इस रबी बहुफसली खेती करें किसान

vineet bajpaivineet bajpai   1 Nov 2015 5:30 AM GMT

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इस रबी बहुफसली खेती करें किसान

लखनऊ। पिछली बार रबी की फसल में बे-मौसम बारिश से और फिर खरीफ में सूखे से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। इसलिए इस बार किसानों को चाहिए कि वो एक रणनीति बनाकर रबी फसलों की बुवाई करें।

सीतापुर जि़ले के कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया के कृषि वैज्ञानिक डीएस श्रीवास्तव किसानों को सुझाव देेते हैं, ''किसानों को चाहिए कि वो सिर्फ किसी एक ही फसल की बुवाई न करें, गेहूं के साथ-साथ दूसरी फसलों की भी बुवाई करें। इसके अलावा कम पानी व कम समय वाली किस्मों का ही चयन करें।" वो बताते हैं, ''कोई भी फसल बोएं, उसके चारों तरफ फूलों के पौधे ज़रूर लगाएं, जिससे मित्र कीट आपकी फसल में अधिक मात्रा में रहें। ये कीट उन कीटों को खत्म कर देते हैं, जो आपकी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।"

वो बताते हैं, ''अगर खेत में धान अभी तक लगा है और खेत एकदम सूख गया है, तो धान कटने से करीब एक सप्ताह पहले उसमें पानी लगा दें, जिससे धान कटने के तुरन्त बाद खेत जुतवा कर उसमे गेहूं की बुवाई की जा सके।" किसान गेहूं की एचडी-2967, 502, 373 किस्मों की बुवाई करें, ये कम समय और कम पानी में तैयार हो जाती है।

डीएस श्रीवास्तव बताते हैं, ''अगर किसी को लगता है कि हम सिंचाई ज्यादा नहीं कर पाएंगे तो वे मसूर की बुवाई कर सकता है। मसूर में बहुत कम पानी, बहुत कम कीट व रोग लगते हैं। इससे कम लागत में किसान अधिक मुनाफा कमा सकता है। मसूर में एक समस्या उकठा रोग की आती है, लेकिन अगर किसान पहले ही ट्राइकोडर्मा से बीज शोधन करके बुवाई करे तो वो समस्या भी नहीं रहती है।"

कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस बार रबी सीजन में फसलों की बुवाई का लक्ष्य करीब 1.28 करोड़  हेक्टेयर निर्धारित किया गया है, जिसमें से अब तक करीब 115 हज़ार हेक्टयर में बुवाई की जा चुकी है।

सरसों की बुवाई

सरसों की बुवाई वैसे तो 25 अक्टूबर तक हो जानी चाहिए थी, लेकिन फिर भी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसकी किसान अब भी बुवाई कर सकते हैं। इनको गेहूं के साथ, मसूर के साथ या अलग से भी लगा सकते हैं।

इन किस्में की करें बुवाई --- पीएम - 26, ऊर्वसी, आरएच- 749, एनआरसीबीआर - 2, रोहिड़ी, आरएच-119, आएच- 406 किस्मों की बुआई करें।

प्याज व लहसुन

प्याज की नर्सरी की बुवाई का समय शुरू हो गया है। किसान प्याज की नर्सरी की बुवाई करने से पहले बीजों को पांच एमएल प्रति लीटर ट्राइकोडर्मा और सोनोमोनास से शोधित कर लें, उसके बाद बुवाई करें। बीज शोधन के लिए एजकोबेक्टर का भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे जड़ में कीट व रोग नहीं लगते हैं।

लहसुन के बीज का भी शोधन कर लगाएं, खेत की तैयारी करते समय गोबर की खाद या रासायनिक खाद का उपयोग अधिक करें।

गेहूं की अधिक पैदावार के लिए इन बातों का ध्यान रखें -

1- बीज शोधन के बाद ही बुवाई करें।

2- प्रजाति का चयन क्षेत्रीय अनुकूलता एवं समय विशेष के अनुसार किया जाए।

3- तीसरे वर्ष बीज अवश्य बदल दें।

4- संतुलित मात्रा में ऊर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर सही समय पर उचित विधि से किया जाए।

5- कीड़े एवं बीमारी से बचाव के लिए विशेष ध्यान दिया जाए।

6 - खेत की तैयारी के लिए रोटावेटर हैरो का प्रयोग करें।

 

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