इंद्रदेव की ‘फिरकी’ ने हरियाणा के 'अन्नदाताओं' को कर दिया तबाह

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इंद्रदेव की ‘फिरकी’ ने हरियाणा के अन्नदाताओं को कर दिया तबाहगाँवकनेक्शन

भिवानी पूरे देश का पेट भरने वाला अन्नदाता ही आज तबाह है। भुखमरी की कगार पर है। तंगहाली से परेशान होकर किसान आत्महत्त्यायें कर रहे हैं। किसानों के साथ इंद्रदेव भी फिरकी लेते हैं तो सरकारें भी कम परेशान नहीं करती हैं। हाल ही में हुई बेमोसम बारिश और ओलावृष्टि ने एक बार फिर हरियाणा के किसानों को परेशानी की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है।

खेतों में लहलहाता गेहूं और सरसों की फसल अब तबाही के मंजर की चादर ओढ़ चुकी हैं। एक अनुमान के मुताबिक कई इलाकों में बारिश और दो से तीन बार हुई ओलावृष्टि से करीब 70 से 80 फीसदी फसलों को नुकसान हुआ है। राज्य के मौजूदा हालात ये हैं कि अभी ये दावा ही नहीं किया जा सकता है कि सबसे ज़्यादा तबाही कहां हुई है और सबसे कम नुकसान किस जिले में हुआ है।

भिवानी और झज्‍जर जिले के किसानों ने तो तीन-तीन बार ओलावृष्टि झेली है। जिससे गेहूं और सरसों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। कृषि विभाग की ओर से नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। नुकसान के आंकलन की शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक भिवानी जिले के लोहारु के फरटिया, झांझड़ा, गोठड़ा, गिगनाऊ, पोटिया, ढाणी टोडा,मनसुख ढाणी, सुरजा ढाणी, झुप्पा कलां में करीब 60 से 70 फीसदी फसलों का नुकसान हुआ है। पानीपत और करनाल के इलाकों में 30 से 40 फीसदी फसलों के नुकसान का आंकलन है। बारिश और ओलावृष्टि ने रोहतक, कैथल, सोनीपत,गुड़गांव, हिसार और यमुनानगर में भी जमकर कहर बरपाया है।

रामप्रकाश ने दो एकड़ जमीन में गेहूं की फसल लगाई थी। जो पूरी की पूरी तरह तबाह हो चुकी है। रामप्रकाश कहते हैं कि बाबू जी 6 महीने की खून-पसीने की मेहनत और कमाई पर पानी फिर गया। पशुओं का चारा तक खराब हो गया है। हिसार के ही चिड़ौद गांव के किसान नरेश ने बताया कि उन्‍होंने 22 एकड़ जमीन पर गेहूं और सरसों की फसल की उगाई थी। बैंक से दस लाख रुपए का कर्ज भी है। कर्ज कैसे उतरेगा, कैसे घर चलेगा कुछ पता नहीं। कमोबेश ये परेशानी हर जगह, हर जिले की है। कैथल के किसान श्‍याम सिंह कहते हैं कि शाम को वो अपने खेत में काम कर घर गए थे। सुबह देखा तो पूरी की पूरी फसल बर्बाद हुई पड़ी थी। गेहूं के दालों में बालियां आ चुकी थीं, फसल पकनी शुरू हो गई थी।

लेकिन उससे पहले ही बारिश ने सब तबाह कर दिया। रोहतक के सांपला और कलानौर के गांवों में ओलावृष्टि के चलते पूरी की पूरी फसलें तबाह हुई हैं। यहां के किसान कहते हैं कि उन्‍होंने पिछले 70 सालों में इतनी ओलावृष्टि कभी नहीं देखी। कलानौर के किसान रामनिवास बताते हैं कि यहां के करीब 36 गाँवों का यही हाल है। अंबाला के निचले हिस्‍सों में भी खेतों में पानी भरने से गेहूं की फसल बर्बाद हुई है। हालांकि अंबाला के कृषि विभाग के उपनिदेशक गिरीश नागपाल के मुताबिक जिले में 87 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगी है। बरसात से करीब 2 से 3 फीसदी ही नुकसान पहुंचा है।

फतेहाबाद में किसानों ने बर्बाद फसल की गिरदावरी और जल्‍द मुआवजा देने की मांग को लेकर लघु सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया और जिलाउपायुक्‍त एन के सोलंकी को एक ज्ञापन भी सौंपा। किसानों ने 30 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की है। फतेहाबाद के भट्टू कलां, खांबड़ा कलां, खाबड़ा खुर्द और जांडवाला बागड़ के किसानों का कहना है कि उनकी तो सौ फीसदी फसल बर्बाद हुई है। किसान नरेंद्र का कहना है कि उन्‍होंने जमीदार से खेत बंटाई पर लेकर गेहूं की फसल की बुआई की थी। बीज और खाद के लिए 30 हजार रुपए उधार भी लिए थे। नरेंद्र कहते हैं कि कैसे चुकाएंगे ये उधार की रकम पता नहीं। यमुनानगर के किसान अमरजीत सिंह, निर्मल सिंह और हरप्रीत सिंह कहते हैं कि हमारी तो किस्‍मत ही खराब है। पिछले साल भी हम पर मौसम की मार पड़ी थी। उसके बाद सफेद मक्‍खी ने फसल तबाह कर दी और अब एक बार फिर तबाही। यहां के किसान कहते हैं कि उनका सबकुछ तबाह हो गया है।

यमुनानगर के उप कृषि निदेशक डा. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि यमुनानगर जिले में कुल 85 हजार हेक्टेयर जमीन में गेहूं की खेती होती है। इसमें 60 फीसदी एरिया में अक्तूबर के अंत और नवंबर के शुरुआत में गेहूं की बुआई हुई थी। जबकि 40 फीसदी जमीन पर 20 नवंबर के बाद बुआई हुई थी। जहां बाद में बुआई हुई उसका दाना अभी छोटा था। इसलिए वहां ज्‍यादा नुकसान नहीं हुआ है। बचे हुए 60 प्रतिशत एरिया में 10 से 15 फीसदी ही फसल का नुकसान हुआ है। डबास ने बताया कि कई बार मौसम साफ होने पर गिरी हुई फसल उठ जाती है। 2-3 दिन बाद ही इसका सही आंकलन हो पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार के आदेश पर अधिकारी गांवों में जाकर नुकसान का जायजा ले रहे है और इसकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को दी जाएगी।

रिपोर्टर - अमित शुक्ला

 

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