इस मौसम में पशुओं को ज़्यादा होती है ग्लेंडर बीमारीः डॉ.वीके सिंह

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इस मौसम में पशुओं को ज़्यादा होती है ग्लेंडर बीमारीः डॉ.वीके सिंहgaonconnection

लखनऊ। घोड़े, गधों और खच्चरों में होने वाली घातक बीमारी ग्लेंडर से प्रभावित छह जिलों के पशुओं के सैंपल को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान (हिसार) भेजा गया है। 

‘‘इस मौसम में ग्लेंडर बीमारी ज्यादा होती है और कुछ जिले भी ऐसे हैं, जहां पर इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा होता है। अभी मेरठ (150), बुलंदशहर (74), हापुड़ (49), गाजियाबाद (715), नोएडा (87) बागपत (89) के जिन पशुओं में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं, उनके सैंपल को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान भेजा गया है। पिछले साल इस बीमारी से 25 पशुओं की मौत हो गई थी। इसलिए इस बार पहले से ही निगरानी रखी गई है।’’ ऐसा बताते हैं पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ.वीके सिंह। 

ग्लेंडर जीवाणु जनित रोग है। यह बीमारी ज्यादातर घोड़े, गधों और खच्चरों में होती है। इस बीमारी से पीड़ित पशु को मारना ही पड़ता है। अगर कोई पशुपालक इस बीमारी से ग्रसित पशु के संपर्क में आता है तो यह बीमारी मनुष्यों में भी फैल जाती है।

पशुपालक को होने वाले नुकसान के बारे में सिंह बताते हैं, ‘‘इस बीमारी से पशुपालक को काफी नुकसान होता है क्योंकि भूमिहीन और गरीब पशुपालकों की आजीविका का साधन अश्व प्रजाति के पशु ही होते हैं। पहले इसकी धनराशि किसी भी राज्य में निश्चित नहीं थी, लेकिन अब पूरे भारत में इस बीमारी से मरने वाले पशुओं को धनराशि दी जाती है। इस बीमारी का न तो कोई उपचार है और न ही कोई टीका इजाद किया गया है। इसके लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मुआवजा देती है।’’ इस बीमारी से घोड़े के मरने पर 25,000 रुपए और गधों, खच्चरों के मरने पर 16,000 रुपए की धनराशि पशुपालकों को दी जाती है। इस राशि का 50 फीसदी केंद्र सरकार और 50 फीसदी राज्य सरकार देती है। 

 

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