जानकारी के अभाव में किसान हो रहे बर्बाद

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जानकारी के अभाव में किसान हो रहे बर्बादगाँवकनेक्शन

लखनऊ। ओलावृष्टि, बेमौसम बारिश से तो रबी की फसलों को नुकसान पहुंच ही रहा है। वहीं किसान किस अवधि में कौन सा बीज इस्तेमाल करें, इसकी जानकारी न होने से भी उत्पादन पर फर्क पड़ रहा है। शायद कृषि विभाग की नींद अब जाकर खुले।

अच्छी खबर अब ये है, ब्लॉकों, विकास भवन में किसानों के लिए पुस्तकालय खोले जाएंगे। इन दफ्तरों में कब कौन सी खेती करें और कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करें, इसकी जानकारी आसानी से हो जाएगी।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ जिला मुख्यालय से करीब 15 किलो मीटर दूर चिनहट ब्लॉक के सिकंदरपुर खुर्द गाँव के किसान राम नरेश (65 वर्ष) ने बताया, “जनवरी माह में साढ़े चार बीघे खेत में गेहूं की बुवाई की थी। पूरे खेत में गेहूं की बाली आ चुकी है। अप्रैल माह में काटना है, पर बाली में अब तक दाना नहीं आया है। पूरी फसल झुराए गई है।” रामनरेश ने बताया, “जनवरी की शुरुआत में 30 रुपए किलो की दर से सीबीडब्लू 502 प्रजाति का एक कुंतल गेहूं का बीज खरीद कर बोया था।” 

उन्होंने आगे बताया, “पिछले साल इतने रकबे में 25 कुंतल गेहूं पैदा हुआ था। लेकिन इस बार उम्मीद नहीं दिख रही है।’’ उनके साथ ऐसा इसलिए हुआ कि उन्होंने जानकारी के अभाव में सस्ती कीमत पर खरीदकर लाए बीज की भी गलत वक्त पर बुवाई की थी।

प्रदेश में इस तरह हजारों किसान हैं, जिनके पास कम जानकारी है या फिर सही बीज और खाद के फेर में ठगे जा रहे हैं। मौसम में कई तरह के बदलाव आ गए हैं। बीज कंपनियां भी मौसम को ध्यान में रखकर बीज बनाती हैं, लेकिन किसानों पुराने ढर्रे पर ही खेती कर रहे हैं। 

चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. केएन सिंह ने बताया, ‘’किसान जानकारी के अभाव में ठगे जा रहे हैं, रामनरेश ने जिस प्रजाति का गेहूं बोया था वो प्रजाति लम्बी अवधि की है, इसकी बुवाई नवम्बर के अंत तक कर देनी चाहिए थी। इस प्रजाति के अलावा शताब्दी, सीबीडब्ल्यू 550 की नवम्बर में बुवाई की जाती है। जनवरी माह में उलना-फलना प्रजाति की बवाई करनी चाहिए। लेकिन किसान इतना ध्यान नहीं रख पाते और उन्हें सही जानकारी भी नहीं मिल पाती है।’’  रामनरेश की तरह प्रदेश में हजारों किसान हैं जो कम जानकारी, बीज-खाद कंपनियों और संबंधित अधिकारियों की उदासनीता का शिकार होते हैं। कृषि विभाग के भारी-भरकम बजट के बाद भी किसानों तक प्रचार साहित्य नहीं पहुंच रहा है। गाँव में किसानों को खेती की जानकारी नहीं मुहैया कराई जा रही है।

रबी और खरीफ गोष्ठी पर किसानों को बांटा जाता है प्रचार साहित्य 

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रचार विभाग का दावा है कि वह किसानों को समय पर फसलों की बुवाई के लिए प्रचार साहित्य उपलब्ध कराते हैं। संयुक्त कृषि निदेशक ब्यूरो विवेक कुमार सिंह कहते है, ‘’विभाग की ओर से प्रति वर्ष रबी और खरीफ गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। प्रदेश के सभी जिलों में रबी और खरीफ गोष्ठी के दौरान किसानों को खेती सम्बंधी जानकारी देने के लिए 10-10 हजार रुपए बजट का प्रचार साहित्य बांटा जाता है।’’ उन्होंने आगे बताया, ‘’15 पारम्परिक मेला और नौ एग्रो क्लाइमेटिक कार्यक्रम में प्रचार सामग्री वितरित की जाती है। इन दोनों मद में करीब सवा करोड़ रुपए खर्च होता है। इसके अलावा टीवी और रेडियो पर भी खेती-किसानी की जानकारी दी जाती है।’’

नुकसान से बचना है तो किसान पारदर्शी योजना का उठाएं लाभ

किसान को थोड़ा जागरूक होना पड़ेगा। प्रदेश सरकार कई योजनाएं चला रही है। किसानों को अनुदान पर बीज और खाद आदि दिया जा रहा है। किसान पारदर्शी योजना में किसान अपना पंजीकरण करा डीबीटीएल से जुड़ें। इससे किसानों को लाभ मिलेगा। उन्हें प्रमाणित बीज के साथ अन्य जरूरी समान आसानी से मिलेगा। 

गाँवों में उपलब्ध होगी प्रचार-सामग्री 

कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीण कुमार ने किसानों तक प्रचार सामग्री नहीं पहुंचने को गम्भीर माना है। उन्होंने कृषि शाखा तक आने वाले 18 विभागों में जनोपयोगी प्रकाशन की वितरण की व्यवस्था को और मजबूत करने को कहा है। उन्होंने 75 विकास भवनों और 821 ब्लॉकों में किसानों को खेती की दी जाने वाली नई तकनीक, बीज, बागबानी, फल-फूल, रोपाई, बुवाई आदि की जानकारी से जुड़े प्रचार सामग्री उपलब्ध कराने की बात भी कही। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा है, ब्लॉक अधिकारी अपने कार्यालय पर पुस्तकालय खोलें। इन पुस्तकालयों में कृषि की सभी जानकारी से जुड़े साहित्य रखे जाएं।

 

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