचना पाने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने लोहिया अस्पताल का दौरा किया था, जिसमें उन्होंने अस्पताल में हुई इस घटना पर स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी थी। स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश दिया था कि शाम तक में जांच की रिपोर्ट आ जानी चाहिए।

लोहिया अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ओमकार यादव ने बताया, ‘स्वास्थ्य मंत्री और महानिदेशक ने अस्पताल का दौरा किया था। अस्पताल में लोहिया अस्पताल के निदेशक, स्वास्थ्य महानिदेशक और स्वास्थ्य मंत्री ने एक कमरे में बातचीत की। उसके बाद उन्होंने अस्पताल पर घटना के जांच की बात कही, और जल्द ही रिपोर्ट भी मांगी थी। जो लोग इसमें दोषी पाए जाएंगे उनपर सख्त कार्यवाई के निर्देश मिले थे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा अस्पताल प्रशासन मामले की जांच कर रहा है लेकिन ये बिलकुल भी सही नहीं है कि दोषी अस्पताल ही मामले की जांच करवाए इसलिए स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक इसकी जांच करेंगे। शाम तक अस्पताल निदेशक और महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग उन्हें रिपोर्ट देंगें।

अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी का कहना है कि गर्भवती महिला को भर्ती न किए जाने के मामले में जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट डीजी हेल्थ को सौंप दी जाएगी। डीजी हेल्थ पद्माकर सिंह ने कहा कि उनके स्तर से जांच करके रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री को सौंपी जाएगी। जिसके बाद मंत्री की ओर से कार्यवाई की जायेगी। मरीज को डॉक्टरों द्वारा नहीं देखा गया ये तो स्पष्ट है लेकिन एक डॉक्टर द्वारा तो देखा जाना चाहिए था।

गाँव कनेक्शन में 24 अप्रैल को प्रकाशित हुई थी खबर

ये था मामला

शनिवार देर रात को नसीरुद्दीन अपनी गर्भवती पत्नी कलीमू को लेकर अस्पताल गये थे जहां पर अस्पताल में उन्हें भर्ती करने की मांग की थी लेकिन अस्पताल प्रबन्धन ने उन्हें भर्ती लेने से मना कर दिया था। उन्हें दर्द का एक इंजेक्शन लगा कर ये कह कर वापस कर दिया था कि यहां बेड खाली नहीं हैं, जब वह महिला दोबारा रविवार को फिर से अस्पताल पहुंची तो थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो गई।

     

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