जानिये क्यों यूपी के इन खेतों से गायब हुई अरहर

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जानिये क्यों यूपी के इन खेतों से गायब हुई अरहर

प्रतापगढ़। रामसिंह जहां पहले पांच बीघे में अरहर की फसल बोते थे अब दस बिसवा भी नहीं बोना चाहते हैं। ये रामसिंह की अकेले की बात नहीं है जिले के ज्यादातर किसानों ने अरहर, चना, मसूर जैसी दलहनी फ़सल अब बोना छोड़ दिया है।
प्रदेश के दलहन उत्पादन में अच्छी हिस्सेदारी रखने वाले प्रतापगढ़ जिले के खेतों से अरहर, चना, मसूर और मटर जैसी दालें गायब होने का मुख्य कारण है नील गाय का आतंक।
जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी दक्षिण में शिवगढ़ ब्लॉक के किसान अंसार अहमद (45 वर्ष) ने तो अब अरहर बोना ही छोड़ दिया है। अंसार बताते हैं, "हम लोगों के ज्यादातर खेत ऐसे हैं, जहां पर सिंचाई की व्यस्था नहीं है इसलिए अरहर बोते थे, जिसको बिना सिचाई के ही बो सकते हैं, लेकिन अब इतनी नीलगाय हो गयी हैं कि कुछ भी नहीं बचता, सब चर जाती हैं।"
इस समस्या पर प्रतापगढ़ जिले के उप निदेशक (कृषि प्रभार) आरके सिंह बताते हैं, "कुछ सालों पहले तक कई किसान अरहर बोते थे तब नीलगाय भी कम थीं अब झुंड में बहुत सी एक साथ चलती हैं, जब अरहर में फूल लगने का होता है तो नीलगाय फूल ही खा जाती हैं, तो पैदावार नहीं हो पाती।"

सिंह आगे कहते हैं, "अरहर की तरह चना, मटर और मसूर में भी यही हो रहा है, इसलिए किसान अब इन फसलों को कम बो रहा है।"
सडवाचन्द्रिका ब्लॉक के पूरे बैरीसाल गाँव के किसान वीरेंद्र सिंह ने तो खेत में डेरा डाल लिया है। वीरेंद्र सिंह कहते हैं, "इतना महंगा बीज लेकर बोते हैं अब लागत भी नहीं निकलेगी तो कैसे होगा। अब अपने खाने भर की दाल बोते हैं इतनी मंहगाई में वो भी नहीं हो पा रही है।"
नीलगाय के साथ ही जंगली सुअरों ने भी ज़िले में आतंक मचा रखा है। जंगली सुअर आलू-गन्ने की फ़सल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

शिवगढ़ ब्लॉक के भिखनापुर गाँव के राकेश सिंह ने पहले 20 बीघे आलू लगाते थे। राकेश सिंह बताते हैं, "रात में झुंड में जंगली सुअर आते हैं और थोड़ी देर में पूरी फ़सल चौपट कर जाते हैं। आलू, मटर कोई फ़सल इनसे नहीं बच पा रही है।"
प्रतापगढ़ में गंगा, सई और बकुलाही नदी है, जिसके साथ ही जंगली सुअर जिले में आ गयी हैं। धीरे-धीरे इनका समूह बढ़ता ही जा रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान तराई क्षेत्र के किसानों को हो रहा है।

 

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